किसी भी सफलता को हासिल करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बेहद जरुरी है। जब तक इन्सान शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होगा तब तक वह मंजिल के पाने के रास्ते से भटकते रहेगा। अधिकतर लोग जीवन में आने वाली चुनौतियों से हार मानकर रुक जाते हैं। आज की कहानी ऐसी सोंच रखने वाले के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।
यह कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसने अपनी दोनों आंखों की रोशनी खोने के बाद भी UPSC की तैयारी किया और चौथे प्रयास में सफल होकर दिखाया है। पूर्णा साँथरी ने ऑल इंडिया 286वीं रैंक हासिल किया। उन्होंने असफलताओं और कठिनाइयों से हार मानकर थकने वालों के लिए एक मिसाल पेश की है। आइए जानते हैं उनके बारे में।
पूर्णा साँथरी तमिलनाडु के मदुरै की रहने वाली हैं। पूर्णा के पिताजी प्राइवेट नौकरी करते हैं तथा उनकी माता एक गृहणी हैं। पूर्णा जब 5 वर्ष की थी तब उनके आंखों की रोशनी कम होने लगी थी। पूर्णा के माता-पिता ने उनकी आंखों का इलाज मदुरै के अरविंद नेत्र हॉस्पिटल में कराया। वहां डॉक्टरों ने बताया कि, पूर्णा को एक दुर्लभ अपक्षयि विकार की बिमारी है। उसके बाद समय बीतने के साथ धीरे-धीरे पूर्णा की दाहिनी आंख पूरी तरह रोशनीहीन हो गई। उसके बाद पूर्णा की बाईं आंख की सुरक्षा की कोशिश करने के लिए सर्जरी की गई लेकिन शायद भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। वह सर्जरी सफल नहीं हुई। समय के साथ-साथ पूर्णा के दोनों आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई और वह नेत्रहीन हो गई। हम सभी इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि बिना नेत्र के जीवन जीना कितना कठिन कार्य है। लेकिन पूर्णा ने हार नहीं मानी।
पूर्णा ने मदुरै पिलिमार संगम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से शिक्षा प्राप्त किया है। पूर्णा ने बताया कि “जब वे 11वीं कक्षा में थी तब वे एक IAS बनने का सपना देखी। उन्हें टी उधायचंद्रं और यू सगायम जैसे IAS ऑफिसर के बारें सुनकर सिविल सर्विस परीक्षा देने की प्रेरणा मिली।” लेकिन UPSC की तैयारी का सफर इतना सरल नहीं था। नेत्रों को रोशनी खोने के वजह से पूर्णा को पढ़ाई में बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। पूर्णा के कठिनाईयों से भरे इस सफर में उनके माता-पिता और उनके दोस्तों ने काफी सहायता किया और हमेशा पूर्णा के साथ रहे।
पूर्णा बताती हैं कि “उन्हें ऑडियो प्रारूप में पढ़ाई की सभी सुविधा नहीं मिलती थी। इसलिए उनके माता-पिता दिन-रात उनके लिए पुस्तकें पढ़ते थे। उनके कुछ मित्रों ने किताबों को ऑडियो प्रारूप में बदलने में मदद किया।” पूर्णा के दोस्त जरुरी अध्ययन सामग्री को नेट से सर्च करने में भी सहयता करते थे। पूर्णा ने कहा कि, “उन सभी का सहयोग और मेहनत हीं है जिसने आज मुझे एक IAS अधिकारी बना दिया।”
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पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ ने भी ट्विटर पर ट्विट कर के पूर्णा की कामयाबी की कहानी को शेयर किया। उसके साथ यह संदेश भी दिया कि अपने सपने को पूरा करने के लिए लगातार मेहनत करते रहना चाहिए। उन्होंने अपने ट्विट मे लिखा कि, “टीएन 25 वर्षीय दृष्टिबाधित पूर्णा सुंदरी ने बाधाओं को हराया और UPSC की परीक्षा को पास किया। क्यूंकि स्टडी मटेरियल को ढूंढना बेहद मुश्किल कार्य था इसलिए उनके माता-पिता और दोस्तों ने सहायता किया, ताकि पूर्णा एक IAS ऑफिसर बन सकें। अपने सपनों का पीछा करें उसे कभी नहीं छोड़ें।”
25yr old visually impaired Purana Sunthari from TN beat the odds and cracked the UPSC exam. Since audio study material was hard to find, her parents and friends helped her in reading & converting books to audio so she could become an IAS officer. Never stop chasing your dreams. pic.twitter.com/3icQ6nPJPo
— Mohammad Kaif (@MohammadKaif) August 12, 2020
पूर्णा वर्ष 2016 से ही सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी करने में जुट गई थी। यूपीएससी में पूर्णा को लगातार 3 बार असफलताओं का स्वाद चखने के बाद चौथे प्रयास मे वर्ष 2019 में सिविल सर्विस के परीक्षा में कामयाबी हासिल हुई। उन्होंने ऑल इंडिया 285वीं रैंक प्राप्त किया। पूर्णा अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं। पूर्णा शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तीकरण जैसे क्षेत्रों में सेवा करना चाहती हैं।
The Logically पूर्णा साँथरी को UPSC के प्रति लगन और दृढ निश्चय को सलाम करता है तथा उन्हें यूपीएससी में सफलता हासिल करने के लिए ढ़ेर सारी बधाईयां देता है।