खेती में खाद का प्रयोग किया जाना कोई नई बात नहीं है। लोग पैदावार को बढ़ाने के लिए अधिक मात्रा में खाद का प्रयोग कर रहे हैं। अधिक खाद का प्रयोग करने के कारण खेती की लागत तो बढ़ हीं जाती है साथ हीं उसके कई नकारात्मक प्रभाव भी पड़ते हैं। लेकिन अगर हम कहें कि एक बोरी खाद की जगह है आधा लीटर तरल यूरिया से काम चल जाएगा तो शायद हीं किन्हीं को विश्वास हो, लेकिन यह बात सच है। Indian Farmer’s Fertilizer Cooperative Limited (IFFCO) ने विश्व में पहली बार नैनो यूरिया तैयार किया है। खेतों में अगर 1 बोली खाद की जगह आधे लीटर वाले नैनो यूरिया की बोतल पर्याप्त होगी।
इफको की 50वीं वार्षिक आम बैठक में प्रतिनिधियों ने इस नैनो यूरिया का ऐलान किया। मिट्टी में यूरिया के कम से कम प्रयोग होने के लिए नैनो यूरिया बनाया गया है। यह बहुत छोटे आकार में अधिक क्षमता के साथ तैयार किया गया है इसलिए इसका नाम “नैनो यूरिया” रखा गया है। आधा लीटर का नैनो यूरिया का बोतल 1 बोरी खाद के बराबर होगी।
इफको के द्वारा यह कहा गया है कि इसके प्रयोग से फसलों का पोषण बेहतर तरीके से होता है क्योंकि यह फसलों को आवश्यक पोषक तत्त्व मुहैया करवाता है। इस कारण फसलों का पैदावार बढ जाता है। इफको का कहना है कि यह भूमिगत जल की गुणवत्ता भी सुधारता है साथ हीं ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को कम करने में अहम भूमिका निभाता है।
खाद की अपेक्षा बहुत गुणकारी
इफको द्वारा बनाया गया यह नैनो यूरिया खाद की तुलना में अधिक गुणकारी है। इसके प्रयोग से मिट्टी का स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहता है, साथ हीं यह उन्हें कीड़े-मकोड़े से भी दूर रखता है। जिसके कारण पैदावार बढ जाती है। खाद के प्रयोग से फसलों में कीट-पतंग की समस्या ज्यादा होती है जिसके कारण पैदावार पर नकारात्मक असर पड़ता है। वहीं नैनो यूरिया के प्रयोग से फसल उचित समय पर पक जाती है। नैनो यूरिया से फसलों में मजबूती बनी रहती है।
यह भी पढ़ें :- गुलाब की खेती ने हरियाणा के किसानों की जिंदगी में भरे महक, किसानों को हुआ बंपर मुनाफा
खाद से कम है कीमत
इफको की तरफ से कहा गया है कि नैनो यूरिया का उत्पादन जून 2021 तक आरंभ हो सकेगा और जल्द इसकी बिक्री भी शुरू हो जाएगी। इफको ने किसानों के लिए 500 मिली. नैनो यूरिया की एक बोतल की कीमत ₹240 रखी है।
हर तरीके से है लाभकारी
नैनो यूरिया गुणकारी होने के कारण यह कई तरीके से लाभदायक है। इसके प्रयोग से फसलों में उचित पोषण के साथ-साथ अधिक पैदावार होती है। अधिक पैदावार के साथ-साथ मिट्टी के स्वास्थ्य और भूमिगत जल को बेहतर बनाए रखता है। भारत को यूरिया दूसरे देशों से आयात भी करना पड़ता है ऐसे में नैनो यूरिया का चलन बढ़ाकर आयात को बहुत कम किया जा सकता है। गौरतलब हो कि भारत सरकार को हर वर्ष खाद की सब्सिडी पर लगभग 600 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में नैनो यूरिया का प्रयोग सरकार के खजाने पर पड़ने वाला यह खर्च खत्म कर सकता है।
The Logically सर्वप्रथम इफको को इस बेहतरीन अविष्कार के लिए बहुत-बहुत बधाईयां देता है। साथ हीं यह उम्मीद करता है कि भारत समेत पूरे विश्व में नैनो यूरिया का प्रयोग किया जाएगा और एक बार फिर भारतीय कृषि वैज्ञानिकों का डंका विश्व भर में बजेगा।