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टेस्टट्यूब बेबी, समुन्द्र विज्ञान और इसरो से लेकर मिसाइल बनाने तक इन भारतीय महिला वैज्ञानिकों का अहम योगदान है

कृषि से लेकर विज्ञान, हरेक क्षेत्र में भारत का इतिहास काफी समृद्ध रहा है जिसे दुनिया का कोई देश या इंसान नही नकार सकता। ऐसे बहुत से महान भारतीय वैज्ञानिक(Indian Scientists) रहे हैं जिन्होने विश्वपटल पर गर्व से भारत का सिर ऊंचा किया है। जिनमें कई ऐसी महिला वैज्ञानिक भी शामिल हैं जो साइंस के विभिन्न विषयों में अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर उन महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल बन गई हैं जो विज्ञान और उससे जुड़े अविष्कारों के प्रति रुचि रखती हैं। इस लेख के माध्यम से आज हम ऐसी ही कुछ भारतीय महिला वैज्ञानिकों के बारे में बताने जा रहे हैं

असीमा चटर्जी

Asima Chartajee
असीमा चटर्जी

23 सितंबर 1917 को जन्मीं असीमा चटर्जी(Asmia Chatterjee) भारत की पहली महिला वैज्ञानिक के रुप में जानी जाती हैं। असीमा पहली महिला रहीं जिन्होनें भारतीय विश्वविधालय से विज्ञान में डॉक्टरेट (Doctorate in Science from Indian Univeristy) किया था। जैविक रसायन और पौधों के उत्पाद व उनसे बनी दवाईंयों (Organic Chemistry and Phythomedicine) के क्षेत्र में असीमा का योगदान अविस्मरणीय है। उनके उल्लेखनीय कामों में विशेष तौर पर एंटी-मिर्गी की दवा(Anti- Epiliptic Drugs), आयुष-56 (Ayush-56), विन्का-एलकोलॉइड्स (Vinca- Alkoloids) शामिल हैं। हमेशा से ही भारतीय उपमहाद्वीपीय औषधीय पौधों के उत्पादों से लेकर सिंथेटिक(Medicinal Plants and Synthetic Carbonic Chemistry Science) पर आधारित उनके शोधों का विज्ञान की दुनिया में खासा महत्व रहा है। उनके 400 से ज़्यादा साइंस पेपर्स विभिन्न नेशनल और इंटरनेशनल जरनल (Journals) में प्रकाशित हो चुके हैं।

इंदिरा हिंदुजा

इंदिरा आहूजा

भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी (Test Tube Baby) का कॉन्सेप्ट लाने वाली पहली महिला साइंटिस्ट इंदिरा हिंदुजा(Indira Hinduja) हैं। इंदिरा स्त्री रोग विशेषज्ञ व बाझंपन विशेषज्ञ(Gynecologist and Infertility in Women) के रुप में जानी जाती हैं। वह गमेती इंट्रा-फैलोपियन ट्रांसफर तकनीक (Gamete Intrafallopian Transfer) की अग्रणी हैं। इस तकनीक के ज़रिये इंदिरा ने भारत के पहले शिशु को जन्म दिलवाया। उन्हें रजोनिवृत्ति और समय से पहले ओवरीयन विफलता (Menopausal, Overian Failure ) की रोगी महिलाओं के लिए oocyte दान तकनीक (Oocyte Donation) विकसित करने का श्रेय भी दिया जाता है। इंदिरा मुबंई के हिंदुजा हॉस्पिटल में डॉक्टर हैं।

सुनेत्रा गुप्ता

सुनेत्रा गुप्ता

वर्ष 1965 में जन्मी सुनेत्रा गुप्ता(Sunetra Gupta) वर्तमान में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के ज़ूलॉजी डिपार्टमेंट(Zoology Department of Oxford University) में सैद्धांतिक महामारी(Theoretical Epidemiology) की प्रोफेसर हैं। वे ब्रिटिश-भारतीय संक्रामक रोग महामारी(British-Indian Infectious Disease Epidemiology) विशेषज्ञ हैं। सुनेत्रा ने मलेरिया, इन्फ्लूएंज़ा और कोविड-19 (Malaria, Influenza and Covid-19)समेत विभिन्न संक्रामक रोगों के प्रसार की गतिशीलता पर भी शोध किया है। उन्हें जुलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन (Zoological Society of London) के वैज्ञानिक अवार्ड और रॉयल सोसाइटी के रोसलिंड फ्रेंकलिन पुरुस्कार (Rosalind Franklin Award of Royal Society) से सम्मानित किया गया है।

नंदिनी हरिनाथ

नंदिनी हरिनाथ

नंदिनी हरिनाथ(Nandini Harinath) बेंगलूरु में इसरो(Indian Space Research Organisation- Bengluru) के सैटेलाइट सेंटर में एक रॉकेट साइंटिस्ट हैं। 20 वर्षों के अब तक के कार्यकाल में नंदिनी ने 14 मिशनों में सफलता हासिल की है। मंगल आर्बिटर मिशन के लिए वह डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर (Deputy Operation Director on Mars Orbiter Mission) के पर नियुक्त थीं। नंदिनी मिशन प्लानिंग, एनालिसिस और अंतरिक्ष संबंधी ऑपरेशन पर आधारित एक रिसर्च-पेपर पर सह लेखिका के रुप में भी काम कर चुकी हैं।

रोहिणी गोडबोले

रोहिणी गोडबोले

रोहिणी गोडबोले (Rohini Godboley) एक भारतीय भौतिकी विज्ञानी (Physicist) और बेंगलूरु में भारतीय विज्ञान संस्थान के उच्च ऊर्जा भौतिकी विज्ञान केंद्र(High Energy Physics, Indian Institute of Science- Bengluru) में प्रोफेसर हैं। तीन दशकों से रोहिणी विशेष रुप से पार्टिकल फिज़िक्स के मानक मॉडल और फिज़िक्स(Standard Model of Partical Physics) के ही विभिन्न पहलूओं पर काम कर रही हैं। इसके अलावा रोहिणी तीनों भारतीय विज्ञान एकेडमी में और साइंस एकेडमी ऑफ द डेवलपिंग वर्ल्ड (Science Academy of Developing World) में एक निर्वाचित सदस्य भी हैं।

मंगला नार्लीकर

मंगला नार्निकर

मंगला एक नार्लीकर(Mangla Narlikar) ने पुणे और मुंबई यूनिवर्सिटी में सरल गणित और उन्नत गणित(Simple Airthmatic and Advanced Mathematics) दोनों ही क्षेत्रों में अभूतपूर्व काम किया है। मैथ्स में अपनी डिग्री लेने के बाद मंगला ने आरंभ में मुबंई में ही टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च (Tata Institute of Fundamental Research- Mumbai) में काम किया है। उन्होनें विभिन्न मैथ्य सब्जेक्टस् पर इंगलिश और मराठी भाषाओं में कई किताबें और लेख प्रकाशित किये हैं।

परमजीत खुराना

परमजीत खुराना

परमजीत खुराना (Paramjeet Khurana) प्लांट बायोटैक्नोलॉजी जीनोमिक्स एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (Plant Bio-Technology and Molecular Biology, Genomics ) के क्षेत्र में वैज्ञानिक हैं। अभी तक परमजीत के 125 से भी अधिक साइंस लेटर्स पब्लिश हो चुके हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्लांट मॉलिक्यूलर बायोलॉजी डिपार्टमेंट में प्रोफेसर हैं। साल 2011 में इंटरनेशनल वीमेंस डे के अवसर पर परमजीत को गन्तव्य संस्थान से सर्टिफिकेट ऑफ ऑनर मिल चुका है।

अदिति पंत

अदिति पंत

एलिस्टर हार्डी लिखित पुस्तक ‘ओपन सी’ (Open Sea – Alister Hardy) से प्रेरित होकर समुद्री विज्ञानी बनी अदिति पंत (Aditi Pant) ने अमेरिकी गवर्मेंट से मिली स्कोलरशिप के तहत हवाई यूनिवर्सिटी (Hawai University) से समुद्र विज्ञान में एम.एस. (MS in Sea Science) किया है। अदिति पहली भारतीय महिला वैज्ञानिक हैं जिन्होनें अंटार्कटिका की यात्रा की है। भू-विज्ञान और समुद्रशास्त्र का अध्ययन करने के लिए यह यात्रा 1983 के भारतीय अभियान के अंतर्गत आयोजित की गई थी। अदिति नें लंदन के वेस्ट फील्ड कॉलेज से अपनी पीएचडी पूरी की। उसके बाद गोवा में नेशनल सी-साइंस ऑर्गेनाइज़ेशन (National Sea Science Organisation) में शामिल होने के लिए भारत लौट आई।

टेसी थॉमस

टेसी थोमास

‘मिसाइल–महिला’ (Missile Woman) की उपाधि से सम्मानित टेसी थॉमस (Tessy Thomas) मिसाइलों की अग्नि श्रृंखला के सफल प्रक्षेपण के लिए जानी जाती हैं। बता दें कि टेसी लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अवार्ड से भी सम्मानित हैं। वह रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation) में अग्नि–IV और अग्नि-V(Agni –IV and Agni-V) मिसाइल प्रोजेक्ट की डायरेक्टर रहने के साथ-साथ पहली भारतीय महिला पत्रकार के रुप में भी जानी जाती हैं।

चारुसिता चक्रवर्ती

चारुसिता चक्रबर्ती

1999 से चारुसिता चक्रवर्ती (Charusita Chakroborty) भारतीय प्रौधोगिकी संस्थान, दिल्ली रसायन शास्त्र की प्रोफेसर थीं। 2009 में उन्होनें रसायन विज्ञान के क्षेत्र में विज्ञान और प्रौधोगिकी के लिए शांति स्वरुप भटनागर पुरुस्कार(Shanti Swarup Bhatnagar Prize for Science and Technology) से सम्मानित किया गया है। 1999 में ही बीएम बिड़ला पुरुस्कार से सम्मानित चारुसिता को सेंटर फॉर कम्प्यूटेशनल मैटेरियल साइंस, जवाहर नेहरु सेंटर फॉर एंजवांसड साइंटिफिक रिसर्च, बैंगलोर (Centre for Computational Material Science, JawaharLal Nehru Centre for Advanced Science) की एसोसिएट मेंम्बर के रुप में नियुक्त किया गया। चारुसिता ने क्लासिकल एंड क्वांटम मोंटे कार्लो आणविक गतिशीलता और उनकी सरंचना और लिक्विड मैटिरियल गतिशीलता (Sturcture of Classical Quantum Montey Carlo Molecular Mobility and Mobility of Liquid Material ) पर काम किया है।

शुभा टोल

शुभा टॉल

न्यूरोसाइंस की फील्ड में शुभा टोल (Shubha Tole) का नाम सम्मान से लिया जाता है। शुभा ने एक मास्टर रेगुलेटर जीन की खोज की है जो ब्रेन के कॉर्टेक्स हिप्पोकैम्पस और एमिग्डाला (Brain Cortex Hippocampus and Amygdala) के विकास को नियंत्रित करता है। 2010 में शांति भटनागर पुरुस्कार प्राप्तकर्ता शुभा वर्तमान में मुंबई के इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (Tata Institute of Fundamental Research-Mumbai) में काम करती है।

अर्चना झा दिल्ली की रहने वाली हैं, पत्रकारिता में रुचि होने के कारण अर्चना जामिया यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और अब पत्रकारिता में अपनी हुनर आज़मा रही हैं। पत्रकारिता के अलावा अर्चना को ब्लॉगिंग और डॉक्यूमेंट्री में भी खास रुचि है, जिसके लिए वह अलग अलग प्रोजेक्ट पर काम करती रहती हैं।

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