ज्यादातर लोगों को लगता है कि एक किसान का बेटा किसान हीं बनेगा। परंतु ऐसा नहीं है कि पुत्र भी अपने पिता के दिखाए राह पर चले। एक किसान का बेटा भी अपनी योग्यता के आधार पर अच्छी-खासी नौकरी कर सकता है तथा अपनी एक अलग पहचान बना सकता है। एक गरीब का बेटा या किसान का बेटा भी IAS, IPS, डॉक्टर, इंजीनियर ऐसे हीं और भी बहुत कुछ बन सकता है।
आज हम आपको एक ऐसे ही किसान के बेटे के बारे में बताने जा रहे है, जिसने एक कॉन्सटेबल के पद पर कार्य करने के बाद भी कुछ बड़ा करने की चाह मे अपनी मेहनत जारी रखा। आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और वह कॉन्सटेबल (Constable) से सीधे एक IPS बनकर अपना और अपने पिता का नाम गर्व से उंचा कर दिया। आईए जानते हैं अन्न्दाता किसान के बेटे के बारे में।
विजय सिंह गुर्जर (Vijay Singh Gurjar) राजस्थान (Rajasthan) के झुंझनू जिले के देवीपुरा गांव के रहनेवाले हैं। उनके पिता का नाम लक्ष्मण सिंह है। वह बहुत हीं सामान्य किसान परिवार से आते हैं। ज्यादातर देखा जाता है कि एक बार सरकारी नौकरी लगने के बाद लोग अपनी बाकी की जिन्दगी भी उसी में निकाल देते हैं। परंतु विजय सिंह वैसे लोगों मे से नहीं थे। उन्होंने बेहतर करने की दिशा में हमेशा अपनी मेहनत जारी रखी। उन्होंने वर्ष 2017 में यूपीएससी की परीक्षा में 5वीं प्रयास मे 574वीं रैंक हासिल कर के प्रेरणा का मिसाल पेश किया। लेकिन एक कॉन्सटेबल से IPS बनने तक का सफर इतना आसान नहीं था। वह एक बहुत आसाधरण छात्र थे इसलिए उनका कहना है कि यदि वह कर सकते हैं तो कोई भी कर सकता है।
विजय ने कठिन परिश्रम करके अपने परिवार की पहली सरकारी नौकरी दिल्ली पुलिस में हवलदार के पद पर हासिल की थी। विनय की पढ़ाई-लिखाई उनके गांव के सरकारी हिंदी माध्यम (Hindi Medium) स्कूल से हुई। विजय के पिता खेती-बाड़ी करके घर-परिवार का आजीविका चलाते थे। विजय अपने पिता के इस कार्य में हाथ बंटाते थे। वह सुबह 4:00 बजे उठकर खेतों में कार्य करने के लिए जाते थे उसके बाद फिर सुबह 7:00 बजे से हीं स्कूल जाते थे। उनके घर की स्थिति अच्छी नहीं होती थी। इसलिए वह ऊंटों को जुताई कार्य के लिए ट्रेंड करते थे। विजय ट्रेन उठो को पुष्कर मेले में बिक्री करने का कार्य भी करते थे। इससे उनके घर-परिवार का खर्च निकल जाता था। विजय के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के वजह से वह 10वीं तक हीं पढ़ पाए। विजय ने आगे की पढ़ाई पत्राचार से किया तथा नौकरी की तलाश करने लगे।
नौकरी की तलाश करने के साथ-साथ उन्होंने सरकारी नौकरी की भी तैयारी कर रहे थे। विजय के एक दोस्त जो दिल्ली पुलिस में था, उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस में हवलदार की भर्ती का फॉर्म निकला है। इस बात की जानकारी मिलने के बाद विजय ने उसका फॉर्म भर दिया और उसकी तैयारी में जुट गए। दिल्ली पुलिस में हवलदार के पद पर नौकरी पाने के लिए विजय ने पूरे लगन और मेहनत के साथ तैयारी किया। उनकी मेहनत रंग लाई और वे बहुत अच्छे नंबरों से चयनित हुए थे। विजय ने पढ़ाई में संस्कृत पढ़ने की वजह से अपने आप को कमजोर छात्र समझते थे परंतु दिल्ली पुलिस में पहले प्रयास में ही सफलता हासिल करने के बाद उनका मनोबल बढ़ा।
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दिल्ली पुलिस (Delhi Police) में हवलदार की नौकरी भी विजय और उनके परिवार के लिए बहुत बड़ी नौकरी थी। लेकिन विजय ने अपनी मेहनत जारी रखी तथा आगे बढ़ते रहे। विजय ने सब इंस्पेक्टर की परीक्षा दी तथा उसमें भी सफलता हासिल की। उसके बाद विजय ने वर्ष 2014 में यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करना आरंभ कर दिया उन्होंने यूपीएससी (UPSC) परीक्षा के अपने चौथे प्रयास में सफलता हासिल कर के इनकम टैक्स ऑफिसर की नौकरी की। इनकम टैक्स ऑफिसर बनने के बाद भी उन्होंने अपने कदम नहीं रुकने दिया क्योंकि उन्हें एक आईएएस बनना था।
विजय ने अपनी कोशिश जारी रखी तथा वर्ष 2017 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा फिर से दिया। उन्होंने पांचवें प्रयास में 574 वी रैंक हासिल किया। उसके बाद उनका चयन इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) में हुआ।
वह अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को देते हैं, जिन्होंने तमाम विपरीत परिस्थितियों के बाद भी पढ़ाया-लिखाया। वे कभी भी अपने आप को कभी भी पढ़ाई-लिखाई में कमजोर नहीं समझा। वह हमेशा आगे बढ़ते रहे। हार ना मानकर हमेशा आगे बढ़ते रहना हीं उनकी सफलता का मंत्र है।
The Logically विजय सिंह गुर्जर के मेहनत, सच्ची लगन और कभी ना रुकने की सोच को हृदय से नमन करता है। उन्होंने कभी न रुकने तथा हार न मानने की बेहद खूबसूरत मिसाल पेश किया है।