Sunday, December 10, 2023

गांव में पली बढ़ी, असुविधाओं के बीच रही, लेकिन अपने मेहनत के दम पर आज ‘रैना’ बन चुकी हैं सहायक जिलाधिकारी

मन के हारे हार हैं, मन के जीते जीत.
उत्साही का क्या करे, गर्मी, वर्षा, शीत.

अगर हम कड़ी मेहनत करें और इरादा नेक हो तो हमें हमारे मंजिल पाने से कोई नहीं रोक सकता। आज की हमारी कहानी एक ऐसी ही लड़की की है जिसने अपने जीवन में ना कभी हार मानी और ना ही समझौता किया। कई सालों के कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार उसे सफलता मिल ही गई और उसने अपने सपने को पूरा किया।

रैना जमील (Raina Jamil)

रैना जमील झारखंड (Jharkhand) के छोटे से गांव छाताबाद की रहने वाली हैं। रैना का बचपन से एक ही सपना था.. आईएएस बनने का। साल 2016 में रैना यूपीएससी की परीक्षा में 882वीं रैंक के साथ सफल हुई, जिससे उन्हें इंडियन इंफॉर्मेशन सर्विस नियुक्त किया गया। ना चाहते हुए भी रैना ने यह जॉब की और इसके साथ ही वह फिर से अपने सपने को पूरा करने की तैयारी में जुट गई। साल 2017 में उन्होंने फिर से सिविल सेवा की परीक्षा दी, लेकिन वे प्रीलिम्स परीक्षा में पास नहीं हो पाई। इस असफलता से रैना दुखी जरूर हुई, परंतु हार नहीं मानी। वापस से तैयारी की और साल 2018 में तीसरी बार परीक्षा दी। इस बार उनकी मेहनत रंग लाई और वह सफल हुई।

 duputy collector Raina

380वीं रैंक के साथ रैना यूपीएससी की परीक्षा में हुई पास

रैना अपने तीसरे प्रयास में 380वीं रैंक के साथ सफल हुई और आईएएस बन अपने सपने को पूरा किया। ओबीसी कोटे से होने के बावजूद रैना ने कुल 984 अंक प्राप्त किए थे। साल 2019 में रैना ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी (Mussoorie) से आईएएस अफसर की ट्रेनिंग पूरी की। रैना वर्तमान में आईएएस छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में चार्ज संभाल रही हैं। अब वह छत्तीसगढ़ जिले के असिस्टेंट कलेक्टर का काम कर रही हैं।

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रैना के परिवार ने दिया उनका पूरा साथ

रैना बताती हैं कि आईएएस बनने के सफर में उनके परिवार ने उनका पूरा साथ दिया। आमतौर पर झारखंड (Jharkhand) में लड़कियों की शिक्षा को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता। ऐसे जगह से रैना ऐसी मुकाम हासिल कर अपने गाँव तथा राज्य का गौरव बढ़ा रही हैं। रैना के पिता मोहम्मद जमील (Mohammad jamil) अंसारी टाटा कंपनी से सेवानिवृत्त हैं। उनके बड़े भाई रौनक (Raunak) इंडियन रेवेन्यू सर्विस में हैं तथा उनके छोटे भाई इंजीनियर हैं। एक छोटी बहन भी है जो मास्टर्स कर रही हैं।

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रैना की पढाई का सफर

रैना बताती हैं कि वह जिस गाँव में रहती थी, वहाँ हर तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं थी, फिर भी उन्होंने अपनी तैयारी में कोई कमी नहीं आने दिया। रैना जमील विज्ञान की छात्रा थीं, इस वजह से उन्हें यूपीएससी के समय आर्ट्स के विषय में बहुत दिक्कत होती थी। यूपीएससी की परीक्षा के दौरान रैना के भाई ने उनकी बहुत मदद की। रैना की आठवीं तक की शिक्षा गांव के एक उर्दू स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने हाईस्कूल, इंटरमीडिएट पास की। जूलॉजी विषय के साथ बीएससी किया और उसके बाद बीएड और एमएससी भी की।

50 किलोमीटर का सफर तय कर जाती थी कॉलेज

रैना ने यूपीएससी परीक्षा में अपना ऑप्शनल सब्जेक्ट जूलॉजी को चुना। रैना को कॉलेज जाने के लिए रोजाना 50 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। कभी ऑटो, कभी बस या फिर कभी घंटों पैदल चलकर वह अपने कॉलेज तक पहुंचती थी। रैना बताती है कि यूपीएससी की परीक्षा में बिना रणनीति के आप सफलता प्राप्त नहीं कर सकते। इसलिए बहुत जरूरी है कि आप अपना रणनीति तैयार करें कि किस तरीके से आपको अपना पूरा सिलबस समय रहते कंप्लीट करना है और सिलबस खतम होते ही रिवीजन के लिए भी समय निकालना है।

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रैना देती हैं यूपीएससी परीक्षा की टिप्स

रैना यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के लिए सलाह देती हैं कि पिछले वर्ष के सफल हो चुके कैंडिडेट से प्रश्न पूछे तथा नेगेटिव मार्किंग का अनुभव ले। इससे तैयारी करने में बहुत मदद मिलती है। इसके अलावा ज्यादा किताबें इकट्ठा न करें। इससे रिवीजन करने में आसानी होती है। रैना एनसीईआरटी की किताबों को तैयारी के लिए बेहतर मानती हैं। रैना प्री और मेंस परीक्षा के लिए कहती हैं कि एक बार पढ़ना काफी नहीं होता। इसलिए छोटे-छोटे नोट्स बनाएं और उससे रिविजन करते रहें। इसके अलावा ताजा घटनाक्रम और खबरों से अपडेट रहना भी बहुत जरूरी है। अंत में रैना कहती हैं कि विश्वास और पक्की तैयारी के साथ यूपीएससी की परीक्षा दें, सफलता जरूर मिलेगी।

The Logically रैना जमील के कड़ी मेहनत की तारीफ करता है और उन्हें उनकी सफलता के लिए बधाई देता है।