पर्यावरण का संतुलन बनाये रखने के लिए अधिक मात्रा में पेड़-पौधे लगाने के साथ साथ कचरे पर भी नियंत्रण बहुत ज़रूरी है। जब तक प्लास्टिक का उपयोग कम नहीं होगा तब तक हमारे बीच पर्यावरण को लेकर दिक्कतें आती रहेंगी। हालांकि ऐसे कई स्टार्टअप हैं जहां आप अपने घर का कचरा देकर अपने उपयोग का सामान ले सकतें हैं।
स्वच्छ केरल कंपनी लिमिटेड ने समाचार-पत्र, प्लास्टिक शराब की बोतलें, दूध के पैकेट, कांच की बोतलें, एल्यूमीनियम के डिब्बे और कार्डबोर्ड सहित रिसाइकल, नन-बायोडिग्रेडेबल कचरे के लिए मूल्य देने की घोषणा की है। देश में इस तरह की यह पहली पहल है। केरल सरकार के तहत एक कंपनी ने रीसायकल, नन-बायोडिग्रेडेबल कचरे के वेरिएंट के लिए आधार मूल्य तय किए हैं।
स्थानीय स्वशासन विभाग के तहत गठित क्लीन केरल कंपनी लिमिटेड (CKCL) के इस कदम को हरित कर्म सेना (HKS) के स्वयंसेवकों को अतिरिक्त आय सहायता प्रदान करने के प्रयास के रूप में माना जा सकता है। ये राज्य भर के घरों और कार्यालयों से बायोडिग्रेडेबल और नन-बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट इकट्ठा करतें हैं।
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कचरों के जो मूल्य तय हुए है वो इस प्रकार है:- अगर 1 किलोग्राम दूध के पैकेट हुए तो उसका मूल्य 12 रुपये, वही प्लास्टिक की बोतलों के लिए 15 रुपये, प्लास्टिक की शराब की बोतलों के लिए 12 रुपये, एल्यूमीनियम के डिब्बे के लिए 40 रुपये और समाचार पत्रों के लिए 8-20 रुपये वहीं कार्डबोर्ड के लिए 4 रुपये है। केरल एक दिन में 1808 टन नन-बायोडिग्रेडेबल कचरे का उत्पादन करता है, जिनमें से प्लास्टिक 400 टन से अधिक है।
घरों से नन-बायोडिग्रेडेबल कचरे को इकट्ठा करते समय सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि वे सभी एक साथ मिश्रित होते हैं। इसमें प्लास्टिक के विभिन्न प्रकार जैसे पीपी, एचडीपी, हार्ड प्लास्टिक आदि शामिल रहतें हैं। प्रत्येक आइटम का एक अलग रिसाइकिल मूल्य होता है। इसलिए उचित मूल्य के लिए कचरे को एमसीएफ में अलग करना पड़ता है जिसमें श्रम का मूल्य काट लिया जाएगा तब लोगों को दिया जाएगा।
नन-बायोडिग्रेडेबल कचरे को वेरिएंट के अनुसार अलग करने और उन्हें सीकेसीएल को बेचने का काम पहले ही कई स्थानीय निकायों में शुरू हो चुका है। गणतंत्र दिवस पर एक राज्यव्यापी अभियान की योजना बनाई जा रही है जहां घर पर संदेश भेजने के लिए एचकेएस इकाइयों को चेक सौंपे जाएंगे कि कचरे की कीमत सभी को बताया जाये।