Wednesday, December 13, 2023

पिता नही हैं और माँ बीमार रहती हैं, खुशी आज इलाहाबाद में चाय बेचकर पूरे परिवार का खर्च उठाती हैं

आज हर कोई आत्मनिर्भर होना चाहता है। भलें हीं चंद रुपयों की कमाई हो पर लोगों को दूसरों के सामने हाथ फैलाकर सेल्फ रेस्पेक्ट से समझौता कबूल नहीं। आज की हमारी कहानी इलाहाबाद के एक ऐसी लड़की की है जो अपने पिता की मृत्यु के बाद अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए चाय की स्टॉल लगा ली। आत्मनिर्भर बनना कोई कठिन कार्य नहीं बल्कि जीवन के उद्देश्य को याद रख आगे बढ़ना होता है।

इलाहाबाद की छात्रा खुशी

हम जिनके विषय मे बात कर रहें हैं वह हैं, खुशी (Khushi), जो इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Allahabad University) की छात्रा हैं, पढ़ने में तेज-तर्रार और मेधावी छात्रों की श्रेणी में आती हैं। जब खुशी अपनी पढ़ाई के माध्यम से उड़ान भरने लगी तब इनके ज़िंदगी में एक कठिन दौर आया।

Khushi ki chai

खुशी के पिता नहीं हैं और मां का भी स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता

कुछ दिन पूर्व खुशी के पिता जी का देहांत हो गया। इनकी मां का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता। अगर कहा जाये कि खुशी अपनी ज़िंदगी के कठिन दौर से गुज रहीं हैं तो यह गलत नहीं होगा।

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tea

पढ़ाई जारी रखने के लिए खोली चाय की दुकान

अपने हालात को मद्दे नज़र रखतें हुए खुशी ने एक चाय की दुकान खोली। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की छात्रा खुशी ने यह काम शुरू किया तक पढ़ाई जारी रख सके। इनकी यह दुकान “स्टूडेंट टी पॉइंट” है जिसका स्थान सलोरी टी पॉइंट है। अपनी दिनचर्या को समाप्त कर खुशी शाम के वक़्त 3-4 घण्टे चाय बेंचती हैं।

आत्मनिर्भर होने के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखने का जो फैसला लिया है, यह सभी लड़कियों के लिए उदाहरण है।

वीडियो में खुशी की मेहनत और संघर्ष को देखें

चढ़ना है सफलता की सीढ़ी

खुशी अपने निकटतम भविष्य में IAS और PCS की सेवा ज्वॉइन करना चाहती हैं। इनके जीवन का उद्देश्य और आगे बढ़ना है। खुशी की सहायता दूसरी लड़कियां जो इनकी दोस्त हैं और बीए की छात्रा हैं तथा यूनिवर्सिटी के कुछ लड़के भी कर रहें हैं। इनके दोस्त हमेशा यह प्रयास करते हैं कि वह अकेली ना पड़ें।

Khushi ki chai

The Logically इलाहाबाद के नागरिकों और यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों से यह अपील करता है कि वे खुशी के टी पॉइंट पर जाए और इनके चाय का स्वाद जरूर चखें ताकि खुशी अपनी पढ़ाई जारी रख जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर सकें।