Sunday, December 10, 2023

रक्त चंदन यानी लाल चंदन जो आपको कर देगा मालामाल, इसकी खेती की विधि जान लीजिए

हम सभी चंदन की लकड़ी के बारे में तो बखूबी जानते हैं पर इसमें सबसे खास होती है लाल चंदन की लकड़ी। आपको बता दें कि हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘पुष्पा’ को लोग काफी पसन्द कर रहे हैं। अब आप सोचेंगे कि लाल चंदन के बीच ये फिल्म कहा से आ गई? तो आपको बता दें कि इस फिल्म में लाल चंदन के बारे में दिखाया गया है जिससे करोड़ों रुपए में तस्करी की जा रही है।

लाल चंदन की मांग मार्केट में अधिक है क्योंकि इसका इस्तेमाल बहुत से कामों में किया जाता हैं। जैसे – पूजा पाठ, इत्र आदि। यदि कोई किसान इसके खेती करने के बारे में अच्छी खासी जानकारी रखते हुए इसकी खेती करे तो वह इससे लाखों रूपए की कमाई कर सकता हैं।-Sandalwood Farming

भारत में पाए जाते हैं दो किस्म के चंदन

आपको बता दें कि भारत में दो तरह चंदन की खेती की जाती हैं, पहला सफेद और दूसरा लाल चन्दन। इस दोनों में लाल चंदन की डिमांड कुछ अधिक रहती हैं। आज की इस कहानी में हम आपको बताएंगे कि चन्दन की खेती हम सही तरीके से कैसे कर सकते है। अगर आप चंदन की खेती अच्छी तरह से कर पाए तो आप इससे अच्छी खासी पैसे कमा सकेंगे।

Know how to grow red sandalwood

लाल चंदन को कई अन्य नामों से जाना जाता है

लाल चंदन (red sandalwood) को एक जंगली पेड़ के रूप में माना जाता है। यहां तक कि इसे कई नामों से भी जाना जाता है जैसे- अल्मुग(almug), सौंडरवुड (Saunderwood), रेड सैंडर्स (red sanders), रेड सैंडर्सवुड (red sanderswood), रेड सॉन्डर्स (red saunders), रक्त चंदन (blood sandalwood), लाल चंदन (लाल चंदन), रागत चंदन (Ragat Chandan), रुखतो चंदन (Rukhto Chandan) आदि। इतना ही नहीं इसका एक वैज्ञानिक नाम पटरोकार्पस सैंटालिनस है।

यह अधिकतर कहा पाया जाता है?

लाल चंदन भारत की पूर्वी घाट की दक्षिणी भागों में आर्थिक रूप से पाया जाता है। चंदन के पेड़ को अधिक देखभाल की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है इसलिए अगर कम लागत में आप इसकी खेती कर लाखों मुनाफा कमा सकते हैं।

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एक टन की कीमत लगभग कितनी हो सकती है?

चंदन के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इसकी एक टन की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में करीब 30-40 लाख रुपए तक होती है। अधिकतर चीन और जापान में लाल चंदन की लकड़ी से बनाई गई उत्पादों की मांग होती है। इसके साथ ही इसके घरेलू मांग भी अधिक है। लाल चंदन का प्रत्येक पेड़ 500 किलोग्राम 10 साल की उपज देता है। आपको बता दें कि लाल चंदन के पेड़ की प्रजाति का विकास बहुत ही धीरे-धीरे होता है। साथ ही इसकी सही मोटाई होने में कुछ दशक लग जाते है।

लाल चंदन के क्या है विशेषताएं अथवा उपयोग

लाल चंदन की विशेषता यह है कि यह एक छोटा पेड़ होता है और इसकी ऊंचाई 5-8 मीटर तक बढ़ता है। यह गहरे लाल रंग का होता है। चंदन की लकड़ी का उपयोग विभिन्न तौर पर किया जाता है। जैसे- फर्नीचर, नक्काशी, डंडे और घर के लिए किया जाता है। इतना ही नहीं चंदन का उपयोग पूजा पाठ के लिए भी मुख्य रूप से किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग संगीत वाद्य यंत्र बनाने के लिए भी किया जाता है। साथ ही साथ लाल चंदन की लकड़ी का प्रयोग सैंटालिन, दवा और सौंदर्य प्रसाधन के निष्कर्षण के लिए किया जाता है।

उपयोगी मिट्टी अथवा जलवायु लाल चंदन की खेती के लिए है जरुरी

लाल चंदन की खेती के लिए सुखा (गर्म) जलवायु की जरुरत होती है अथवा अच्छे जल निकास वाली दोमन मिट्टी की आवश्यकता होती है। आपको बता दें कि इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 4.5-6.5 पीएच होना बेहद जरूरी है। लाल चंदन की खेती रेतीले और बर्फीले इलाकों में असंभव है।

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लाल चंदन की खेती कब करनी चाहिए?

हम सभी यह जानते है कि लाल चंदन की खेती के लिए गर्म वातावरण की जरूरत होती है। इस कारण भारत में इसकी खेती करने का सही समय मई से जून तक किया जा सकता है।

लाल चंदन के साथ होस्ट का पौधा भी लगाएं

लाल चंदन की खेती करने के बाद आप इसमें होस्ट का पौधा भी लगा सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि होस्ट के पौधे की जड़े, चंदन की जड़े जैसी ही होती है इसलिए इसे चंदन के पेड़ो के साथ लगाना चाहिए। ऐसा करने से लाल चंदन का विकास तेजी से होता है। आपको बता दें कि लाल चंदन के पेड़ों से इसकी दूरी करीब 4 से 5 फूट की दूरी पर लगाना चाहिए।

लाल चंदन का पौधा कहां से मिलेगा और इसकी कीमत कितनी हो सकती है?

लाल चंदन का पौधा अगर आपको लेना है तो आप किसी भी सरकारी अथवा प्राइवेट नर्सरी से ले सकते हैं। बात करें इसकी कीमत की तो 120 रूपए से लेकर 150 रुपए तक होती है। इसके साथ लगने वाले होस्ट की कीमत लगभग 50 से 60 रुपए तक होती है।

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खेत की तैयारी कैसे करें लाल चंदन के लिए

लाल चंदन की खेती के लिए मिट्टी की जुताई बार-बार करनी पड़ती है। इसके लिए पहले खेत की दो से तीन बार ट्रैक्टर से जुताई करें। इसके बाद फिर एक बार कल्टीवेटर से खेत की जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बनाएं। इतना सब करने के बाद खेत को मिलाने के लिए पाटा लगाया जाता है। इसके बाद खेत में 45 सेमी x 45 सेमी x 45 सेमी आकार के साथ 4 मीटर & 4 मीटर की दूरी पर गड्ढे खोदे। इसके बाद आपका खेत तैयार हो जाता है तो अब खेत में 45 सेमी लाल चंदन के पौधें को दो 10 x10 फीट की दूरी पर लगाएं।

आपको बता दें कि इसके पेड़ भी लगाया जाता है। तो अगर आपको इसके पेड़ लगाना हो तो आपको इसके दो से तीन वर्ष के पौधे हीं लगाने चाहिए। पेड़ लगाने से आपको एक फायदा यह है कि आप इसे किसी भी मौसम में लगा सकते हैं और साथ ही इसके अधिक देखभाल भी नही करनी पड़ती है। इसमें एक और बात का ध्यान रखना जरूरी है। इसे कभी भी निचले स्थान पर नही लगाना चाहिए इसलिए इसे अधिकतर खेतों के मेड़ पर ही लगाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इसके पौधें के पास पानी का जमाव न हो।

खाद एवं उर्वरक का कड़े प्रयोग

बरसात की शुरुआती दिनों में दो से तीन टोकरी गोबर की सड़ी हुई खाद 2 किलो नीम की खली 1 किलो सिंगल सुपर फास्फेट मिट्टी में अच्छी तरह मिलाकर गड्ढा भर दें। इसके बाद बारिश के मौसम के बाद थाला बनाकर
आवश्यकतानुसार सिंचाई करे।

सिंचाई प्रबंधन

लाल चंदन के पौधों को सप्ताह में दो से 3 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इसके बारे में अधिक जानकारी वाले व्यक्ति बताते हैं कि चंदन के पेड़ को पानी के लगने से बीमारी का खतरा बढ़ जाता है इसलिए चंदन के पौधों को जलभराव की स्थिति से बचाना आवश्यक होता है। आपको बता दें कि खेत में लाल चंदन के पौधों के पास ऐसा व्यवस्था करना चाहिए, जिससे कि जलभराव ना हो।

बात इसकी सिंचाई की करें तो इसके पौधों की रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करनी चाहिए। इसके बाद मौसम की स्थिति के आधार पर 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।

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खरपतवार नियंत्रण के उपाय

कई बार फसलों को खरपतवार की वजह से नुकसान हो जाता है। इस कारण हमें खरपतवार के प्रकोप से फसल को बचाना चाहिए। वैसे ही लाल चंदन के पौधों के आसपास भी खरपतवार उग आती है, जो पौधों के विकास के लिए हानिकारक होती है, इसलिए समय-समय पर खरपतवार को हटाकर ठीक से सफाई करवानी चाहिए। लाल चंदन के पौधे को पहले 2 साल तक खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए।

कीट और रोग नियंत्रण के उपाय

लाल चंदन के पेड़ में पत्ती खाने वाली इल्ली का प्रकोप भी बहुत अधिक होता है इसलिए इल्ली से इसका बचाव करना बहुत जरूरी होता है। आपको बता दें कि यह इल्ली अप्रैल से मई तक फसल को नुकसान पहुंचा सकती है इसलिए सप्ताहिक अंतराल पर दो बार 2% मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव जरूर करें ताकि इसे नियंत्रण किया जा सके।

तो ये थे लाल चंदन के बारे में कुछ खास जानकारी। हमे पूर्ण विश्वास है कि आपको इस लेख द्वारा मिली जानकारी आपके लिए फायदेमंद साबित होंगे। यदि आप भी लाल चंदन की खेती करना चाहते हैं तो इस तरीके का इस्तेमाल अवश्य करें।