पैंगोलिन एक ऐसा जीव है, जिसके खाल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाज़ार मे 24 हजार रूपये तक है, इसके मांस को चीन तथा वियतनाम समेत अन्य कई देशों मे बड़े चाव से खाया जाता है तथा दवाओं के निर्माण में भी इसका उपयोग होता है। शायद इसीलिए इस जीव की अवैध तस्करी दुनिया भर में सबसे अधिक होती है। भारत के उड़ीशा (odisha) मे बड़े पैमाने पर पैंगोलिन की अवैध तस्करी होती है। अपने नेटवर्क के जरिए तस्कर यहां छिपकर तस्करी करते है। वर्ष 2019 मे एक फारेस्ट अफसर ने इस तस्करी का पता लगाया। बिना अपनी जान की परवाह किए इस अफसर ने 28 लोगो को गिरफ्तार किया, इस अफसर का नाम सस्मिता लेंका (sasmita lenka) है, वह मौजूदा समय में भुवनेश्वर जिला मुख्यालय में उप वन संरक्षक के पद पर तैनात हैं।
कैसे लगाया तस्करों का पता
उन्होंने बताया,” पैगोलिन की उपस्थिति की जानकारी इस क्षेत्र में किसी को नहीं थी। अवैध व्यापार के क्षेत्र में अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई, यहां के स्थानीय लोगो को भी इसकी कोई जानकारी नहीं थी। बहुत लोगो को लगता था कि ये एक पक्षी है लेकिन मुझे विश्वास था कि तस्कर गिरोह इस क्षेत्र में काम कर रहा है तो मैंने उस क्षेत्र में कुछ अधिकारियों को नजर रखने के लिए तैनात किया। एक महीना के भीतर ही मैंने 3 पैंगोलिन को बरामद किया और 28 तस्करों को हिरासत में लिया। हालांकि 3 पैंगोलिन मे से 1 पैंगोलिन मर चुकी थी।
आगे वो बताती है कि,” ये गिरोह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करता है। पैंगोलिन को कालाबाजारी के लिए चीन,वियतनाम,म्यांमार तथा अन्य कई देशों में भेजा जाता है। कोई एजेंट इलाके के आदिवासी लोगो पूछता है कि पैंगोलिन कहां मिलती है, और कुछ रुपयों के लिए स्थानीय लोग एजेंट को पैंगोलिन लाके देते है हालांकि ग्रामीणों को अवैध कार्यों की जानकारी नहीं थी और एजेंटो के द्वारा सभी जानकारी ऑनलाइन पहुंचाया जाता है। एजेंटो के लेन- देन में इसकी कीमत लाखों तक लगाई जाती है। इसको समुंद्री तथा जमीन के रास्ते से दूसरे देश भेजा जाता है।
वयस्क पैंगोलिन की कीमत 10 लाख तक
सास्मिता बताती है,” एक वयस्क पैंगोलिन की कीमत लगभग 10 लाख रूपये होती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार मे चार इंच स्केल के पैंगोलिन की कीमत 10,000 मिल सकते है और इन स्कैल्स को ग्राम में तौला जाता है तो सोच सकते है जब्त किए गए पांच किलो स्कैल्स की कीमत कितनी होगी।”
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ग्रामीण लोगो को किया जागरूक
उन्होंने स्थानीय लोगो को पूरा जागरूक किया, ग्रामीणों को पैंगोलिन के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें किसी भी अवैध कार्य के बारे में जानकारी नहीं थी लेकिन अब वो पैंगोलिन के संरक्षण के लिए पूरा योगदान देंगे।
संयुक्त राष्ट्र से एशिया पर्यावरण प्रवर्तन पुरस्कार से किया सम्मानित
वन अधिकारी सस्मिता लेंका को इस कार्य के लिए संयुक्त राष्ट्र से एशिया पर्यावरण प्रवर्तन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लेंका कहती है,”मुझे खुशी है कि मेरे प्रयासों को एक पहचान मिली है। लेकिन यह काम तभी रुकेगा, जब पैंगोलिन पर खतरा कम जायेगा और इस जानवर को लुप्त होने से बचा लिया जायेगा।” पैंगोलिन तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ करने के लिए ‘जेंडर लीडरशिप एंड इंपैक्ट’ श्रेणी के तहत यह सम्मान प्रदान किया गया।