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17.2 KG की एक गोभी, लाहौल स्पीति के किसान ने इस तरह उगाया अनोखा फसल: खेती बाड़ी

देश के नवयुवकों में कृषि का प्रचलन बढ़ते ही जा रहा हैं। युवकों के साथ-साथ बुजुर्गों को भी खेती बेहद आकर्षित कर रही है। ऐसे कई लोग कृषि से जुड़ने लगे हैं जिन्होंने पहले कभी कृषि नहीं की थी। सभी नई-नई विधि से खेती कर रहें हैं। नये प्रयोगों के साथ किसान रासायनिक खेती न कर के जैविक खेती में अधिक रुचि रख रहें हैं। जैविक खेती से किया गया उत्पादन सेहत के लिये भी अच्छा होता है और इससे पैदावार भी अच्छी होती है।

कुछ समय पहले सुनने को मिला कि एक किसान ने 19 फीट लम्बे गन्ने का उत्पादन किया है। ऐसे ही कई सारी आश्चर्यजनक बाते सामने आती है। आज की कहानी भी एक किसान की है जिन्होंने जैविक खेती से 17.2 किलो की गोभी उगाकर सबको अचंभित कर दिया है। तो आइये जानते है यह कैसे सम्भव हुआ।

जैसा की हम सभी जानते है हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पिती (Lahaul Spiti) के आलू और मटर पूरे देश और दुनिया में बेहद प्रसिद्ध है। लाहौल में बहुत बड़े पैमाने पर नकदी फसलों का उत्पादन किया जाता है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि लाहौल की अर्थव्यवस्था इन्हीं दो फसलों के उत्पादन पर टिकी हुईं है। लाहौल में सेब का उत्पादन भी अच्छा होता है।

cabbage

सुनील कुमार (Sunil Kumar) हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के लाहौल के रलिन्ग गांव के किसान हैं। इन्होनें स्नातक तक की शिक्षा हासिल की है। सामान्यतः देखा जाता है कि एक गोभी का वजन लगभग 2 या 3 किलो तक होता है। लेकिन सुनील कुमार ने जैविक कृषि के माध्यम से नया प्रयोग कर के अपने खेत में 17.2 किलों का गोभी का फूल तैयार किया। इतना बड़ा गोभी का फूल देखकर सभी बहुत हैरान हैं।

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अपने खेत में नया प्रयोग कर के सुनील कुमार द्वारा उगाये गये 17 किलो के गोभी ने देश के कृषि विश्वविद्यालय तथा कृषि अनुसंधान केंद्र के सभी वैज्ञानिकों को आश्चर्यचकित कर दिया है। सुनील कुमार ने बताया कि उनका परिवार आरंभ से ही जैविक खेती पर अधिक ध्यान देता है। गोभी का फूल लगभग 2 या 3 Kg का होता है, लेकिन सुनील कुमार ने अपने खेत में नये प्रयोग के माध्यम से 17 किलो के गोभी का फूल उगाया है।

The Logically सुनील कुमार को जैविक खेती करने के लिये धन्यवाद देता है तथा अपने पाठको से अपील करता है कि वह भी रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती को अपनाये। इससे स्वयं को और अपने परिवार को सुरक्षित रखें।

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