हिंदु मान्यताओं के मुताबिक महिलाओं को अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति नही दी गई है। लेकिन कोरोनाकाल में जब लोग घरों में रहते हुए भी संक्रमण से डर रहे थे ऐसे में उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर (Lucknow city in Uttar Pradesh) की रहने वाली वर्षा शर्मा (Versha Sharma) ने कोरोना का ग्रास बन चुके लावारिस लोगों की लाशों का अंतिम संस्कार करवाने का बीड़ा उठाया। वर्षा कवियत्री व समाज सेविका होने के साथ-साथ बतौर लखनऊ स्टेट गवर्मंट एम्पलोई काम करती है। अपनी संस्था ‘एक दिव्य कोशिश’ के माध्यम से वर्षा एक लंबे अरसे से इस दिशा में काम कर रही हैं।
लॉकडाउन के चलते लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करवाया वर्षा ने
कोरोना के समय में जब अपने सगे-संबधियों के गुज़र जाने पर उनका अंतिम संस्कार करते हुए लोगों के भीतर संक्रमित होने का डर घर कर चुका था ऐसे में लखनऊ की वर्षा वर्मा ने आगे बढ़कर लावारिस लाशों के लास्ट क्रिमेशन यानी अंतिम संस्कार करने का जिम्मा ले लिया। इस बारे में वर्षा कहती हैं- “लॉकडाउन में लोग अपने घरों में कैद थे। इसी दौरान मेरी नज़र एक लावारिस लाश पर पड़ी, जिसका दाह संस्कार करने वाला कोई नही था। सामाजिक गतिविधियों में व्यस्त रहने वाले लोगों का ध्यान भी शायद इस ओर नही गया था, इन परिस्थितियों में मैने तय किया कि जिंदगी के अंत समय में जिसका कोई नही उसका साथ मैं दूंगी”
वर्षा अब तक 10 से ज़्यादा लाशों का अंतिम संस्कार करवा चुकी हैं
India Times की एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के दौरान वर्षा ने 10 से अधिक लाशों का अंतिम संस्कार करवाया।
बुज़ुर्गों की भी मदद की वर्षा ने
लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करवाने के अतिरिक्त वर्षा नें लॉकडाउन में कई बुज़ुर्गों को खाना भी खिलाया। यहां तक कि बुज़ुर्ग महिलाओं को नहलाने-धुलाने से लेकर सब वो काम करवाये जो एक बेटी अपनी मां के लिए कर सकती है।
लॉकडाउन से पहले भी कई लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करवाने में सहायक बनी हैं वर्षा
समाज सेविका वर्षा वर्मा द्वारा संचालित संस्था –“एक दिव्य कोशिश” के अध्यक्ष दीपक महाजन के मुताबिक- “वर्षा ने लॉकडाउन से पहले भी कई लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करवाया है। बेशक ही लकडाउन एक मुश्किलों भरा दौर रहा जिसने वर्षा के इरादों को कमज़ोर करने की बजाये और भी अधिक मजबूती दी, जो सराहनीय है”
दोस्तों ने भी दिया साथ
बता दें कि वर्षा ने बिना किसी सरकारी मदद के ही ये सारा काम किया जिसमें उनके दोस्तों ने हर कदम पर उनका साथ दिया।
LIC के स्लोगन को फ़ॉलो किया वर्षा ने
India Times से हुई बातचीत में वर्षा बताती हैं कि – “कोरोना की इन विषम परिस्थितियों में मैं मजबूर व असहाय लोगों के लिए LIC (Life Insurance Co Operation) के स्लोगन ‘जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी’ का प्रतिबिंब बनकर उभरी और लावारिस लोगों को उनकी मृत्यू के बाद कम से कम सम्मानजनक अंतिम संस्कार दिलवाने में सहायक बनी जिसमें एक दिव्य कोशिश के अध्यक्ष दीपक महाजन ने मेरा पूरा साथ दिया”
कोरोना संक्रमण में अंतिम संस्कार करवाना रहा चुनौती पूर्ण
यूं तो वर्षा वर्मा और दीपक महाजन जी काफी समय से गरीब – असहाय लोगों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था करवाने , उनका इलाज करवाने, उनका अंतिम संस्कार तक करवाने में मसीहा के रुप में काम कर रहे थे। लेकिन लॉकडाउन में उनके लिए यह सब मैनेज करना काफी चुनौती भरा रहा। क्योंकि कोरोना के चलते संक्रमण फैलने के डर को भी अनदेखा नही किया जा सकता था लेकिन जो चुनौतियों से हार जाये वह मनुष्य ही क्या, बस इसी सबक को वर्षा नें भी समझ लिया।
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हेल्थ एक्सपर्ट की सभी गाइड-लाइंस को फ़ॉलो करते हुए वर्षा अपने काम के लिए समर्पित रहीं
समाज सेवा के लिए पैसे को ही एकमात्र मापदंड न समझने वाली वर्षा के अनुसार – “हेल्थ एक्सपर्ट की सभी गाइड-लाइंस को फ़ॉलो करते हुए इस महामारी के दौर में हमने काम किया, इस दौरान एक 60 साल का बुज़ुर्ग एक्सीडेंट में घायल हो गया था, जिसे लखनऊ के केजीएमयू (KGMU Hospital in Lucknow) ले जाया गया। पैरों में गंभीर चोट लगने की वजह से उनका बहुत खून बह रहा था, इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई, पोस्टमॉर्टम के बाद जब उनकी लाश हमें सौपीं गई तो उससे बहुत दुर्गंध आ रही थी, लेकिन हमारी टीम ने बिना घबराये या डर के भैंसा कुंड विधुत शवदाह गृह में दाह संस्कार करवाया, हमारे सारे प्रयास राष्ट्र को समर्पित रहें यही हमारा एकमात्र उद्द्श्य है”
“ एक दिव्य कोशिश” नाम की संस्था भी चलाती हैं वर्षा
वर्षा वर्मा एक ऐसे परिवार से संबंध रखती हैं जहां उन्होने बचपन से ही अपने माता-पिता को परोपकारी गतिविधियों में अपना जीवन समर्पित करते हुए देखा था। वहीं से वर्षा में भी गरीबों व ज़रुरतमंदों की मदद करने की लगन पैदा हुई। वर्तमान में वर्षा “एक दिव्य कोशिश” नाम से एनजीओ चलाती हैं। जो पूरी तरह से सामाजिक उत्थान की दिशा में प्रयासरत है। ब्लड डोनेशन कैंप से लेकर लावारिस लाशों का दाह संस्कार करवाने का काम यह एनजीओ करती है।
अपने काम को व्यापक रुप देने के लिए सोशल मीडिया को अपनाया
यह समझते हुए कि छोटे प्रयास ही समाज में बड़ा बदलाव ला सकते हैं वर्षा वर्मा ने प्रतिदिन अपने कामों और बेसहारा लोगों की आवश्यकताओं को सोशल मीडिया के ज़रिये समाज के साथ साझा किया। धीरे-धीरे इच्छुक लोगों नें वर्षा की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया और आज सोशल मीडिया और लोगों के समर्थन को साथ लेकर “एक दिव्य कोशिश” एनजीओ व्यापक स्तर पर काम करने में जुटा हुआ है। इसमें गरीब लोगों को रोजगार मिलने के साथ-साथ गरीब बच्चों को शिक्षित करने का काम भी किया जा रहा है।