Wednesday, December 13, 2023

दुर्घटना में पैर खो दिए लेकिन हौसला नही, खुद का बिज़नेस खड़ा किये और अब लोगों को भी दे रहे नौकरी

ऐसे बहुत से व्यक्ति हैं जो सही सलामत होने के बावजूद भी चाहते हैं कि बिना कुछ कार्य किए घर बैठे आराम से सारे सुखों का आनंद लें लेकिन कुछ ऐसे भी व्यक्ति हैं जो शारिरिक रूप से विकलांग होने के बावजूद भी ऐसा कार्य करतें हैं जिससे वे दूसरे लोगों के लिए उदाहरण बन जाते हैं। आज की कहानी एक ऐसे शख्स की है जो विकलांग हैं। विकलांग होने के बावजूद भी कारोबार स्थापित कियें और यहां अन्य लोंगो को रोजगार भी दे रहें हैं।

जम्मू और कश्मीर (Jammu And Kashmir) के पुलवामा (Pulwama) जिले के अर्शीद अहमद वानी (Arshid Ahmad Wani) नामक एक व्यक्ति जो शारीरिक रूप से विकलांग है। इन्होंने व्यक्तिगत चुनौतियों के बावजूद खुद का व्यवसाय शुरू किया है। 34 वर्षीय अशीर्द पुलवामा के लिटर (Litter) गांव मालपोरा (Malpora) के रहने वाले हैं। इन्होंने पहले एक बढ़ई के रूप में काम किया है। 2016 में उनके कार्यस्थल पर एक दुर्घटना ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। जब वानी छत पर काम कर रहे थे तो वह अपना संतुलन खो बैठे और बोल्डर पर गिर गये।

हुए लकवाग्रस्त

इससे इनके पैरों में गंभीर चोटें आईं। हालांकि वानी बच गये लेकिन दोनों पैर लकवाग्रस्त हो गए। यह स्थिति वानी के लिए निराशाजनक थी क्योंकि वह दो साल के लिए व्हीलचेयर पर रहे। अंत में इन्होंने एक वुडवर्क यूनिट (Wood Work Unit) खोलने का फैसला किया। अपना कारोबार शुरू करने के लिए वानी को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा था।

Arshid Ahmad Wani

लिया कर्ज़

शुरू में इनके कुछ रिश्तेदारों ने मदद की लेकिन जल्द ही इन्हें एहसास हुआ कि अपनी लकड़ी की इकाई के साथ काम जारी रखने के लिए ऋण की आवश्यकता होगी। इन्होंने ऋण के लिए आवेदन किया और अब इनके सभी व्यवसाय संचालन अच्छी तरह से चल रहे हैं। पुलवामा के उपायुक्त ने वानी के विचार की सराहना की और जिला उद्योग केंद्र (डीआईसी) के माध्यम से ऋण प्राप्त करने में इनकी मदद की। ऋण स्वीकृत होने के बाद वानी ने लकड़ी के काम करने के लिए आवश्यक मशीनों को खरीदा।

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अन्य विकलांग से है अनुरोध, करें अपना व्यापार शुरू

वानी ने अपनी यूनिट में काम करने के लिए अन्य लोगों को भी नियुक्त किया है। अब इन्हें दरवाजे और खिड़कियां बनाने के लिए कई ऑर्डर मिल रहे हैं। द हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार वानी कहते हैं, “मैं विकलांगों से अनुरोध करता हूं कि वे भीख न लें, बल्कि आगे बढ़ें और अपना उद्योग शुरू करने के तरीकों का पता लगाने की कोशिश करें।”

पुलवामा के जिला समाज कल्याण अधिकारी, मुश्ताक अहमद ने बताया कि जिला प्रशासन वानी को मासिक पेंशन भी प्रदान कर रहा है। वानी को व्हील चेयर के साथ-साथ 1,000 रुपये की मासिक पेंशन प्रदान की गई। वानी की इकाई के कर्मचारियों ने इनकी इच्छाशक्ति की सराहना की और यहां तक कि ऋण की मंजूरी के लिए डीआईसी का आभार भी व्यक्त किया।

शारिरिक रूप से विकलांग होने के बावजूद भी जिस तरह वानी ने खुद का व्यपार शुरू किया और कई लोगों को रोजगार भी दिया है, वह काबिल-ए-तारीफ़ है। The Logically अर्शीद अहमद वानी (Arshid Ahmad Wani) के जज्बे को सलाम करता है।