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बिना मशीन और बिजली से बनाया वर्मीकम्पोस्ट, लोग कहने लगे नोएडा का हीरो

अगर उम्र के तराजू पर रखकर हमारे कर्मों को मापा जाए, तो हमेशा ही कर्म का पलड़ा ज़्यादा होगा। हमें उम्रदराज व्यक्तियों से यह उम्मीद नहीं रहती है कि वह कोई बड़े कार्य करेंगे, लेकिन यह हमेशा ही गलत सिद्ध होते आ रहा है।

आज के हमारे इस लेख में आपको 84 वर्षीय शख़्स के बारे में जानकारी मिलेगी कि आखिर उन्हें नोएडा का हीरो क्यों कहा जाता है?

R. R. सिंह नारा को जानिए

88 वर्षीय रिटायर्ड कर्नल डॉक्टर आर.आर. सिंह नारा (Do. R. R. Singh Nara) नोएडा (Noida) से ताल्लुक रखते हैं और उन्हें नोएडा का हीरो कहा जाता है। वह वर्मी कंपोस्ट पद्धति द्वारा 5 वर्षों में लगभग 666 टन कचरे को खाद का रूप दे चुके हैं। वह सेक्टर 28 में रहने वाले लगभग 200 घर से निकलने वाले लगभग 828 टन कचरा का निर्माण वर्मी कंपोस्ट के रूप में कर रहे हैं। (Manufacture of vermicompost from waste)

Manufacture of vermicompost from waste

क्या है यह वर्मीकम्पोस्ट पद्धति?

कचरे से वार्मिकंपोस्ट बनाने के लिए पहले गीले कचरे को गोबर के साथ मिला दिया जाता है। साथ में सूखी पत्तियों को भी इसमें डाला जाता है। इन दोनों को मिश्रित कर 15 दिनों के लिए रख दिया जाता है फिर खाद के निर्माण के लिए इसमें लाल केंचुए डाल दिए जाते हैं। इसके उपरांत 15 दिनों तक यह उर्वरक का रूप ले लेते हैं। वर्मीकंपोस्ट प्रक्रिया की सहायता से वह प्रतिवर्ष 101 टन उर्वरक का निर्माण करते हैं। (Manufacture of vermicompost from waste)

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कम लागत में होगी शुरुआत

उन्होंने बताया कि अक्सर लोग वार्मीकम्पोस्ट द्वारा उर्वरक के निर्माण के लिए अधिक रुपए खर्च करते हैं। उसके लिए वह मशीन खरीदते हैं, लेकिन इसकी शुरुआत बहुत कम लागत और छोटे स्थान से की जा सकती है। इसके लिए बिजली और मशीन की जरूरत नहीं पड़ती है। (Manufacture of vermicompost from waste)

कचरे से उर्वरक के निर्माण की प्रक्रिया से प्रसन्न होकर, नोएडा की प्राधिकरण ने उनसे मदद मांगी है कि इस प्रक्रिया को संपूर्ण शहर में लागू किया जाए। यह वर्मीकम्पोस्ट पद्धति नोएडा में एक तकनीक के तौर पर विकसित होगा। (Manufacture of vermicompost from waste)

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