पहले के समय में लोग नौकरी को ज्यादा महत्त्व नहीं देते थे, उन्हे खेती करने में ज्यादा रुचि रहती थी। फिर समय बदला लोग नौकरी के पीछे भागने लगे। अपने घरों से दूर जाते ताकि अच्छी नौकरी मिल पाए। परंतु अब फिर से इसमे बदलाव पाया जा रहा हैं। लोग अच्छी नौकरी छोड़ खेती की और रुख कर रहे हैं। अनिल कुमार उन लोगों में से एक हैं, जो अच्छी नौकरी छोड़ खेती का मार्ग चुने हैं।
अनिल कुमार (Anil kumar)
अनिल कुमार बिहार ( Bihar) के औरंगाबाद (Aurangabad) के पिपरा (Pipra)गाँव के रहने वाले हैं। उन्होंने एमबीए (MBA) की डिग्री प्राप्त किया है। उसके बाद उन्होंने बहुत सी बड़ी कंपनियों में काम भी किया। वह महाराष्ट्र (Maharashtra) के कॉर्पोरेट जगत में अच्छी सैलरी वाली नौकरी करती थे। परंतु वह उससे संतुष्ट नहीं थे। उनकी रुचि नौकरी से अधिक खेती में थी।
अनिल अपने फैसले पर रहे अटल
वह चाहते तो थे खेती करना, लेकिन उनके पास सिर्फ 12 बीघा जमीन थी और 12 बीघा में सालाना कमाई 1.25 से लेकर 1.50 लाख तक की हीं हो पाती थी। इतनी कम कमाई में घर चलना भी मुमकिन नहीं था। इस बारे में उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से राय ली, उन्होंने अनिल को समेकित खेती के बारे में बताया। उनके इस फैसले से उनके परिवार वाले सहमत नहीं थे, और हों भी कैसे, एमबीए किया हुआ व्यक्ति खेती करे ही क्यूं! पर अनिल का फैसला अटल था। वह तय कर चुके थे कि उन्हें खेती में ही अपना हाथ आजमाना है।
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अनिल ने की खेती की शुरूआत
अनिल ने सबसे पहले एक हेक्टेयर जमीन में तालाब कटवाई। इस कटाई में जिला मत्स्य पालन केंद्र ने उनकी बहुत मदद की। इस तालाब में अनिल ने मछली पालन का काम शुरू किया। उसके बाद जिला गव्य विकास कार्यालय की मदद से उन्होंने 20 गायों के साथ डेयरी फार्म की शुरूआत की। अनिल मछली पालन, पशु पालन, तथा सब्जी, हल्दी आदि की भी खेती करते हैं। अब अनिल के पास कुल 45 गाय से अधिक की डेयरी है। सिर्फ इतना हीं नहीं वो गोबर से केंचुआ खाद बनाकर जैविक खेती में भी इस्तमाल करते हैं।
अनिल कुमार को हुआ मुनाफा
अनिल कुमार ने अपनी मेहनत से 12 बीघा जमीन में चौंका देने वाली कमाई की। उन्होंने साल 2013-14 में 16-17 लाख की कमाई की, साल 2014-15 उनकी कमाई बढ़ कर 17.5 लाख की हुई, उसके बाद साल 2015-16 में उन्हे 18.5 लाख का मुनाफा हुआ, और साल 2016-17 मे उनकी कमाई 20 लाख के आंकड़े को पार कर गई। अनिल कुमार के इस कार्य से बहुत से बेरोजगार लोगों को रोजगार मिल गया।
अनिल के मछली उत्पादन के कार्य में 150 से अधिक किसान जुड़े हुए हैं। उन्होंने नाबार्ड के रूरल मार्ट की स्थापना की जिसमें सब्जी, मशरूम, पापङ, दूध आदि समानों की बिक्री की जाती है। उसमें डेयरी प्रोडक्ट की बिक्री भी की जाती है। अनिल ने ना सिर्फ अपना बल्कि अपने आस-पास के लोगों को रोजगार दिया।
The logically अनिल कुमार की सूझबूझ, उनकी काबिलियत वह उनकी सफल खेती कार्य की तारीफ करता है।