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जमीन की कमी के कारण इस जगह होती है दीवारों पर खेती, वर्टिकल फार्मिंग के बारे में जानिए सबकुछ

जीवन व किसी देश की अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व को समझते हुए आज न केवल भारत बल्कि दुनिया के तमाम देशों में कृषि संबंधी नवीन व उन्नत तकनीकें विकसित हो रही हैं। लेकिन कृषि संबंधी इस तथ्य को भी कदापि अनदेखा नही किया जा सकता है कि एक अच्छे कृषि उत्पादन के लिए उपजाऊ व पर्याप्त भूमि का होना भी बेहद ज़रुरी है।

ऐसे में अगर हमारे पास आवश्यक कृषि योग्य भूमि की कमी हो तो ये वाकई में एक चिंताजनक स्थिति है क्योंकि खेती तो केवल ज़मीन पर ही संभव है न ? अगर आपके मन में भी ऐसा ही कोई सवाल आ रहा है तो हम आपको बता दें कि दुनिया में एक देश ऐसा भी है जो खेती योग्य भूमि कम होने की स्थिति में दीवारों पर खेती कर रहा है, जिसे ‘वर्टीकल फार्मिंग’ (Vertical Farming) का नाम दिया गया है। जी हां, आपको बता दें कि इज़रायल(Israel) देश में कृषि भूमि की बेहद कमी होने की वजह से धान-गेंहू के साथ-साथ सब्ज़ियों और फलों की खेती भी दीवारों पर की जा रही है।

Method of vertical farming

इज़रायल में विकसित की गई है ‘वर्टीकल फार्मिंग’ तकनीक

‘वर्टीकल फार्मिंग’ के नाम से इज़रायल में इन दिनों ‘दीवारों पर खेती’ करने की तकनीक को विकसित किया जा रहा है। बता दें कि यहां कृषि योग्य भूमि की कमी के चलते इस कृषि तकनीक को अपनाया गया है।

इज़रायल की ‘वर्टीकल फार्मिंग’ को मिला गूगल और फेसबुक का साथ

मीडिया को दिये इंटरव्यू में इज़रायल की कंपनी ग्रीनवॉल(Greenwall) के संस्थापक पायोनिर गाइ बारनेस(Payonir Gaai Baarnies) का कहना है कि – “वर्टीकल फार्मिंग टैक्नीक को प्रोत्साहन देने के लिए हमारी कंपनी के साथ आज गूगल और फेसबुक (Google and Facebook) जैसी बड़ी कंपनियां भी जुड़ गई हैं, जिनके सहयोग से इज़रायल में कई दीवारों पर इस तकनीक से फल-सब्ज़ी से लेकर सभी आवश्यक कृषि वस्तुओं की खेती की जा रही है”

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क्या है ‘वर्टीकल फार्मिंग’ तकनीक

ऐसे में हर किसी के दिमाग में यह सवाल आना लाज़मी है कि ‘वर्टीकल फार्मिंग’ आखिर क्या है और कैसे की जाती है? दरअसल, ‘वर्टीकल फार्मिंग’ तकनीक में पौधों को छोटे-छोटे यूनिट्स में गमलों में रोपा जाता है, जिसमें ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह सुनिश्चित कर लिया जाये कि पौधे गमलों में से नही गिरेंगे। जिनमें सिचाई के लिए विशेष प्रबंधन की आवश्यकता होती है। अनाज उगाने की अवस्था में इन यूनिट्स को कुछ समय के लिए दीवारों से बाहर कर दिया जाता है, जिसे कुछ अंतराल के बाद एक बार फिर से दीवार में ही लगा दिया जाता है।

वर्तमान में ‘वर्टीकल फार्मिंग’ की दिशा कई देश प्रयासरत हैं

आपको ज्ञात होना चाहिए कि वर्तमान में न केवल इज़रायल बल्कि दुनिया के कुछ अन्य विकसित देश जैसे अमेरिका, यूरोप और चीन में भी ‘वर्टीकल फार्मिंग’ के क्षेत्र में प्रयास आरंभ हो गये हैं।

पर्यावरण की दशा में भी खरी उतरती है ‘वर्टीकल फार्मिंग’

न केवल कृषि योग्य भूमि की कमी होने की स्थिति में ही ‘वर्टीकल फार्मिंग’ एक बेहतरीन व नवीन विकल्प है बल्कि ऐसी खेती का एक अन्य लाभ ये भी है कि दीवारों पर पौधे लगे होने से घर के तापमान में बढ़ोतरी नही होती। साथ ही ये आस-पास के वातावरण में भी नमी बनाए रखती है। इतना ही नही यह भी देखा गया है कि कृषि की इस नवीन तकनीक से ध्वनि प्रदूषण में भी कमी आती है। साथ ही इस तकनीक के माध्यम से आप सामान्य से चार गुना ज़्यादा उत्पादन पा सकते हैं।

भारत भी ‘वर्टिकल फार्मिंग’ की दिशा में कर रहा है काम

क्योंकि भारत फलों, सब्ज़ियों व अन्य कई कृषि वस्तुओं के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। ऐसे में यहां 2019 से ‘वर्टीकल फार्मिंग’ की दिशा में काम होना शुरु हो चुका है। जहां कृषि मिट्टी की कमी के कारण नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता व चेन्नई जैसे मैट्रो सिटीज़ में इस तकनीक की शुरुआत हो चुकी है। लेकिन अंतर ये है कि यहां दीवारों पर खेती न करके वर्टिकल सिक्वेंस में ही रैक्स में एक के ऊपर एक खेती की जाती है. जो इज़रायल के इस तरीके से काफी अलग है।

अर्चना झा दिल्ली की रहने वाली हैं, पत्रकारिता में रुचि होने के कारण अर्चना जामिया यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और अब पत्रकारिता में अपनी हुनर आज़मा रही हैं। पत्रकारिता के अलावा अर्चना को ब्लॉगिंग और डॉक्यूमेंट्री में भी खास रुचि है, जिसके लिए वह अलग अलग प्रोजेक्ट पर काम करती रहती हैं।

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