इन दिनों बाजार में मशरूम (mushroom) की मांग बहुत ज़्यादा हो गई है। मशरूम में कई तरह के पौष्टिक गुण पाये जाने के कारण लोग इसे अपने आहार में शामिल कर रहे हैं। अब हर जगह मशरुम से बने कई तरह के व्यंजन दीख जाते हैं।
ऐसे तो विश्व में मशरूम (mushroom) की हजारों प्रजातियां है, लेकिन बहुत ही कम मशरूम खाने योग्य होते हैं। पहले मशरूम की मांग सिर्फ शहरों में थी लेकिन अब यह गांव के छोटे बाजारों तक पहुंच चुका है। मशरूम की मांग बढ़ने के साथ ही उत्पादन भी बढ़ा है। वहीं भारत के कृषि वैज्ञानिकों ने मटके के अंदर मशरूम उगाने (Mushroom Farming in Matka Pot) की नई तकनीक विकसित की है। आइये जानते हैं इसके बारे में।
वैज्ञानिकों का नया तरीका
मशरुम जहाँ खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है वही मशरुम में औषधीय गुण भी होते है। जिसके कारण बहुत सी दवाइयों में कुछ प्रकार की मशरुम का प्रयोग किया जाता है। मशरुम में उचित मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट और कैल्शियम पाया जाता है। इसके साथ इसके इस्तेमाल से कैंसर से भी बचा जा सकता है। मशरुम के इन्हीं गुणों को देखते हुए राजस्थान के श्रीगंगानगर में स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने मटके के अंदर मशरूम उगाने (Mushroom Farming in Matka Pot) की नई तकनीक विकसित की है।
मशरूम उगाने की क्या है प्रक्रिया
इसके लिए सर्वप्रथम खराब हो चुके मटके का इस्तेमाल करना है।मटके में ड्रिलिंग मशीन की सहायता से चारों तरफ छोटे-छोटे छेंद करने होते हैं। इसके बाद उस मटके के अंदर भूसा और खाद समेत कंपोस्ट आदि को भर दिया जाता है, जिसके बाद उसमें मशरूम के स्पॉन बीज लगाकर किसी अंधेरे कमरे में छोड़ देना होता है। वैज्ञनिकों के अनुसार मटके के अंदर ऑयस्टर मशरूम (Oyster Mushroom) यानी ढिंगरी को आसानी से उगाया जा सकता है, जो एक सस्ता और आसान विकल्प है। किसान भी इसे आसानी से उगा सकते हैं।
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घर पर मशरूम उगाने का तरीका (Grow Mushroom at home)
घर पर मशरूम उगाने के लिए आपको पहले इसके लिए कुछ बुनियादी चीजें तैयार करनी होंगी। मशरूम स्वयं या उसके बीजाणु, और एक उपयुक्त सब्सट्रेट। खाद्य मशरूम के बीज में अखाद्य बीज भी शामिल हैं, जो उन बीजों को संदर्भित करते हैं जो प्रजनन कर सकते हैं, जैसे कि बीजाणु, mycelium और mycorrhizae, प्रजातियों और अन्य कारकों पर निर्भर करता है। इस प्रकार की खेती के लिए उपयुक्त सब्सट्रेट मिट्टी से लेकर संकुचित भूसे तक होते हैं, और आपको उन्हें बक्से या बोरियों, या यहां तक कि पेड़ की चड्डी के टुकड़ों में रखना चाहिए। इसके अलावा, यदि आप जैविक मशरूम की खेती का विकल्प चुनना चाहते हैं, तो आप विशेष दुकानों में पाए जाने वाले जैविक रोपण किट और सब्सट्रेट का उपयोग कर सकते हैं।
कृषि अनुसंधान केंद्र श्रीगंगानगर के वैज्ञानिकों ने मशरुम उजाने की नई तकनीक निकली। पुराने इस्तेमाल किये गए मटके में मशरुम उगाने लगे। अब किसानों को ट्रेनिंग दे रहे। pic.twitter.com/I3WAzNHGNq
— sanatanpath (@sanatanpath) March 9, 2022
क्या है प्रक्रिया
सबसे पहले आपको पुराने मटके इकट्ठा करने होंगे। इसके बाद उस मटके के चारों तरफ छोटे-छोटे छेद कर लें, ताकि मशरूम की फसल को बढ़ने और फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके।इसके बाद एक बड़े बर्तन में पानी भरकर उसमें भूसा डालकर अच्छी तरह से मिला लें और फिर उसी मिश्रण में फंगीसाइड डाल दीजिए,ऐसा करने से भूसा अच्छी तरह से फूल जाता है। लगभग 12 घंटे बाद जब भूसा अच्छी तरह से पानी सोख ले, तो फिर उसे खुले में धूप या हवा की मदद से सूखने के लिए डाल दें।
भूसे को मटके में भरना (Mushroom Farming in Matka/Pot)
जब भूसा अच्छी तरह से सूख जाए, तो उसे मटके में भरना शुरू कर दें। इस दौरान यह ध्यान रखिएगा कि मटके के हर छेद में मशरूम का स्पॉन बीज लगाने के बाद ही भूसे को अंदर भरना होता है, इसके बाद उन छेदों को रूई या टेप की मदद से बाहर से बंद कर दिया जाता है। आखिर में मटके का मुंह किसी मोटे कपड़े या बोरी से बाँध कर बंद कर दीजिए, ताकि नमी मटके के बाहर न निकल सके। इसके बाद उस मटके को अंधेरे कमरों में 12 से 15 दिन के लिए रख दिया जाता है, इस दौरान उन्हें न तो सूर्य की रोशनी दी जाती है और न ही मटके के मुंह को खोलकर मशरूम को चेक करना होता है। इस दौरान मशरूम के स्पॉन बीज पूरी तरह से फैल कर विकसित हो जाते हैं। यह सब बीज की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। बीज जितना शानदार होगा फसल भी उतनी ही अच्छी होगी।
ध्यान देकर बीज खरीदें
मशरुम के कुछ प्रजातियों को अधिक विशिष्ट देखभाल की आवश्यकता होती है, इसलिए मशरूम के बीज खरीदते समय आपको हमेशा उन शर्तों को पूरी तरह से समझना चाहिए जिनकी उन्हें आवश्यकता होती है।उदाहरण के लिए आप एक स्टोर विशेषज्ञ से पूछ सकते हैं और आपके द्वारा खरीदी गई रोपण किट की पैकेजिंग पर निर्देशों का पालन कर सकते हैं। आप अगर घर पर इसकी फसल उगाते हैं तो बीज की गुणवत्ता पर जरूर ध्यान दें। कम समय में ही यह किसानों की मेहनत को लाभ में बदल देता है। भारत में किसान धन के वैकल्पिक स्रोत के रूप में मशरूम की खेती का उपयोग करते हैं। मशरूम खाने में स्वादिष्ट होते हैं।
इस लेख को लिखने का उद्देश्य पाठकों को जानकारी प्रदान करना है।
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