संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा, जिसे खूबसूरत शहरों की सैर करना पसंद ना हो। हर किसी का सपना होता है कि वह दुनिया के हर खूबसूरत नजारों को देखे मगर कुछ लोग पैसों की कमी के कारण अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाते है। किंतु क्या पैसे की कमी होना इंसान के सपनों को पूरा करने से रोक सकता है?
जी नहीं, इस बात को गलत साबित कर दिखाया है अम्बल्लूर (Amballur) के तृश्शूर (Thrissur) ज़िला के रहने वाले निधिन मालियक्कल (Nidhin Maliyekkal) ने। उन्होंने मात्र 23 वर्ष की उम्र में ही साइकिल से कश्मीर (Kashmir) से केरल (Kerala) तक का सफर पूरा किया है। निधीन ने अपना सफर 1 जनवरी 2021 से शुरू किया और 30 अप्रैल 2021 तक वापस लौट आए।
घूमने का शौक 12वीं पास करने के बाद लगा
निधीन 12वीं में थे, तब ही उन्हें घूमने फिरने का शौक हुआ था। 12वीं के बाद उनका दाखिला कॉलेज में कराया गया, जहां उन्हें ट्रेन से जाने में लगभग दो घंटे लग जाते थे। कुछ दिन बाद वह कॉलेज नहीं जाकर घूमने-फिरने लगे। निधिन के घूमने-फिरने वाली बात की जानकारी जब उनके घर वालों को मिली तो उन्होंने उनका कॉलेज जाना बंद करा दिया।
मात्र 170 रुपए लेकर घर से निकले
निधीन जब अपनी यात्रा की शुरुआत के लिए घर से निकले तब उनके पास मात्र ₹170 ही थे। इस बात की जानकारी उनके माता-पिता को भी नहीं थी। निधीन के पास रास्ते में पड़ने वाली जरूरत की चीज़े थी। जैसे- तेल से चलने वाला स्टोव पंप, कुछ बर्तन और कपड़े। ज्यादातर वह दिन में साइकिल से सफर करते थे और ₹10 प्रति कप के हिसाब से चाय बेचते थे।
भाई की साइकिल ठीक कराने के लिए बेचना पड़ा था कैमरा
निधीन चाहते थे कि वह एक ‘हाई – एंड साइकिल से अपनी यात्रा करें पर उनके पास इतने पैसे नहीं थे इसलिए उन्होंने अपने छोटे भाई की साइकिल जो कितने दिनों से इस्तेमाल नहीं करने की वजह से चल नहीं रही थी, उसे ठीक कराने के लिए अपना कैमरा और रखे हुए पैसे खर्च कर दिया और उसी से अपनी यात्रा की शुरुआत की।
करना पड़ा मुश्किलों का सामना
निधीन के लिए यह यात्रा इतनी आसान नहीं थी। रास्ते में बार-बार टायर पंचर होना, फूड पोइज़निंग के साथ दिशाज्ञान (Navigation) में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्हें बातचीत करने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उनके साथ रास्ते में कुछ साइकिलिस्ट ने सहायता की जो केरला से ही थे।
यात्रा के दौरान लोगों ने की मदद
कश्मीर तक पहुंचने से पहले वह कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश से होकर गुजरे। रास्ते में ऐसी कई लोग मिले, जिन्होंने उनकी मदद की। उन्होंने बताया कि मनाली में एक मलयाली परिवार से मुलाकात हुई, जिन्होंने उन्हें खाना और रहने की जगह दी और एक भी पैसा नहीं लिया। रात में वह या तो पेट्रोल पंप पर रुकते या कुछ लोगों की बताई गई जगहों में अपना डेरा जमाते थे।
निधीन का कहना है कि पहले वह अपनी यात्रा को लेकर काफी परेशान थे कि पर जब इसमें वह सफल हो गए, तब उनमें अब एक अलग ही जोश है। अब वह कई और नई-नई जगहों पर जाने का प्रोग्राम बना रहे हैं। निधीन का यह सफर सभी घूमने के शौकीन लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं, जो पैसों की कमी की वजह से अपने सपनों को भूल जाते हैं और उसे पूरा नहीं कर पाते हैं।