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सिंचाई के लिए पैसे नही थे, ओड़िसा के किसान ने जुगाड़ से बनाया ऐसा मशीन जो बिना बिजली के पानी निकालता है

एक सुप्रसिद्ध कहावत है “आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है” (Necessity is the mother of invention). अर्थात् जरूरत पड़ने पर इंसान वैसा कार्य कर जाता है जो मुश्किल या नामुमकिन हो। अगर जरुरत पड़े तो लोहा तोड़ा जा सकता है, बांस के सहारे नदी पार किया जा सकता है। सच.. आवश्यकता हर नए आविष्कार और खोज के पीछे का मुख्य आधार है।

आज की यह कहानी एक ऐसे किसान की है जिन्होंने बांस और अपशिष्ट बोतलों का उपयोग कर वाटरव्हील बनाया है जिसके द्वारा 3 एकड़ जमीन की सिंचाई की जा सकती है। इस किसान का नाम है माहुर टिपिरिया।

बिजली आपूर्ति के बिना भूमि की सिंचाई संभव

ओडिशा (Odisha) के सुकरौली (Sukrauli) ब्लॉक के अंतर्गत बादामतलिया (Badamtalia) गांव से सम्बन्ध रखने वाले 35 वर्षीय किसान माहुर टिपिरिया (Mahur Tipiria) ने ऐसे सिस्टम का निर्माण किया है जो किसी भी बिजली की आपूर्ति के बिना तीन एकड़ भूमि की सिंचाई कर सकता है।

Mahur Tipiria making irrigation machine

सिर्फ दूसरी कक्षा तक की है पढ़ाई

दूसरी कक्षा तक स्कूल जाने वाले किसान ने अपनी तकनीकी प्रतिभा से सभी को आश्चर्यचकित कर दिया है। टिपीरिया के लिए नवाचार के पीछे मुख्य उद्देश्य बिना किसी अतिरिक्त लागत के अपनी खेती को बरकरार रखने की आवश्यकता है। सिंचाई के लिए जो व्हील बने हैं, उसके पानी के पहिए में 40 ब्लेड हैं। प्रत्येक ब्लेड में एक पानी की बोतल है। जैसे ही धारा के प्रवाह की मदद से पहिया घूमता है, पानी की बोतलें भर जाती हैं। एक बार जब बोतलें शीर्ष पर पहुँच जाती हैं, तो पानी बांस की पाइप में चला जाता है जिससे खेतो की सिंचाई होती है।

पूरे 1 माह लगे इसके निर्माण में

खेतो की सिंचाई के लिए इस पहिये का चलते रहना ज़रूरी है जिसके लिए किसी बाहरी स्रोत की आवश्यकता नहीं होती बल्कि नदी की धारा ही पर्याप्त है। टिपिरिया ने एक महीने में इस पूरी सिंचाई प्रणाली का निर्माण किया है। उन्होंने बताया कि वह इस वॉटरव्हील की मदद से अपनी भूमि की सिंचाई करते हैं और यहां तक कि सरसों, गेहूं और सब्जियों को उगाना भी शुरू कर दिया है। उनकी भूमि वॉटरवेल से 300 मीटर की दूरी पर स्थित है। नवप्रवर्तन से पहले, टिपिरिया ने अपने गाँव से बाहर जाने की कोशिश की ताकि नौकरी मिल सके लेकिन असफल रहें।

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लोगों ने की सराहना

हालांकि अब अपने सरल नवाचार के साथ टिपरिया की खेती जारी है। उनके पड़ोसी गांवों के कई किसानों ने उस जगह का दौरा किया जहां डिवाइस के तंत्र को समझने के लिए वॉटरव्हील स्थापित किया गया है। उनकी सफलता की सराहना करंजिया उपजिलाधिकारी रजनीकांत बिस्वाल ने की और उन्होंने टिपरिया को बागवानी कार्यालय में वाटरव्हील तंत्र के बारे में विस्तार से बताने के लिए कहा।

अपने आवश्यकता की पूर्ति के लिए अपशिष्ट बोतलों की मदद से जिस तरह माहुर टिपिरिया ने अपने परिश्रम और बुद्धि से वाटरव्हील का निर्माण किया है, वह प्रशंसनीय है। The Logically माहुर टिपिरिया (Mahur Tipiria) जी की खुब सराहना करता है।

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