देश में चाइल्ड पोर्नोग्राफी (Child pornography) यानी बच्चों को सेक्सुअल एक्ट में या नग्न दिखाते हुए इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मैट में कोई चीज प्रकाशित करना या दूसरों को भेजना कानूनन जुर्म है। इसके लिए दोषी को काफी कड़ी सजा मिलने का प्रावधान भी है। साथ ही देश में इस वारदात से जुड़ी एक ऐसी टीम सक्रिय है जिसमें हाल ही कई आरोपियों को घेरे में लिया है।
“ऑपरेशन मासूम” की ऐसे हुई शुरुआत
दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट CyPAD इन्हीं मुद्दों से डील करती है। इस यूनिट ने नवंबर 2019 में एक ऑपरेशन लॉन्च किया था जिसका नाम था “ऑपरेशन मासूम”। इसके तहत इंटरनेट पर वायरल होने वाले ऐसे सेक्शुअल कॉन्टेंट (Sexual content) के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। करीब एक साल से ज्यादा वक्त से ये ऑपरेशन एक्टिव है। फिलहाल ऑपरेशन मासूम (Operation MASOOM) चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि पुलिस ने कई अहम गिरफ्तारियां की है जिनका तालुक इस घिनौने काम से है।
पढ़े लिखे ग्रैजुएट से लेकर अनपढ़ तक सभी इस काम में शामिल
बता दें कि गिरफ्तार हुए आरोपी कई अलग आर्थिक तबकों से है यानी कि कोई छोटे मोटे काम करता है तो किसी के पास अच्छी खड़ी डिग्री है। पुलिस के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों ने फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी का वीडियो किया था।
गिरफ्तार आरोपियों में रामबाबू कैब चलाता है वहीं उमर आलम बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में ग्रैजुएट डिग्री ली हुई है और ई कॉमर्स साइट्स के लिए मोबाइल पार्टस ऑनलाइन बेचता है। संतोष पिज्जा चेन के लिए डिलीवरी ब्वॉय का काम करता है। देवेंद्र और अब्दुल रहमान दोनों स्कूल में ही पढ़ाई छोड़ दी थी।
कैसे मिलती है चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जानकारी
दुनियाभर के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जैसे- फेसबुक, इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप CSAM (Child Sexual Abuse Material) पर नज़र रखते हैं। कौन ऐसा कॉन्टेंट कहां अपलोड कर रहा है, इसकी एक रिपोर्ट बनाकर NCMEC (National Centre for Missing and Exploited Children) को दी जाती है।
ये रिपोर्ट फिर NCRB (National Crime Record Bureau Agency) से शेयर किया जाता है। जिसके डाटा का आंकलन कर आरोपियों तक पहुंचने की कोशिश की जाती है। यानी कि अगर कोई ऐसे आपत्तिजनक कंटेंट को शेयर करता है तो उसकी पूरी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स अपने पास सेव कर लेते हैं।
भारत में चाइल्ड पोर्नोग्राफी की डिमांड
चाइल्ड पोर्नोग्राफी मार्केट में भारत की भी अहम हिस्सा है। जनवरी 2020 में NCMEC ने NCRB से एक डाटा शेयर किया था। जिसमें पांच महीनों के अंदर भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 25 हज़ार चाइल्ड पॉर्नोग्राफिक मटेरियल अपलोड किए जाने की बात सामने आई थी।
लॉकडाउन के दौरान बढ़ी थी अत्यधिक डिमांड
2020 अप्रैल में, जब देश में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लगा था, तब चाइल्ड पॉर्नोग्राफी की डिमांड अचानक से बढ़ गई थी। ये बात ICPF (India Child Protection Fund) ने अपनी एक रिपोर्ट में जाहिर की थी। इतना ही नहीं ICPF की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में लॉकडाउन लगने के बाद चाइल्ड पॉर्नोग्राफी का कंज़म्प्शन 95 फीसद तक बढ़ा था।‘चाइल्ड पॉर्न’, ‘सेक्सी चाइल्ड’ और ‘टीन सेक्स वीडियोज़’ जैसे कीवर्ड्स अत्यधिक सर्च किए गए थे।
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