Wednesday, December 13, 2023

खुद अनपढ़ हैं लेकिन सुविधा से वंचित बच्चों को दें रहे हैं नि:शुल्क शिक्षा: पद्मश्री हरेकाला हजाब्बा

शिक्षा दान एक महादान है। दरअसल शिक्षा हीं वह माध्यम है जिसके जरिए आप अपनी जिंदगी बेहतर बना सकते हैं। शिक्षा का अलख जगाकर अपनी पहचान बनाने वालों में से एक हैं, हरेकाला हजाब्बा (Harekala Hajabba)। उन्होंने फल बेंचकर शिक्षा की अलख जलाई और लोगों के लिए उदाहरण बने।

हरेकाला हजाब्बा (Harekala Hajabba) कर्नाटक (Karnataka) से नाता रखते हैं। हर वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर पद्म पुरस्कार की घोषणा होती है। कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020 और 2021 के पुरस्कार निश्चित वक्त पर नहीं दिए जा सके। इसीलिए इस वर्ष दोनों वर्षों के पद्म विजेता को सम्मानित किया गया है। -Harekala Hajabba gotted of Padham Shri award

Padmashree Harekala Hajabba giving free education to underprivileged children

निरक्षर होकर भी समझते हैं शिक्षा का महत्व

हरेकाला हजाब्बा (Harekala Hajabba) कहने को तो निरक्षर हैं, लेकिन वह शिक्षा के महत्व को बखूबी समझते हैं। उन्होंने अपनी जमा पूंजी के साथ बेंगलुरु के निकट अपने ग्राम में वर्ष 2000 में एक स्कूल का शुभारंभ किया। जब उन्हें सोमवार के दिन पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया वह बेहद प्रशंसनीय पल था। लोग इनके कड़ी मेहनत, संघर्ष एवं सोच की तारीफ के पुल बांध रहे हैं। -Harekala Hajabba gotted of Padham Shri award

Padmashree Harekala Hajabba giving free education to underprivileged children

पेशे से हैं फल विक्रेता

हरेकाला हजाब्बा (Harekala Hajabba) पेशे से फल विक्रेता हैं, लेकिन उनका कार्य बेहद ही प्रशंसनीय है। वह फल बेचकर हीं शिक्षा की ज्योत जगा रहे हैं। फल की दुकान से उन्हें जो भी कमाई होती थी उन्हें सेव करके रखा और अपने गांव के बच्चों के लिए स्कूल का शुभारंभ किया। उन्होंने स्कूल अपने गांव में खोला है। वैसे तो यहां सड़कों की हालत बहुत खराब है, लेकिन स्कूल जाने के लिए बच्चे हमेशा तैयार रहते हैं और वे सारी मुश्किलों का सामना आसानी से कर लेते हैं। उनके स्कूल में लगभग 130 बच्चे पढ़ रहे हैं। -Harekala Hajabba gotted of Padham Shri award

Padmashree Harekala Hajabba giving free education to underprivileged children

नहीं था एक भी स्कूल

वर्ष 2000 तक यहां एक भी स्कूल नहीं था। परतुं उन्होंने जो अपनी पूंजी जमा करके रखी थी उससे स्कूल का निर्माण करवाया। इस स्कूल को लोग “दक्षिण कन्नड़ जिला पंचायत हाई स्कूल” के नाम से पहचानते हैं। -Harekala Hajabba gotted of Padham Shri award

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कहां से मिली स्कूल खोलने की प्रेरणा

स्कूल खोलने की प्रेरणा के विषय में उन्होंने बताया कि जब एक विदेशी ने मुझसे एक फल का नाम इंग्लिश में पूछा, तब मैं उसे नहीं बता सका और मुझे यह एहसास हुआ कि मैं अशिक्षित हूं। उस दौरान मुझे यह एहसास हुआ कि मुझे अपने गांव में एक स्कूल आवश्यक होना चाहिए। ताकि यहां के बच्चों को इस दौड़ से ना गुजरना पड़े और उन्हें शर्मिंदगी का सामना ना करना पड़े। -Harekala Hajabba gotted of Padham Shri award

Padmashree Harekala Hajabba giving free education to underprivileged children

नहीं मिला किसी से सहयोग

हालांकि स्थानीय लोग उनकी बहुत प्रशंसा करते हैं परंतु जब वर्ष 2000 में उन्होंने स्कूल का शुभारंभ किया था तो किसी ने भी उनका सहयोग नहीं किया। उन्होंने स्थानीय मस्जिद के निकट मदरसे में स्कूल का शुभारंभ किया और यहां लगभग 28 बच्चों की पढ़ाई प्रारंभ करवाई। -Harekala Hajabba gotted of Padham Shri award

Padmashree Harekala Hajabba giving free education to underprivileged children

सरकार का योगदान

वैसे तो यहां स्कूल की इमारत बन रही थी परन्तु जब संख्या बढ़ने लगी तो अधिक स्थान की आवश्यकता हुई। अब उन्होंने कर्जे के तौर पर अर्जी दी और अपनी जमा पूंजी से स्कूल का इमारत बनवाना प्रारंभ किया। उनकी इस लगन को देख लोग प्रेरित हुए और उनकी मदद के लिए सामने आए। जब उनके स्कूल के बारे में एक स्थानीय अखबार में लिखा गया तब सरकार उनकी सहायता के लिए आगे आई और 100000 रुपए दी। अब उनकी मदद के लिए बहुत से लोग सामने आए और उन्होंने फल बेचकर शिक्षा की अलख को जगाते रहने का कार्य जारी रखा। -Harekala Hajabba gotted of Padham Shri award