पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों की मार ने आम आदमी की जेब ढीली कर रखी है। चौतरफा महंगाई से घिरा लोअर और मिडिल क्लास अब पैदल चलने को मजबूर है क्योंकि पेट्रोल शतक पार कर चुका है। ट्वीट्स, मीम के माध्यम से इस सिलसिले में आलोचनाओं का तांता लगा हुआ है।
सरकार की ओर से कई बयान जारी किए गाएं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) पेट्रोलियम प्रोडक्ट को GST के दायरे में लाने की वकालत कर रही हैं, रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास (Shaktikanta Das) टैक्स घटाने की सलाह दे रहे हैं तो पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान OPEC देशों से क्रूड सप्लाई में कटौती कम करने की गुजारिश कर रहे हैं। लेकिन आम आदमी की हालत खस्ता है।
ऐसे में केंद्र सरकार पेट्रोल – डीजल की बढ़ती कीमत को कंट्रोल करने के लिए तमाम कोशिशों में जुट गई है।
सरकार घटाएगी एक्साइज ड्यूटी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वित्त मंत्रालय पेट्रोल-डीजल की महंगाई से लोगों को राहत देने के लिए अब एक्साइज ड्यूटी में कटौती पर विचार कर रहा है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल इंपोर्ट करने वाला देश है। ग्लोबल मार्केट में बीते 10 महीने में कच्चे तेल की कीमतें दोगुनी हो चुकी हैं, जिससे देश में पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। लेकिन पेट्रोल-डीजल के रीटेल प्राइस में करीब 60 परसेंट हिस्सा टैक्स और ड्यूटी का होता है जो सरकारें वसूलती हैं।
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तेल की कीमतें स्थिर होने पर टैक्स में होगी कटौती!
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक टैक्स में कटौती से पहले सरकार तेल की कीमतें स्थिर होने का इंतजार कर रही है, क्योंकि सरकार टैक्स स्ट्रक्चर को दोबारा बदलना नहीं चाहती। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी हाल ही में कहा था कि मैं ये नहीं बता सकती कि ईंधन पर कटौती कब करेंगे, लेकिन केंद्र और राज्यों को टैक्स घटाने पर बातचीत करनी होगी।
सरकार ने पेट्रोलियम से जमकर कमाया रेवेन्यू
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने मिलकर 31 मार्च 2020 को खत्म वित्त वर्ष में 5.56 ट्रिलियन रुपये पेट्रोलियम सेक्टर पर टैक्स से कमाया है। इस वित्त वर्ष के 9 महीनों के दौरान (अप्रैल-दिसंबर 2020) पेट्रोलियम सेक्टर से सरकार ने 4.21 ट्रिलियन रुपये की कमाई की है, जबकि पेट्रोलियम प्रोडक्ट की डिमांड में गिरावट भी रही है।
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