दुनिया में ज्यादातर लोग सरकारी नौकरी के पीछे भागते हैं। अगर किसी को सरकारी नौकरी मिल जाय तो वह खुद को भाग्यशाली मानता है। एक तरफ़ जहां लोगो को एक सरकारी नौकरी के लिए संघर्ष करना पड़ता है, वहीं दूसरी ओर सीकर जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली प्रमिला नेहरा ने मात्र पांच साल में एक या दो नहीं बल्कि नौ सरकारी नौकरी हासिल करने में कामयाब हुई है। उनकी इस सफलता पर यक़ीन कर पाना मुश्किल होता हैं पर यह सच्चाई है।
प्रमिला ने राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित स्कूली व्याख्याता भर्ती में नवीं रैंक हासिल की है। इससे पहले वह पटवारी, ग्राम सेवक, महिला पर्यवेक्षक , पुलिस कांस्टेबल, एलडीसी की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर चुकी हैं।
प्रमिला एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती है। इनकी माता मनकोरी देवी और पिता रामकुमार नेहरा ने कभी इनका हौसला कम नहीं होने दिया। इतना ही नहीं राजस्थान पुलिस में कार्यरत इनके भाई महेश नेहरा ने भी इनका मार्गदर्शन किया।
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प्रमिला के सफलता की कहानी बहुत ही संघर्ष भरी है। इनके पास कोई साधन उपलब्ध नहीं था, फिर भी इन्होंने अपनी मेहनत से प्रथम श्रेणी शिक्षक परीक्षा में नवीं रैंक हासिल की है। इतना ही नहीं उनका ढाणी गांव से लगभग तीन किलमीटर दूर है, उन्हें पैदल यह सफर तय करना पड़ता था क्योंकि वहां आने जाने के लिए साधन की व्यवस्था नहीं थी।
प्रमिला का शादी बोदलासी के रहने वाले राजेन्द्र रणवां के साथ हुआ, जो दिल्ली पुलिस में कार्यरत है। इनके ससुराल में इनके पति के साथ-साथ इनके सास-ससुर ने भी इनका पूरा साथ दिया। इतना सब हासिल करने के बाद अब इनकी नजर राज्य प्रशासनिक सेवा में अव्वल रैंक हासिल करने की है। वह पहले ही आएएस प्री क्लियर कर ली है।
प्रमिला ने साल 2015 में तृतीय श्रेणी भर्ती परीक्षा में राज्य भर में 28वीं रैंक हासिल की। फिर साल 2017 में आरपीएससी (RPSC) की सेकेंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में राज्य भर में 22वीं रैंक लाकर सफल हुई। इसके बाद साल 2018 में आरपीएससी (RPSC) की स्कूली व्याख्याता परीक्षा में एक बार फिर सफलता हासिल की और राज्य में 9वीं रैंक से सफल हुई। इसके साथ ही इन्होंने राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल भर्ती, पटवार भर्ती परीक्षा, ग्राम सेवक भर्ती परीक्षा, एसएससी जीडी, राजस्थान उच्च न्यायालय लिपिक भर्ती, आरपीएससी (RPSC) लिपिक भर्ती, महिला व बाल विकास विभाग की महिला पर्यवेक्षक भर्ती परीक्षा, सीटेट जैसी कई परीक्षाओं में सफलता का परचम लहराया। प्रमिला अपने इस सफलता का पूरा श्रेय अपने परिवार वालों को देती है।
इतनी सफलता पाने के बाद अब प्रमिला का सपना राज्य प्रशासनिक सेवा में जाने का है। वह आएएस प्री में परीक्षा पास कर चुकी हैं और मुख्य परीक्षा की तैयारी में लगी हुई है। प्रमिला कहती है कि उनका लक्ष्य आईएसएस में टॉप रैंक हासिल करने तथा राज्य प्रशासनिक सेवाओं के माध्यम से समाज सेवा करना है। प्रमिला ने अंग्रेजी विषय में पीजी भी अच्छे अंको से किया है।
प्रमिला बताती हैं कि तैयारी के दौरान वह सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी ताकि उनकी तैयारी में कोई बाधा उत्पन्न ना हो। अपने घरवालों से बातचीत के लिए प्रमिला ने कीपैड वाले मोबाइल का इस्तेमाल किया। उन्होंने अपनी सफलता के लिए किताबों को अपना दोस्त बनाया, जिसने कांसेप्ट क्लियर करने के साथ-साथ उनका तनाव भी दूर किया। इस दौरान जीत सर का मार्गदर्शन भी उनके लिए काफ़ी अच्छा रहा।
सच्ची लगन और कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो कठिन रास्ता भी आसान नजर आता है। आखिरकार जब उन्हें सफलता मिली तो उनके साथ उनके परिवाजनों को भी ख़ुशी का ठिकाना न रहा। प्रमिला नेहरा की यह सफलता भरी कहानी उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो मुश्किलों से घबराकर हार मान लेते हैं।