अक्सर हम लोगों ने यह कहावत सुना होगा कि अगर हौसले बुलंद हो तो कामयाबी जरूर मिलेगी। जी हाँ, किसी खास मंजिल को लेकर किया गया प्रयास कभी खाली नहीं जाता है। अगर मन में अपना मंजिल तय करके उस दिशा में तत्परता से काम किया जाये तो निश्चित रुप से कामयाबी हासिल होगी। आज हम बात करेंगे, एक ऐसे शक्स की जो कभी दुसरे राज्यो में जाकर मजदूरी करता था और आज के समय में वो अपने गाँव लौट करके अपने मेहनत के बदौलत बंजर परे जमीन पर अमरूद का बगीचा लगा करके लाखों की कमाई कर रहे हैं। ―Earned lakhs by planting a guava garden on the barren land.
आईये जानते हैं उस मेहनती आदमी और उसके कारोबार से जुड़ी सभी जानकारीयां-:
कौन है वह शख्स ?
हम बात कर रहे हैं, बिहार (Bihar) के जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड के गंगरा गांव के रहने वाले प्रवीण सिंह (Praveen Singh) की जिन्होने अपने जज्बे की बदौलत दशकों से बंजर पड़े जमीन को हरियाली में बदल दिया और बंजर खेत को उपजाऊ बनाया और फिर अमरूद के सैकड़ों पेड़ लगाया और आज के समय में वो लाखों की कमाई कर रहे हैं। अमरूद के फलों के बदौलत कमाई करने वाले प्रवीण खेती के साथ हीं साथ पर्यावरण संरक्षण का कार्य भी कर रहा है।
कैसे आया ख्याल?
बचपन से हीं काम के तलाश में बाहर रहने वाले प्रवीण दुसरे राज्यों में काम के लिए रहते थे और अपना खर्च उठाते थे। उनके गाँव में भी अच्छी खासी खाली पड़ी जमीन थी जिसपर पहले (जब चीनी मिल था तब) गन्ने की खेती होती थी, लेकिन शुगर मील बन्द हो जाने पर गन्ने की खेती बन्द हो जाती थी। प्रदेश में रहने वाले प्रवीण ने अपने दिमाग से काफी सोच-समझ करने के बाद मन में ठाना कि अब वे गांव जाकर बंजर पड़ी जमीनों का सदुपयोग करेंगे और हरियाली लाएंगे। इसी सोच के साथ आगे बढ़ते हुए प्रवीण ने अपने मेहनत और लगन के बल पर 12 बीघा बंजर जमीन पर हरियाली ला दी और अमरुद के सैकड़ों पेड़ के फलों से वो लाखों की कमाई कर रहें हैं। ―Earned lakhs by planting a guava garden on the barren land.
बंजर पड़ी जमीन को हरियाली करने के काम को लोगों ने बताया पागलपन
दूसरे राज्यों में मजदूरी करके अपना पालन-पोषण करने वाले प्रवीण ने जब यह ठाना कि वे अपने गांव जा कर खाली पड़े बंजर जमीन में हरियाली लाएंगे और वे अपने मेहनत के बदौलत उसमें कुछ ऐसा काम करेंगे जिससे उन्हें आमदनी हो। तब उन्होंने पूर्व में गन्ना बोये जाने वाले खेत (वर्तमान में बंजर खेत) का जूताई और सिंचाई करने का काम किया। शुरुआत में गाँव के लोग उन्हें पागल करार देते थे। इन सब बातों को अनदेखी करते हुए उन्होनें बंजर जमीन को सिंचित बनाया और धीरे-धीरे वे अमरूद के बगीचे लगाने का काम शुरु किये और आज के समय में वो 12 बीघा बंजर जमीन पर हरियाली लाते हुए अमरुद के सैकड़ों पेड़-पौधों को लगाया। आज के समय में वे अमरूद के फलों को साल में दो बार बेचते हैं तथा लाखों रुपए की कमाई करते हैं।
अब कामयाब होने पर चारों तरफ हो रही है तारीफ और चर्चे
मेहनत के बदौलत सफलता हासिल करने वाले बिहार के जमुई के लाल प्रवीण की चर्चा जोरो पर है। अब अपने गांव में उनकी चारों तरफ प्रशंसा होने लगी है। पहले उन्हें (प्रवीण को) मानसिक बीमार कहने वाले उनके गांव के बड़े बुजुर्ग तथा अन्य व्यक्ति भी अब उन्हें अच्छे दृष्टि से देखने लगे हैं तथा हमेशा उनकी अच्छाई और कामयाबी की ही चर्चा करते हैं। प्रवीण ने अपने मेहनत के बदौलत खुद को लोहा मनवाया और आज के समय में वो हजारों लोगों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं।