हम अक्सर यह देखते हैं कि लोग अपने घर के कचरे को बाहर फेंक देते हैं। हम सबकी जिम्मेदारी केवल अपने घर की साफ-सफाई तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि पूरे वातावरण को स्वच्छ रखना भी हमारी ही जिम्मेदारी है। आइए इस लेख द्वारा जानते हैं पर्यावरण संरक्षण के कुछ तरीके।
कैसे करें पर्यावरण संरक्षण?
प्रवीण मिश्रा (Pravin Mishra) पर्यावरणविद और बागवानी में प्रशिक्षण हासिल कर चुके हैं। वह कहते हैं कि जिस कचरे को हम कही पर भी फेंक देते हैं, उसका फर्टिलाइज़ेशन (निषेचन) घर पर ही किया जा सकता है। जिससे हम कचरे से फैलने वाले प्रदूषण को रोक सकते हैं। इन कचरों से हम घर पर लगी बागवानी के लिए खाद बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
छः वर्षो से लोगों को कर रहे जागरूक
45 वर्ष के प्रवीण मिश्रा पिछले 6 सालों से लोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैला रहे हैं। वह घरेलू कचरे को बगवानी के लिए उपयोग में लाने की तरकीब बता रहे हैं। उन्होंने बताया कि 90% तक घरेलू कचरे को फर्टिलाइज किया जा सकता है।
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वानस्पतिक खाद का निर्माण
प्रवीण मिश्रा बुराड़ी गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र नजफगढ़ से प्रशिक्षण हासिल किया है। वर्ष 2012 से वह अपने छत पर ही बागवानी कर रहे हैं। प्रवीण अपने घर से निकलने वाले कचरे को बिना किसी मशीन की सहायता से वानस्पतिक खाद बना रहे हैं, जिसके लिए वह घरों से निकलने वाले साग, सब्जियों के छिलके आदि शामिल करते हैं। वह कहते हैं कि उनका छोटा परिवार है इसके बावजूद भी रोज किचेन से लगभग दो किलो तक कचरा निकल जाता है, जिससे हम वानस्पतिक खाद का निर्माण अच्छी तरह से कर सकते हैं।
45 से 60 दिनों में ही खाद बन जाता है
प्रवीण ने बताया कि अच्छी खाद 45 से 60 दिनों में बनकर तैयार हो जाती है। पानी निकलने वाले का भी प्रयोग पौधों के लिए बायो फर्टिलाइजर का काम करते है। उन्होंने बताया कि वह एंजाइम भी बनाते हैं, जो बचे हुए रोटी, चावल, और दाल से किया जाता है और लगभग 90 दिनों में बनकर तैयार हो जाता है। वह कहते हैं कि इसका उपयोग उस समय किया जाता है, जब पौधे बढ़ना आरंभ कर देते है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों में जागरुकता जरूर
प्रवीण मिश्रा मूल रूप (basically) से बिहार के बक्सर जिला के रहने वाले वाले हैं। फिलहाल वह बुराड़ी गांव में अपने घर की छत पर बागवानी करते हैं। वह लोगों को घरेलू कचरे से खाद बनाने की विधि सिखाते है। वह पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगो में जागरुकता लाने की हर संभव प्रयास कर रहे हैं। पर्यावरण जागरूकता के लिए वह एक मुहिम भी चला रहे हैं, जिसके तहत दिल्ली के अलग- अलग जगहों के लगभग 5 सौ व्यक्तियों को अपने साथ जोड़ चुके हैं। अपनी मुहिम के जरिए वह लोगों को सड़क किनारे डिवाइडर, पार्क और अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों में पौधे लगाने और उसके देखभाल करने की अपील करते हैं। इतना ही नहीं वह साल 2016 से ही लोगों को पर्यावरण मित्र बनाने का अभियान चला रहे हैं।