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कमरे में मशरूम उगाकर बनी आत्मनिर्भर, 43 वर्षीय पुष्पा आज अपने परिवार का खर्च खुद उठाती हैं

हमलोगों ने यह महसूस किया होगा की पिछले कुछ सालों से अपने यहांँ के बाजारो में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ी है। जिस हिसाब से बाजार में इसकी मांग है, उस हिसाब से अभी इसका उत्पादन नहीं हो रहा है। ऐसे में मशरूम की खेती करने वाले किसान अच्छा मुनाफा कमा रहें हैं।

आज हम बात करेंगे, एक ऐसी हीं महिला किसान की जो अपने संघर्ष से मशरूम की अच्छी उपज कर लाखों रूपये कमा रहीं हैं।

तो आइए जानते हैं उस महिला और उनके खेती से जुड़ी सभी जानकारियां-

कौन है वह महिला ?

हम पुष्पा पटेल (Pushpa Patel) की बात कर रहे हैं, जो गुजरात (Gujaraat) के अमलसाड की रहने वाली हैं। इनकी उम्र 43 साल है। पेशे से मशरूम की खेती करने वाली किसान पुष्पा पटेल अपने आत्मनिर्भरता के चलते आजकल खूब सुर्खिया बटोर रही हैं।

पिता के मृत्योपरांत शुरू की मशरूम की खेती

पुष्पा पटेल के (Pushpa Patel) पिता के मृत्यू के पश्चात उनके घर में कोई भी खेती करने वाला नहीं था। उनके भाई विदेश रहते थे, इसलिए पुष्पा पटेल ने अपने शादी कर बाद भी पिता के 5 बीघा जमीन का सदुपयोग करने का मन बनाया तथा कृषि यूनिवर्सिटी से सही तकनीक सीखकर अपने मां के साथ मिलकर अपने खेतों में चीकू और कुछ मौसमी सब्जियां उगाईं।

2 साल बाद उनकी (Pushpa Patel) मां की मृत्यु हो गई और वे अकेले ही खेती का काम संभालने लगी। कुछ सालों के बाद उन्होंने कुछ नए प्रयोग करना चाहा और उसी दौरान उन्हें कृषि यूनिवर्सिटी से ही मशरूम फार्मिंग और इसके फायदे के बारे में जानकारी मिली। जानकारी अच्छे से प्राप्त करके उन्होंने ओएस्टर मशरूम की खेती अपने घर के एक कमरे में करना शुरू किया।

Pushpa patel mushroom farmer

शुरुआती दौर में लगा घटा

शुरुआती समय में गांव में कोई भी मशरूम खाना या उसे खरीदना पसंद नहीं करता थे, जिसके कारण मशरूम की खेती में उन्हें शुरुआती नुकसान भी उठाना पड़ा था। इसके एक साल बाद उन्हें (Pushpa Patel) कृषि यूनिवर्सिटी की ओर से लगने वाले मेले में मशरूम बेचने के लिए मार्केट मिला और उसके बाद उन्हें अच्छा मुनाफा होने लगा तब फिर उन्होंने मशरूम की व्यवसायिक खेती करना शुरू किया। इस खेती के लिए उन्होंने 15 हजार रुपये का शुरुआती निवेश किया और उसे महीने भर में ही वसूल कर लिया।

वे (Pushpa Patel) बताती हैं कि, जब उन्होंने खेती की शुरुआत की थी तब उनके इलाके में कोई जैविक खेती नहीं करता था, लेकिन इन्होंने ट्रेनिंग लेकर खेती करना शुरू किया था, इसलिए इन्होंने कभी भी केमिकल का प्रयोग अपने खेत में नहीं किया।

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कैसे होता है ओयस्टर मशरुम की खेती?

ओयस्टर मशरूम लगाने के लिए सबसे पहले उत्पादन कक्ष की जरूरत होती है। ये कक्ष यानी बॉक्स कच्र्ची इंटों, पोलिथीन तथा धान या अन्य फसल के पुआल से बनाऐ जा सकते हैं। इन उत्पादन कक्षों में खिड़की और दरवाजों पर जाली लगी होनी चाहिए, ताकि हवा का उचित आगमन हो सके। वैसे तो ये उत्पादन कक्ष किसी भी आकार के हो सकते है, जैसे 18 फुट लंबा 15 फुट चौड़ा 10 फुट ऊंचा कक्ष बनाया जा सकता है। इस नाप के कक्ष में लगभग 300 बैग रखे जा सकते हैं। ढींगरी मशरूम का उत्पादन किसी भी प्रकार की बिना सड़ी गली फसल अवशिष्ट पर किया जा सकता है। फसल अवशिष्ट या भूसा 2-3 सेमी साइज का कटा हुआ होना चाहिए।

वे (Pushpa Patel) बताती हैं कि, वे 130 रुपये किलो ओएस्टर मशरूम के बीज लाती हैं, जिससे 10 से 12 बैग मशरूम उग जाते हैं। जैविक तरीके से मशरूम की उपज करने से मात्र 15 दिन में तैयार हो जाते हैं और पहली बार में एक किलो बीज से 10 किलो उत्पादन हो जाता है।

लागत कम और मुनाफा ज्यादा

मशरूम का उत्पादन एक अच्छा बिजनेस है। इसमें लागत बहुत कम लगती है। उत्पादन कक्ष भी कच्चे और कम लागत पर बनाए जा सकते है।

पुष्प पटेल(Pushpa Patel), फिलहाल अपने द्वारा उत्पादन किए गए मशरूम को कृषि केंद्र पर ही बेचती हैं। एक किलो मशरूम वे 250 रुपये में बेचती हैं। वे बताती हैं कि, प्रति स्क्वायर फीट 1300 रुपये खर्च करके, वह आराम से 15 दिन में 3000 का मुनाफा कमा लेती हैं। इसके अलावें, अगर ताजे मशरूम की बिक्री नहीं होती है तो उसको सुखाकर पाउडर बना लेती हैं और बाद में इससे खाखरा आदि बनाकर बेचती हैं।

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अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए भेजा गांव से बाहर

पुष्पा बताती है कि, मशरूम के उत्पादन से अच्छे कमाई करके आज मैने अपने बच्चे को पढ़ाई से लिए गांव से बाहर शहर में भेजा है ताकि वे अच्छे शिक्षा ग्रहण कर सकें।

बता दें कि, इनकी बेटी डेयरी टेक्नोलॉजी की पढ़ाई आणंद में रहकर कर रही हैं। जबकि उनका बेटा कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई गुजरात के अरवल्ली में रहकर कर रहा है।

दूसरे महिलाओं को मशरूम उत्पादन करने के लिए किया प्रेरित

पुष्पा (Pushpa Patel) खेती करने के साथ-साथ अन्य महिलाओं को मशरूम उत्पादन के लिए प्रेरित भी करती हैं। अब तक वे 60 महिला किसानों को ट्रेनिंग भी दे चुकी हैं। कई महिलाएं इनसे मशरूम का उत्पादन सीख कर अब अपने खेतों में मशरूम का उत्पादन भी कर रही हैं और साथ ही आत्मनिर्भर भी बन रहीं हैं।

लोगों के लिए बनी हैं प्रेरणा

अपने मेहनत और संघर्ष के बदौलत घर के खाली कमरे से मशरूम की खेती की शुरुआत करने वाली पुष्पा पटेल (Pushpa Patel) आज के समय में अपने दम पर पाँच बीघा खेतों में मशरूम तथा अन्य तरहों की खेती कर रहीं हैं। उनकी इस तरह की आत्मनिर्भरता हजारों लोगों के लिए प्रेरणा बनी हुई है। अपने संघर्षशील और सफल काम के वजह से पहचान बनाने वाली महिला आज के समय में हजारों लोगों के लिए प्रेरणा बनीं है।

निधि बिहार की रहने वाली हैं, जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अभी बतौर शिक्षिका काम करती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के साथ ही निधि को लिखने का शौक है, और वह समाजिक मुद्दों पर अपनी विचार लिखती हैं।

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