प्लास्टिक हमारे जीवन में इस कदर शामिल हो गया है कि यह हमारी सेहत के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी हानिकारक सिद्ध हो रहा है। प्लास्टिक एक ऐसा गंभीर समस्या बन गया है जिससे निजात पाने के लिए पूरी दुनिया के देश इसका हल ढूंढ रहे हैं। इसके बावजूद भी प्लास्टिक यूज में कमी नहीं आ रही है। हालांकि, अब जागरुकता बढ़ रही है जिससे कुछ लोग प्लास्टिक मुक्त अभियान चला रहे हैं और अपने आसपास के क्षेत्रों को प्लास्टिक के कहर से बचा रहे हैं।
उन्हीं लोगों में से एक राजस्थान का चायवाला है जो प्लास्टिक के गंभीर समस्या से बचने के लिए अपने गाँव को प्लास्टिक मुक्त बनाने की कोशिश में जुटा है। इस मुहिम के अनुसार वह प्लास्टिक लेकर लोगों को मुफ्त में पौधा और अन्य जरुरत के सामान देता है। इसी कड़ी में चलिए जानते हैं उस चायवाले के बारें में-
कौन है वह चायवाला?
हम बात कर रहे हैं काना राम मेवाड़ा (Kana Ram Mewada) की, जो राजस्थान (Rajasthan) के पाली जिला स्थित बीसलपुर गांव के रहनेवाले हैं। वह एक छोटी-सी चाय का दुकान चलाते हैं और उसी से उनका जीवनयापन होता है। चाय की दुकान चलाने के साथ-साथ वह पर्यावरण संरक्षण में भी अपनी भूमिका निभाते हैं इसलिए उन्हें पर्यावरण संरक्षक के तौर पर भी जाना जाता है।
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डेढ़ साल से चला रहे हैं मुहिम
काना राम मेवाड़ा को लोग कानजी भाई (Kanji Bhai) के नाम भी जानते हैं। वह बताते हैं कि, गांव को प्लास्टिक मुक्त बनाने की मुहिम की शुरूआत लगभग डेढ़ साल पहले हुई थी। इसकी शुरूआत उन्होंने सबसे पहले खुद से की और फिर लोगों में जागरुकता फैलाने का काम किया। उन्होंने लोगों में पर्यावरण को बचाने के विषय में जागरुकता फैलाने के लिए काफी मेहनत की तब जाकर लोगों ने इस गंभीर विषय को समझा और इस काम में उनका साथ भी दे रहे हैं।
प्लास्टिक के बदले मुफ्त में देते हैं पौधें और अन्य जरुरी चीजें
कानजी भाई (Kanji Bhai) के चाय की दुकान में कुर्सी-टेबल समेत सबकुछ ईको-फ्रेंडली है। पर्यावरण संरक्षण मुहिम को जन-जन तक पहुंचाने के लिए उन्होंने अपनी दुकान पर एक पर्ची चिपकाया है जिसपर लिखा है, सिंगल यूज प्लास्टिक लाईए और मुफ्त में एक पौधा लेकर जाइए। उनके इस मुहिम के वजह से अब लोगों में जागरुकता बढ़ी है इसलिए वे जहां-तहां प्लास्टिक न फेंककर उन्हें दे देते हैं।
गांव के डैम को देखने आनेवाले पर्यटक भी इस काम को करते हैं। कानजी भाई के इस नेक कार्यों की वजह से आसपास के इलाके में भी उनकी पहचान बढ़ गई है और लोग उन्हें जानने लगे हैं। बता दें कि कानजी भाई प्लास्टिक के बदले सिर्फ पौधें ही नहीं बल्कि अन्य आवश्यक चीजें भी देते हैं जैसे, रबर-पेंसिल, ज्योमेट्री बॉक्स, चीनी आदि। दूसरे शब्दों में कहें तो वह सिर्फ पर्यावरण संरक्षण में ही नहीं बल्कि समाजसेवा में भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
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कैसे शुरु हुई यह पहल
पर्यावरण संरक्षण (Environment Protection) के लिए शुरु किए गए इस पहल के बारें में बात करते हुए कानजी भाई ने बताया कि, इस काम को करने की प्रेरणा गांव के ही एक शख्स जिसका नाम दिलीप कुमार जैन है, से मिली जो मुम्बई एक NGO में कार्यरत हैं। उनसे मिलने के बाद से कानजी भाई से अपने बीसलपुर गांव को प्लास्टिक मुक्त बनाने का निर्णय लिया और इस काम में जुट गए।
आसान नहीं था मुहिम से लोगों को जोड़ना
हालांकि, इस मुहिम से लोगों को जोड़ना आसान नहीं था। ऐसे में इस पहल को लोगों तक पहुंचाने के लिए कानजी भाई ने डोर-टू-डोर जाकर लोगों से प्लास्टिक फेंकने के बजाय 25 रुपये प्रति किलोंग्राम के भाव से उन्हें बेचने की बात की। साथ ही उन्होंने लोगों से यह भी कहा कि फेंके गए प्लास्टिक खाकर गायों की तबीयत बिगड़ रही है। उसके बाद से लोगों ने इधर-उधर प्लास्टिक न फेंककर कानजी भाई को देना शुरु किया।
कानजी भाई (Kana Ram Mewada) लोगों से हर माह 30 से 50 किलो प्लास्टिक इकट्ठा करते हैं फिर उसे रिसाइकिल करके मुंबई भेज देते हैं। उनके द्वारा शुरु की गई प्लास्टिक के बदले पौधें देने की मुहिम से अब गाँव में प्लास्टिक का इस्तेमाल कम हुआ है।
वास्तव में काना राम मेवाड़ा उर्फ कानजी भाई द्वारा शुरु की ये पहल सराहनीय है। The Logically उनकी प्रशंशा करता है।