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बायोफ्लॉक तकनीक से कर रहे मछली पालन, 5 किस्म की मछलियां पाल कमा रहे हैं लाखों

लोग अपनी बेहतर आय और अपने जीविकोपार्जन के लिए अन्य प्रकार के कार्यों को करते हैं जिससे उन्हें खुशी मिले और साथ ही लक्ष्मी की भी प्राप्ति हो। कुछ लोग खेती कर रहे हैं, तो कुछ लोग पशुपालन, तो कुछ मत्स्यपालन। सब अपनी रुचि अनुसार क्षेत्र का चयन कर उसमें सफलता हासिल कर अन्य लोगों का मनोबल बढ़ा रहे हैं और उन्हें भी इस क्षेत्र में लाने के लिए जागरूक कर रहे हैं।

आज की हमारी यह कहानी एक ऐसे शख्स की है जो ब्योफ्लोक तकनीक को अपनाकर मत्स्यपालन कर उससे दोगुना लाभ अर्जित कर रहे हैं। उन्होंने 9 टैंकों में 5 प्रजाति की मछलियों को पाला है जो बेहद लाभकारी सिद्ध हो रहा है।

बायोफ्लॉक और इंडोनेशियन पद्धति का कर रहें हैं उपयोग

नरेश महतो (Naresh Mahto) जो बिहार (Bihar) राज्य के बेगूसराय (Begusarai) से ताल्लुक रखते हैं वह नई तकनीक से मछली पालन कर उस में बेहतर सफलता हासिल कर रहे हैं। वह मत्स्य पालन के लिए बायोफ्लॉक और इंडोनेशिया पद्धति का उपयोग कर रहे हैं और सफलता हासिल कर अन्य लोगों का उदाहरण बन रहे हैं। आप उनके बनाए गए तालाब में विभिन्न प्रजातियों के मछलियों के साथ-साथ देशी मांगुर मछली को भी देख सकते हैं। -Naresh Mahto of Begusarai is earning lakhs of rupees from fisheries by adopting biofloc technology

Rajesh from Bihar doing fish farming through Bioflock technique

करना पड़ा परेशानियों का सामना

वर्ष 2021 में उन्होंने 18 लाख रुपए की लागत से बायोफ्लॉक कृत्रिम तारोपोलिन टैंक को निर्मित करवाया उन्हें इसके विषय में अधिक जानकारी नहीं थी जिस कारण शुरुआती दौर में थोड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्हें मछलियों के बीज खरीदने में गलतियां हुई थी जिस कारण आगे वह परेशानियों से जूझें। -Naresh Mahto of Begusarai is earning lakhs of rupees from fisheries by adopting biofloc technology

नौकरी छोड़ शुरू किया मत्स्यपालन

किशनगंज के इलेक्ट्रिक ट्रेन में डिप्लोमा हासिल करने के उपरांत 7 वर्षों तक पावर हाउस बखरी में जॉब भी किया है। इस दौरान उन्होंने यूट्यूब पर मछली पालन के विषय में देखा और इससे इसकी तकनीक को देखा। अब उन्होंने नौकरी को छोड़ मत्स्यपालन के बारे में सोंचा। अब वह मुजफ्फरपुर के केंद्रीय मत्स्य संसाधन केंद्र में गए और वहां 6 दिनों का ट्रेनिंग लिया और मत्स्य पालन प्रारंभ किया। -Naresh Mahto of Begusarai is earning lakhs of rupees from fisheries by adopting biofloc technology

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कर रहे हैं दुगुनी कमाई

उन्होंने 23×23 फीट के टैंक में लगभग 5 किस्म की मछलियों को पाला है। इन मछलियों में आंध्रा, कबई, देशी मांगर, फंगास, तिलापिया आदि शामिल है। वह एक टैंक से लगभग 9 क्विंटल मछली पालते हैं मछलियों के खान-पान से लेकर उनके देखभाल में लगभग 40 हजार की लागत होती है। 6 माह बाद वह मछलियां लगभग 200 से 700 ग्राम की हो जाती है जिससे उनकी बिक्री प्रारंभ हो जाती है। व्यापारी थोक भाव में इसे खरीदकर ले जाते हैं वह पहली बार मे इसे 20 लाख में खरीदते हैं और जब ये बड़ी हो जाती हैं तो दूसरी बार में दुगुनी कमाई करते हैं। -Naresh Mahto of Begusarai is earning lakhs of rupees from fisheries by adopting biofloc technology

क्या है मत्स्यपालन का बायोफ्लॉक तकनीक

वह बताते हैं कि इस तकनीक में तालाब की खुदाई के लिए आप कृत्रिम ट्रैक का निर्माण कर उसमें मछली पाल सकते हैं। इस सिस्टम में बायोफ्लॉक बैक्टीरिया को भी पाला जाता है। यह बैक्टीरिया मछलियों के खराब भोजन एवं मल को प्रोटीन सेल में परिवर्तित करती है और मछलियों को उनका भोजन प्रदान करती हैं। -Naresh Mahto of Begusarai is earning lakhs of rupees from fisheries by adopting biofloc technology

गर्मियों में अधिक बढती हैं मछलियां

वह बताते हैं कि ठंड के मौसम के दौरान तापमान को मेंटेन करना कठिन होता है। इसलिए चार-पांच दिनों तक टैंक के पानी में टीडीएस, पिएच, अमोनिया एल्केनेटी आदि को मेंटेन करना पड़ता है। प्रत्येक सप्ताह लगभग 20% पानी को बाहर निकालकर में ताजा पानी डाला जाता है। गर्मी के मौसम में मछलियां अधिक तथा ठंड के मौसम में कम बढ़ती हैं। -Naresh Mahto of Begusarai is earning lakhs of rupees from fisheries by adopting biofloc technology

अगर आप भी आजीविका के लिए मत्स्यपालन के बारे में सोंच रहे हैं तो बायोफ्लॉक (Biofloc) तकनीक को ही अपनाएं जिससे आप दोगुना लाभ प्राप्त करेंगे। -Naresh Mahto of Begusarai is earning lakhs of rupees from fisheries by adopting biofloc technology

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