रेलवे स्टेशन हबीबगंज देश का पहला वर्ल्ड क्लास स्टेशन बन चुका है, हालांकि अब इस स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन (Rani Kamlapati Station) रख दिया गया है। बता दें कि, मध्यप्रदेश सरकार के नोटिफिकेशन जारी होते ही स्टेशन का नाम बदल दिया गया है। स्टेशन का नाम बदलने के बाद रेलवे ने नया कोड भी जारी कर दिया है। पश्चिम-मध्य रेलवे ने आदेश जारी कर नया अल्फा कोड RKMP दिया है, जबकि अभी तक हबीबगंज का कोड HBJ था।
कौन थी रानी कमलापति?
रानी कमलापति (Rani Kamalapati) मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के गिन्नौरगढ़ के राजा की सातवीं रानी थी। 18वीं शताब्दी में गिन्नौरगढ़ के राजा गोंड राजवंश के शक्तिशाली राजाओं में से एक थे। रानी कमलापति के बारे में कहा जाता है कि वह काफी ख़ूबसूरत भी थीं। ऐसी मान्यता है कि वह गोंड राजवंश की अंतिम रानी थी और राजा उन्हे सबसे ज्यादा प्रेम करते थे।
बताया जाता है कि, रानी कमलापति (Rani Kamalapati) ने अपनी आबरू की रक्षा के लिए उन्होंने जल समाधि ले ली थी। उन्हीं के नाम पर भोपाल में आर्च ब्रिज और कमला पार्क का नाम है।
गिन्नौरगढ़ से बाड़ी गोंड समुदाय का राजवंश फैला हुआ था। राजा रायसिंह का वर्ष 1362 से 1419 तक 57 वर्ष का कार्यकाल रहा तथा उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान रायसेन किला बनवाया था। जगदीशपुर (इस्लाम नगर) में 14वीं ईस्वी में गोंड राजाओं का आधिपत्य रहा। इस महल को भी गोंड राजाओं द्वारा बनवाया गया था।
बचपन से ही थी साहसी
बता दें कि, 16वीं सदी में सीहोर जिले की सलकनपुर रियासत के राजा कृपाल सिंह सरौतिया थे। उनके यहां एक कन्या ने जन्म लिया, जिसकी खूबसूरती के अनुसार उसका नाम कमलापति रखा गया।
कमलापति बचपन से हीं बुद्धिमान और साहसी थीं। उन्होंने शिक्षा, घुड़सवारी, मलयुद्ध और तीर कमान चलाने में महारत हासिल की थी। बता दें कि, वह राजकुमारी अनेक कलाओं से पारंगत थी और बाद में सेनापति भी रहीं। पिता के सैन्य बल और महिला साथी दल के साथ वह राजकुमारी युद्ध में शत्रुओं से लोहा लेती थीं। अकसर खेत, खलिहान, धन संपत्ति लूटने के लिए पड़ोसी राज्य आक्रमण किया करते थे। राजा कृपाल सिंह सरौतिया और उनकी बेटी राजकुमारी कमलापति पर सलकनपुर रियासत की देखरेख करने की जिम्मेदारी थी।
राजा निजाम शाह से हुआ विवाह
गिन्नौरगढ़ राज्य भोपाल से 55 किमी दूर 750 गांवों को मिलाकार बनाया गया, जो देहलावाड़ी के पास आता है। यहां के राजा सूराज सिंह शाह (सलाम) थे तथा इनके पुत्र निजाम शाह थे। बहादुर, निडर और हर कार्यक्षेत्र में निपुण निजाम शाह का विवाह रानी कमलापति के साथ हुआ था।
प्रेम स्वरूप में सात मंजिला महल का कराया निर्माण
1700 ईस्वी में भोपाल में राजा निजाम शाह ने रानी कमलापति को प्रेम स्वरूप सात मंजिला महल का निर्माण करवाया, जो कि लखौरी ईंट और मिट्टी से बनवाया गया था। यह महल प्रसिद्धि अपनी भव्यता, सुंदरता और खूबसूरती के लिए था। उनलोगों का वैवाहिक जीवन काफी खुशहाल व्यतीत हो रहा था तभी रानी कमलापति ने एक पुत्र को जन्म दिया और उसका नाम नवल शाह रखा गया।
निजाम शाह को रिश्तेदार ने जहर देकर मार डाला
बता दें कि, सलकनपुर राज्य में बाड़ी किले के जमींदार का लड़का चैन सिंह राजकुमारी कमलापति को पसंद करता था और शादी होने के बाद भी उनसे विवाह करने की इच्छा रखता था। इसलिए उसने राजकुमारी कमलापति के पति राजा निजाम शाह को मारने की कई बार कोशिश की, लेकिन वह हर बार असफल रहा।
अचानक एक दिन चैन सिंह ने प्रेम से राजा निजाम शाह को भोजन पर आमंत्रित किया तथा उसी दौरान भोजन में जहर देकर हत्या कर दी। राजा निजाम शाह की मौत की खबर ने पूरे गिन्नौरगढ़ में आग के तरह फैल गई और सब जगह हड़कंप मच गया। जब उसे लगा कि रानी कमलापति इस समय अकेली होंगी तभी उन्हें पाने की नीयत से गिन्नौरगढ़ के किले पर उसने हमला कर दिया। तभी रानी कमलापति ने अपने कुछ वफादारों और 12 वर्षीय बेटे नवल शाह के साथ भोपाल में बने इस महल में छिप जाने का निर्णय लिया। यह जगह उस समय सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण महल था।
रानी कमलापति ने अफगानियों से कराई चैन सिंह पर हमला
भोपाल में कुछ दिन समय बिताने के बाद रानी कमलापति को किसी ने बताया कि, भोपाल की सीमा के पास कुछ अफगानी आकर रुके हुए हैं। इस जानकारी के बाद उन्होंने जगदीशपुर (इस्लाम नगर) पर आक्रमण कर उसे अपने कब्जे में ले लिया था। जहां अफगानों का सरदार दोस्त मोहम्मद खान था, जो पैसा लोगों से लेकर युद्ध लड़ते थे। लोगों का कहना है कि, रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद को एक लाख मुहरें देकर चैन सिंह पर हमला करने को कहा था।
दोस्त मोहम्मद ने की थी चैन सिंह की हत्या
स्थानीय लोगों के अनुसार, रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद ने गिन्नौरगढ़ के किले पर हमला करने को बोला था और उसी हमले में चैन सिंह मारा गया और किले को हड़प लिया। अब धीरे-धीरे रानी कमलापति को अपने छोटे बेटे की परवरिश की चिंता होने लगी और उन्होंने दोस्त मोहम्मद के इस कदम पर कोई अफसोस नहीं किया लेकिन दोस्त मोहम्मद अब सम्पूर्ण भोपाल की रियासत पर कब्जा करना चाहता था और रानी कमलापति को अपने हरम में शामिल होने और शादी करने का प्रस्ताव रखा।
रानी के बेटे से मोहम्मद में हुआ युद्ध
जब दोस्त मोहम्मद खान के अपने खराब इरादे को रानी कमलापति (Rani Kamalapati) के सामने रखा लेकिन रानी ने कोई जवाब नहीं दिया। 14 वर्षीय बेटा नवल शाह को जब इस बात की पता चली तो वे गुस्से में अपने 100 लड़ाकों के साथ लालघाटी में युद्ध करने चला गया। लेकिन इस युद्ध का परिणाम बेहद ही खराब हुआ। मोहम्मद खान ने नवल शाह को मार दिया। इस स्थान पर इतना खून बहा कि यहां की जमीन लाल हो गई और इस कारण इसे लालघाटी कहा जाने लगा।
रानी कमलापति ने ली जल समाधि
जब रानी कमलापति (Rani Kamalapati) ने इस विषम परिस्थति को देखा तो अपनी इज्जत को बचाने के लिए बड़े तालाब बांध का संकरा रास्ता खुलवाया। इससे बड़े तालाब का पानी रिसकर दूसरी तरफ आने लगा। जिसे आज छोटा तालाब के रूप में जाना जाता है।
दौलत, जेवरात, आभूषण आदि डालकर ली जलसमाधि
परिस्थिति खराब होने के वजह से रानी कमलापति (Rani Kamalapati) ने महल की समस्त धन, दौलत, जेवरात, आभूषण आदि इसमें डालकर खुद ही जलसमाधि ले ली। अपनी सेना को साथ जब दोस्त मोहम्मद खान लालघाटी से इस किले तक पहुंचा, उतनी देर में सब कुछ खत्म हो गया था। न उसको रानी कमलापति मिली और न ही धन दौलत। रानी ने अपने जीते जी भोपाल पर उस जानवर को नहीं बैठने दिया।
स्रोतों के अनुसार वर्ष 1723 में रानी कमलापति ने अपनी जीवनलीला खत्म की थी। उनकी मृत्यु के बाद दोस्त मोहम्मद खान के साथ ही नवाबों का दौर शुरू हुआ।