कई बार लोग कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी जल्दी सफलता हासिल नहीं कर पाते हैं। बार-बार हार का सामना करने पर भाग्य को दोषी ठहराने लगते हैं। लेकिन व्यक्ति को हार से कभी घबराना नहीं चाहिए। पूरे परिश्रम के साथ किया गया मेहनत कभी बेकार नही जाता है।
आज हम आपको आईआईएम (IIM) में पढ़ चुके साहिल बरुआ (Sahil Barua) के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने साथ घटित हुई एक घटना से प्रेरणा लेते हुए अपने दोस्तों के साथ मिलकर करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी। कभी साहिल बरूआ को रेस्टोरेंट ने खाने की डिलीवरी लेट की थी। जिसके कारण उनके दिमाग में इस समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने एक योजना बनाई और उन्होंने इसे व्यापार में बदल दिया। आज उनकी कंपनी Delhivery एक अच्छे मुकाम पर है। आइये जानते हैं उनके बारे में।
दोस्तों ने दिया साथ (Sahil Barua Delhivery along with friends)
साहिल बरुआ ने ही “डेल्हीवेरी” नमक डिलीवरी कंपनी की नींव रखी थी जिसमें उनके दोस्तों ने भी उनका पूरा साथ दिया। आज वे इसी कंपनी से खुद की भारत और विदेशों में अलग पहचान बना चुके हैं। वहीं इस डिलीवरी कंपनी से उनका अच्छा खासा कारोबार भी हो रहा है। साहिल ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हुई है। इंजीनियरिंग के बाद साहिल ने IIM से मैनेजमेंट की पढ़ाई की।
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एसोसिएट कंसल्टेंट की नौकरी
दिल्ली में पले-बढ़े साहिल ने सेंट जेवियर हाई स्कूल से स्कूली शिक्षा लेने के बाद उन्होंने कर्नाटक के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। साहिल ने मेकैनिकल इंजीनियरिंग और आईआईएम की पढ़ाई पूरी की। जिसके बाद उन्होंने बैन एंड कंपनी में एसोसिएट कंसल्टेंट के तौर पर नौकरी करना शुरु किया। इसी नौकरी के दौरान साहिल की मुलाकात सूरज सहारन और मोहित टंडन से हुई। इन तीनों की मुलाकात गहरी दोस्ती में तब्दील हो गई।
व्यापार करने की योजना (Sahil Barua Delhivery)
एक रात जब साहिल और सूरज ने गुड़गांव के एक रेस्टोरेंट से ऑनलाइन खाना ऑर्डर किया। लेकिन उन्हें खाने की डिलीवरी लेट मिली। डिलिवरी में हुई परेशानी को देखकर उन्हें इस बात का अंदाजा हो गया कि इंडियन मार्केट में डिलिवरी की सुविधा की बड़ी कमी है और रेस्टोरेंट के लिए डिलिवरी नेटवर्क (Network) के लिए कोई ऑनलाइन या फिजिकल मॉडल भी नहीं है । इसी कमी में उन्हें अपना बिजनेस आइडिया मिल गया। यहीं से ‘डेल्हीवेरी ऐप’ की शुरुआत हुई।
Delhivery का मॉडल
साहिल ने Delhivery की शुरुआत गुड़गांव में 250 स्क्वायर फीट के एक कॉर्पोरेट ऑफिस से की। अपने व्यापार को फैलाते हुए उन्होंने लोकल रेस्टोरेंट के साथ हाथ मिलाना शुरू किया। Delhivery का मॉडल काफी पसंद किया गया और बहुत ही कम वक्त में उन्हें गुड़गांव में ही 100 ऑर्डर रोजाना मिलने लगे।ई-कॉमर्स से मिलने वाले काम को देख साहिल और उनके दोस्तों ने मार्केट की पड़ताल की और पाया कि इस फील्ड में बड़े मौके मौजूद हैं। साल के अंत तक वे दिल्ली और एनसीआर में तीन सेंटर्स के साथ 5 ई-कॉमर्स क्लाइंट्स के लिए 500 शिपमेंट्स डिलिवर कर रहे थे। कुछ ही वक्त में उन्होंने फंडिंग के साथ स्टोरेज फैसिल्टिज को बढ़ाना शुरु किया।
कभी पीछे मुड़ के नही देखा (Sahil Barua Delhivery)
स्टोरेज सुविधा के साथ कंपनी अपना कारोबार देश के 31 शहरों में फैलाने में कामयाब हो गई। यहां से डेल्हीवेरी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पांच साल पहले पांच को-फाउंडर्स और मुट्ठी भर डिलिवरी ब्वॉयज के साथ शुरू हुई कंपनी इस वक्त में 3200 इंप्लॉइज की टीम के साथ देश के 175 शहरों के साथ मिडल ईस्ट और साउथ-एशिया में कारोबार कर रही है। यही नहीं इसी फाइनेंशियल ईयर में कंपनी ने 220 करोड़ के टर्नओवर का आंकड़ा पार कर लिया है।
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विदेशों में भी कारोबार (Sahil Barua Delhivery)
आज Delhivery कंपनी साउथ एशिया के साथ साथ मिडल ईस्ट में भी कारोबार कर रही है। ये कंपनी अब तक 763 मिलियन डॉलर का निवेश भी हासिल कर चुकी है। वहीं कंपनी की वैल्यू भी 11 हज़ार करोड़ की बताई जा रही है। फिलहाल कंपनी बी2बी और बी2सी मॉडल पर काम कर रही है। यह कंपनी देश का यूनिकॉर्न स्टार्टअप भी बन चुका है। वाकई इन युवाओं ने सफलता की एक अनूठी मिसाल को पेश किया है।
आज साहिल युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि योजनाबद्घ तरीके से किया गया काम एक दिन जरूर सफल होता है।
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