Wednesday, December 13, 2023

मात्र दस हजार रुपये से शुरु की मोती‌ की खेती, आज हर सीजन में 10 लाख रुपए का कमा रहे मुनाफा: प्रेरक किसान

अधिकांश लोग सरकारी नौकरी पाने के लिए जी जान से मेहनत करते हैं। कुछ लोग अपनी मेहनत से सफल हो जाते हैं, तो वही कुछ लोगों को प्राइवेट जॉब करनी पड़ती है। आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने सरकारी नौकरी पाने में असफल होने पर मोतियों की खेती करनी शुरू कर दी। आज उनकी मोतियों की डिमांड भारत समेत अमेरिका और इटली जैसे देशों में हो रही है।

38 साल के संजय गंडाते महाराष्ट्र के गढ़चिरौली के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि वह एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता एक किसान थे और वह पारंपरिक खेती करते थे। संजय ने बताया कि बचपन से ही उन्हें मोतियों का काफ़ी शौक रहा है। उन्होंने बताया कि वह गांव के पास नदी किनारे अपने दोस्तों के साथ सीपियां चुनने जाते थे और आज वह मोतियों की खेती और मार्केटिंग का कार्य करके साल में लगभग 10 लाख रुपए तक की कमाई कर रहे हैं।

कभी सोचा नहीं था बिजनेस करेंगे

संजय ने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह बिजनेस करेंगे और वो भी मोतियों का। कुछ वर्षो तक उन्होंने सरकारी नौकरी की तैयारी की। वह एक सरकारी शिक्षक बनना चाहते थे पर बहुत कोशिशों के बावजूद जब उनका सिलेक्शन नही हुआ, तब उन्होंने सोचा कि किसी कंपनी में नौकरी करने से अच्छा है कि मैं खेती- बारी से ही अपना बिजनेस शुरु करू।

Sanjay Gandate from Maharashtra is doing Pearl Farming

सरकारी नौकरी में सिलेक्शन ना होने पर, शुरू की मोतियों की खेती

संजय ने कुछ सालों तक सरकारी नौकरी पाने के लिए तैयारी की पर जब उनका सिलेक्शन नही हुआ तब उन्होंने खेती करने को सोचा। वैसे तो इनके पिता पारंपरिक खेती करते थे परंतु इन्हें पारंपरिक खेती नही करनी थी। संजय कुछ नया करना चाहते थे। तभी उन्हे गांव की नदी याद आई, जहां वह बचपन में सीपे चुनने जाया करते थे। उन्होंने मोतियों की खेती करने को सोचा और इसके बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र पहुंचे जहां उन्हें पता चला कि इन सीपियों की मदद से वह मोती तैयार कर सकते हैं। उन्हें ये तो पता चला कि इसमें मोती तैयार कर सकते हैं, परन्तु इसकी प्रोसेस के बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी। (Pearl Farming)

जैसे कि संजय को शुरु से मोतियों से लगाव रहा था इस कारण इन्होंने यह सोच लिया कि अब आगे जो भी हो इन्हे
मोतियों की खेती करनी ही है। इन्होंने अपनी शौक को बिजनेस में बदलने को सोचा और नुकसान के बारे में ना सोचते हुए इसके बारे में और जानकारियां जुटाने में लग गए। संजय ने इस बारे में गांव वालों से जानकारी प्राप्त किया और फिर किताबों से भी जानकारियां हासिल किया। पुरी जानकारी मिलने के बाद उन्होंने नदी से सीप लाया और एक तालाब किराए पर लेकर अपना कार्य शुरु किया। मात्र 10 हजार रुपए से भी कम लागत में इन्होंने अपनी मोतियों की खेती करनी शुरू कर दी। (Pearl Farming)

Sanjay Gandate from Maharashtra is doing Pearl Farming

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शुरुआत में हुआ नुकसान, पर हार नहीं मानी

संजय को मोतियों की खेती के बारे में उतनी जानकारी नहीं थी, जिसकी वजह से उन्हें थोड़ा नुकसान झेलना पड़ा। शुरुआत में उनकी कई सीपिया मर गई पर उन्होंने हार नहीं मानी और अपना सोच नहीं बदला। उन्होंने इसकी प्रोसेस को समझने के लिए थोड़ा और समय लिया और इंटरनेट के द्वार इसे समझने की कोशिश की। जब इन्हे लगा की अब यह फिर से खेती शुरू कर सकते है तब इन्होंने फिर एक बार खेती किया। इस बार वह अपनी कोशिश में सफल हुए और काफ़ी अधिक संख्या में मोती तैयार हुई।

संजय ने कभी हार नहीं मानी और आज वह मोतियों की खेती करने में सफल हो चुके है। जहां पहले उन्होंने तालाब किराए पर लिया था, वही आज उनका अपना तालाब है। उनके तलाब में अभी करीब पांच हजार सीपियां है, जिनसे वह एक दर्जन से भी अधिक मोतिया डिजाइन कर सकते है। (Pearl Farming)

व्यापार (marketing) के लिए कौन सा तरीका अपनाया?

संजय ने बताया कि वह अपना प्रोडक्ट किसी कम्पनी के द्वारा नही बेचते हैं। उनका कहना है कि किसी दूसरे कम्पनी के साथ मिलकर काम करने से उसकी कीमत उतनी नहीं मिलती है, जितने में आप खुद मार्केटिंग करके बेच सकते हैं। उन्होंने अपने व्यापार को सोशल मिडिया के जरिए शुरु किया था और आज भी वह इस पर काम करते हैं। इतना ही नहीं उनका एक खुद का वेबसाइट है, जहां से लोग ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं। बहुत सारे लोग इनसे फोन के जरिए भी आर्डर करते हैं और वह कुरियर द्वारा उन तक मोती पहुंचाते हैं। 1200 रूपए प्रति कैरेट के हिसाब से वह लोगों को मोती बेचते हैं। (Pearl Farming)

खेती करने के साथ ही देते हैं ट्रेनिंग

अपने घर पर ही संजय ने मोतियों की खेती के बारे में जानकारी देने के लिए एक ट्रेनिग सेंटर खोल रखा है। अगर किसी को ट्रेनिंग लेनी होती है, तो उन्हें 6 हजार रुपए जमा करने पड़ते हैं। वह लोगों को प्रैक्टिकली ट्रेनिंग देते हैं। कोरोना महामारी में हुए लॉकडाउन से पहले उनके यहां ट्रेनिंग लेने के लिए महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों से लोग आते थे। उन्होंने बताया कि अभी तक लगभग 1000 से ज्यादा लोगों को वह ट्रेंड कर चुके हैं। (Pearl Farming)

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कैसे करें मोती की खेती?

मोती की खेती करने के लिए आपको तीन चीजों की आवश्यकता पड़ती है। पहला आपके पास कम से कम 10 ×15 का तालाब होना चाहिए। इतना ही नहीं उसका पानी पीने लायक होनी चाहिए क्योंकि पानी अगर खरा हो, तो उसमें मोती नहीं हो पाएगा। दूसरी चीज है सीप, जिसे आप नदी से स्वयं निकाल सकते हैं या बाहर से खरीद सकते हैं। अगर आपको सीप खरीदना हो, तो आप साउथ के राज्यों से खरीद सकते हैं। वहां इसकी क्वालिटी भी अच्छी मिल जाती है। इसके बाद आती है मोती की बीज (सांच), जिस पर कोटिंग करके विभिन्न प्रकार के मोतियां डिजाइन की जाती हैं।
(Pearl Farming)

यदि आपको भी मोती की खेती के लिए ट्रेनिंग लेनी है, तो आप किसी नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं। इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चरल रिसर्च के तहत भुनेश्वर में एक नया विंग बनाया गया है। इस विंग का नाम सीफा (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर) है। यहां आप फ्री में मोती की खेती की ट्रेनिंग ले सकते हैं। इसके अलावा और भी बहुत से किसान इसकी ट्रेनिंग देते हैं। (Pearl Farming)

Sanjay Gandate from Maharashtra is doing Pearl Farming

मोती कैसे बनता है और उसका प्रोसेस क्या है?

मोती बनाने के लिए सबसे पहले हमें किसी नदी अथवा बाहर से खरीद कर सीपी लानी पड़ती हैं। इसके बाद उन्हें 2 से 3 दिनों तक एक जाली में बांधकर अपने तलाब में रख देना चाहिए, ताकि वह खुद को उस वातावरण में ढाल सके और इसकी सर्जरी में भी आसानी हो। सीपी से मोती बनने में लगभग 15 महीने का समय लग सकता है।
जब दो से तीन दिन हो जाए तो उन्हें तलाब से बाहर निकाल लिया जाता है। इसके बाद एक कॉमन स्क्रुड्राइव और पेंच की सहायता से इसकी सर्जरी की जाती है और सीपी का बॉक्स हल्का खोल कर उसमें मोती का बीज डाल दिया जाता है, जिसके बाद उसे बंद कर दिया जाता है। बंद करते समय अगर सीपी को ज्यादा क्षति पहुंचती है, तो उसका इलाज भी किया जाता है। (Pearl Farming)

एक नायलॉन के जालीदार बैग में इन सीपियों को रखकर नेट के जरिए तलाब में लगभग 1 मीटर गहरे पानी में डाल दिया जाता है और यह ध्यान रखा जाता है कि तालाब पर ज्यादा तेज धूप ना हो। गर्मियों में इसे बचाने के लिए आप इसे तिरपाल से ढक सकते हैं। वैसे मोतियों की खेती के लिए बरसात का सीजन काफी बेहतर होता है। इनके भोजन के लिए कुछ एल्गी अथवा कवक और गोबर के उपले डाले जाते हैं। 15 से 20 दिनों में इनको देखा जाता है कि कोई सीपी मरी न हो। अगर कोई सीपी मरती है, तो उसे निकाल दिया जाता है। अगर मरने के बाद इन्हें नहीं निकाला गया, तो इससे बाकी सीपियों नुकसान पहुंचता है। वैसे देखा जाए तो लगभग 40% सीपी इस प्रोसेस के दौरान मर ही जाती हैं। (Pearl Farming)

Sanjay Gandate from Maharashtra is doing Pearl Farming

मोतियों की खेती से कमाई

अगर आप कम खर्च में खेती से बेहतर मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो मोती की खेती आपके लिए बेहतर साबित हो सकती है। आप मोतियों की खेती करके ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। इसकी खेती करना चाहते हैं, तो शुरुआती दौर में आपको लगभग हजार सिपियों की जरूरत होगी। अगर आप खुद नदी से सीपी ला सकते हैं, तो और भी कम खर्च में आप इस खेती को कर सकते हैं, परन्तु अगर आप बाहर से खरीदते हैं, तो थोड़ा खर्च बढ़ सकता है। सीपी ढूंढना और उनकी पहचान करना इतना आसान भी नहीं होता है। सीपी दो तरह के होते हैं। एक नेचुरल और दूसरा आर्टिफिशियल। अगर आप बाहर से लाते हैं, तो एक नेचुरल सीपी की कीमत लगभग ₹70 होती है और अगर आर्टिफिशियल सीपी लेते है तो वह 5 से 7 रुपए में ही मिल जाती है। मोती की खेती अगर आप नेचुरल सीपी से करेंगे तो लगभग एक लाख रुपए तक की खर्च होंगे और अगर आर्टिफिशियल सीपी से करेंगे तो 15 से 20 हज़ार रुपए तक में ही हो सकती है। (Pearl Farming)

संजय बताते हैं कि नेचुरल तरीके से तैयार की गई डिजाइनर मोती की कीमत लगभग 1000 से 2000 रुपए तक होती है और एक नॉर्मल मोती की कीमत 100 से लेकर ₹500 तक ही होती हैं। उन्होंने बताया कि एक सीपी से हम मात्र दो मोती ही बना सकते हैं। वह कहते हैं कि अगर प्रोफेशनल तरीके से मोती की खेती की जाए तो 9 गुना तक हम मुनाफा कमा सकते हैं। यही नहीं कितने बार बड़ी कंपनियां किसानों से सीधे उनके प्रोडक्ट ही खरीद लेते हैं। (Pearl Farming)