Wednesday, December 13, 2023

बिहार ने दिया एक दूसरा दशरथ मांझी! पिछले 15 वर्षों में बंजर भूमि पर 10 हज़ार पेड़ लगा डाले

हम पेड़ो का उपयोग तो बहुत करते है लेकिन पेड़ो की रक्षा करना शायद भूल जाते है। अपने स्वार्थ के लिए हम मानव उनकी ( वृक्षों) की कटाई करते है लेकिन हम सभी के बीच में कोई ऐसा भी व्यक्ति है जिन्होंने 15 सालों में 10 हजार पेड़ लगाकर हम सभी को एक नई एहसास दिलाई है कि, वृक्ष है तो हम है। जी हां,हम बात कर रहे है बिहार के रहने वाले सतेंद्र गौतम मांझी ( Satendra Gautam Manjhi) की, जो आज-कल सोशल मीडिया पर एक प्रेरणा के रूप में छाए हुए है।

‌कौन है, सतेंद्र गौतम मांझी (Satendra Gautam Manjhi)

‌सतेंद्र मांझी बिहार राज्य के “गया”(Gaya) जिला के एक छोटे से गांव इमालियाचक के रहने वाले है। वो मगध विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट है। सतेंद्र, बाल संरक्षण आयोग के सदस्य भी रह चुके है।

 planted 10000 trees in 15 years



‌बंजर जमीन पर लगाया वृक्ष

‌उन्होंने सबसे पहले बंजर जमीन को फल्गु नदी के मदद से हरा-भरा किया। उसके बाद बंजर जमीन मे वृक्ष लगाया है, ज्यादातर वृक्ष अमरूद के है।

वीडियो यहां देखें –

यह भी पढ़ें :- पर्यावरण को समर्पित युवाओं की पहल: एक साल में 150 से भी अधिक अभियान चलाए जिससे पर्यावरण को बचाया जा सके

दशरथ मांझी से हुए प्रेरित

‌सतेंद्र मांझी ने बताया कि वो ‘माउंटेन मैन’ दशरथ मांझी (Dashrath Manjhi) से अपने घर पर मुलाकात भी कर चुके है। उसी मुलाकात के दौरान दशरथ मांझी ने उनको बंजर जमीन पर वृक्ष लगाने का सुझाव दिया था, जिसके बाद सतेंद्र मांझी ने वृक्ष लगाना शुरू किया।

 Satyendra Manjhi



‌बता दे कि ये पहली बार नहीं है इसके पहले भी बहुत पर्यावरण प्रेमी की तारीफ हुई है। अभी भी बहुत लोग सामने आए है जिन्होंने पर्यावरण के लिए प्रेम दिखाया है। सोशल मीडिया पर एक और व्यक्ति कुछ दिन पहले सामने आए थे जिनका नाम ‘मोइरांगथेम लोइया’ है जिनकी उम्र 45 साल है तथा वो 18 साल से पौधे लगा रहे है। इन्होंने पेड़- पौधे लगाने के लिए अपने नौकरी छोड़ दी, लोइया ने मणिपुर में 18 सालों में 300 एकड़ में जंगल तैयार किया है जिसमे कई प्रकार के पेड़-पौधे तथा पशु -पक्षी भी पाए जाते है।‌ इसी प्रकार एलंगबाम वेलेंतिना नामक एक 9 वर्षीय बच्ची है उसको सरकार ने ‘मुख्यमंत्री ग्रीन मणिपुर मिशन’ का एम्बेसडर बनाया,यह बच्ची अपने गुलमोहर के पेड़ो को काटते देखकर रो पड़ी थी। ‌इस प्रकार के लोग हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत है इनसे हमें प्रकृति से प्यार करना सीखना चाहिए।