नॉन वेज फूड (Non veg food) का क्रेज हर जगह देखने को मिलता है भारत में तो लोग इसके दीवाने है ही लेकिन विदेशों में तो यह लोगों के मुख्य डाइट का हिस्सा होता है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 70% लोग नॉन वेज खाते हैं। अकेले भारत में जब ये हाल है तो विदेशों के आंकड़े का अनुमान आप लगा ही सकते हैं। हमारे टेस्ट और नॉन वेज लव के पीछे कई जानवरों को अपनी जान गवानी पड़ती है।
इंटरनेट पर मिली एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल तकरीबन मीट के लिए 77 बिलियन जानवरों को मार दिया जाता है। साल दर साल इसकी डिमांड बढ़ती ही जा रही है। इतनी बड़ी तादाद में जानवरों को मीट के लिए मारना न केवल बायोलॉजिकल चेन ( Biological chain) के लिए नुकसानदायक है बल्कि उन तमाम जानवरों के तादात पर भी सवाल खड़ा करता है।
लेकिन इस बीच सिंगापुर से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने हम सभी को चौंका दिया है। ये किसी उपलब्धि से कम नहीं की अब मीट के लिए जानवरों को मारने की जरूरत नहीं। दरअसल, सिंगापुर के रेस्तरां में जल्द ही लैब में तैयार हुए चिकन मीट के डिशेज खाने का मौका मिलेगा। सिंगापुर की फूड एजेंसी ने लैब में तैयार इस मीट को सुरक्षित बताया और बाजार में उतारने की परमिशन दे दी है।
ऐसे लैब में तैयार किया गया मीट
अमेरिकी स्टार्टअप ईट जस्ट ने लैब में सेल कल्चर की मदद से मीट को तैयार किया। ईट जस्ट के सीईओ जोश टैट्रिक का कहना है कि जल्द ही सिंगापुर के रेस्तरां में इस आर्टिफिशियल मीट से तैयार प्रोडक्ट मिलेंगे। फिलहाल यह मीट प्रीमियम कीमतों पर मिलेगा लेकिन प्रोडक्शन बढ़ने पर इसकी कीमतों में गिरावट हो सकती है। ताकि सभी इसका लुफ्त उठा सकें।
टैट्रिक का कहना है, दुनियाभर में इकोफ्रेंडली चीजें तैयार हो रही है। हम बतौर फूड इंडस्ट्री खुद को भी इसी तरह विकसित कर रहे हैं। पहली बार सिंगापुर के रेस्तरां में कल्चर मीट (culture meet) से तैयार डिशेज उपलब्ध होंगी।
आर्टिफीशियल मीट को लेकर दावा
जोश के मुताबिक, सामान्य मीट की खपत बढ़ाने पर इसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ता है। जिसके लिए एक्सपर्ट्स भी चेतावनी दे रहे हैं। ग्राहकों की ओर से बढ़ते दबाव को देखते हुए मीट का दूसरा विकल्प उपलब्ध होना जरूरी है।
2050 तक 70 फीसदी तक मीट की खपत बढ़ जाएगी। ऐसे में लैब में तैयार मीट एक सुरक्षित विकल्प साबित होगा। जिससे काफी जानवरों की जान बचाई जा सकेगी!