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लंदन से पढ़कर आई श्रीप्रिया ने किया स्टार्टअप, आज लाखों की कमाई के साथ महिलाओं को बांट रही मुफ्त सेनेटरी पैड

पीरियड्स यानी माहवारी, महिलाओं में होने वाली एक प्राकृतिक क्रिया है, जो सभी महिलाओं के लिए कॉमन हैं, लेकिन जानकारी के आभाव और चीजों की उपलब्धता की कमी की वजह से बहुत से लोगों के लिए यह चुनौती बन जाता है। अक्सर ऐसी समस्या गरीब और गांवों में रहने वाली महिलाओं को होती है। इस समस्या को गंभीरता से समझते हुए कोलकाता की रहने वाली श्रीप्रिया (Sripriya) ने एक पहल की शुरूआत की है। – Sripriya started a new campaign to help poor women.

श्रीप्रिया मेंस्ट्रुअल हाइजीन प्रोडक्ट की एक स्टार्टअप शुरू की

श्रीप्रिया मेंस्ट्रुअल हाइजीन प्रोडक्ट को लेकर एक स्टार्टअप शुरू की है, जिसके जरिए वह देशभर में ऑर्गेनिक सैनिटरी पैड्स, मेंस्ट्रुअल कप, पीरियड पैंटी जैसे प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रही हैं। श्रीप्रिया अब तक 10 हजार महिलाओं को मुफ्त में भी सैनिटरी पैड्स बांट चुकी हैं। लोगों की मदद करने के साथ-साथ उनकी अच्छी खासी कमाई भी हो रही है। दरअसल श्रीप्रिया फैशन डिजाइनर हैं और उन्होंने लंदन से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया है। साल 2011 में भारत आने के बाद श्रीप्रिया खुद का फैशन डिजाइनिंग का काम शुरू की।

Shreepriya started menstrual startup and distributing sanitary pads and earning in lakh

पीरियड्स की दिक़्क़तों को समझते हुए शुरू की मुहिम

श्रीप्रिया कहती हैं कि महिलाओं में पीरियड्स कॉमन हैं, लेकिन कुछ महिलाओ को इसकी वजह से कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में गांवों की महिलाओं की स्थिति चिंताजनक तो हैं ही, शहरों में भी ऑफिस में काम करने वाली महिलाओं के लिए पीरियड्स का टाइम मुश्किल होता है। साथ हीं स्कूल-कॉलेज जानी वाली लड़कियों को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन परेशानियों को समझते हुए श्रीप्रिया कोई ऐसा प्रोडक्ट तैयार करना चाहती थी, जिससे महिलाओं को पीरियड्स के टाइम परेशानी ना हो।

NGO के मदद से लोगों में बांटी सैनिटरी पैड्स

साल 2020 में श्रीप्रिया ने इस मुहिम पर काम करना शुरू किया और इसके लिए उन्होंने कुछ ऑर्गेनिक सैनिटरी पैड्स तैयार किए। उनकी ड्यूरेबिलिटी काफी ज्यादा थी। NGO के मदद से उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों में सैनिटरी पैड्स बांटना शुरू किया। कुछ दिनों बाद उनकी इस मुहिम को कमर्शियल लेवल पर सपोर्ट मिलना शुरू हो गया और उनके पास पैड बनाने की डिमांड आने लगी। इसे श्रीप्रिया को बिजनेस का आईडिया आया।

Fabpad नाम से शुरू की अपना स्टार्टअप

अगस्त 2020 में श्रीप्रिया Fabpad नाम से अपना स्टार्टअप शुरू की। स्टार्टअप शुरू करने के बाद श्रीप्रिया ने सोशल मीडिया, अपनी वेबसाइट और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए मार्केटिंग शुरू की। इस तरह बहुत हीं जल्द उनके प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ने लगी और कई कंपनियों ने उनसे कॉन्टैक्ट भी किया। उसके बाद उन्होंने प्रोडक्ट की संख्या बढ़ा दी। ना केवल ऑर्गेनिक पैड्स बल्कि श्रीप्रिया मेंस्ट्रुअल कप, पीरियड पैंटी और बच्चों के लिए डायपर बनाने का भी काम करती है।

श्रीप्रिया ने अलग-अलग वैराइटी के पैड तैयार किए हैं

श्रीप्रिया बताती है कि उनकी कंपनी हर महीने 10 से 15 प्रतिशत तक ग्रोथ कर रही है। वर्तमान में अमेजन, फ्लिपकार्ट सहित कई बड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उनके प्रोडक्ट उपलब्ध हैं। श्रीप्रिया कहती हैं कि पीरियड के दौरान अक्सर महिलाओं को बार-बार पैड बदलने पड़ते हैं और लीकेज की भी टेंशन रहती है। बहुत सी गरीब महिलाएं गंदे और पुराने कपड़े भी यूज करती हैं, जिससे कई तरह के बीमारियों का खतरा रहता है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए श्रीप्रिया ने अलग-अलग वैराइटी के पैड तैयार किए हैं। – Sripriya started a new campaign to help poor women.

चार साल की ड्यूरेबिलिटी वाली पैड करती है तैयार

श्रीप्रिया ऐसे पैड भी तैयार करती है जिसे आसानी से साफ किया जा सकता है और बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे संक्रमण का खतरा नहीं रहता है और इसकी ड्यूरेबिलिटी लगभग चार साल की होती है। इसमें लीकेज को सोखने के लिए भी वाटर फ्रूफ मटेरियल लगाया गया है। इसके अलावा यह पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक नहीं है क्योंकि यह आसानी से डीकंपोज किया जा सकता है।

पीरियड पैंटी की कीमत 599 रुपए है

पैड की हीं तरह बच्चों के लिए बने डायपर में भी पानी को सोखने के लिए व्यवस्था की गई है। इसके अलावा अगर पीरियड पैंटी की बात की जाए तो यह ऑर्गेनिक कॉटन की बनी है, जो की पूरी तरह लीकेज फ्रूफ है। यह रीयूजेबल है, जो 3 से 4 साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है और इसकी कीमत 599 रुपए है।

25 पैड की सेल पर एक पैड मुफ्त में बांटती हैं

इस स्टार्टअप के पीछे श्रीप्रिया का उदेश्य उन महिलाओं की मदद करना है, जिन्हें किसी कारण सही पैड्स नहीं मिल पाता है। यही वजह है कि कमर्शियल लेवल पर काम करने के बाद भी श्रीप्रिया NGO के जरिए महिलाओं और गरीबों के बीच पैड्स बांट रहे हैं। श्रीप्रिया के अनुसार वह हर 25 पैड की सेल पर एक पैड मुफ्त में बांटते हैं। – Sripriya started a new campaign to help poor women.

श्रीप्रिया गरीब परिवार के बच्चों की पढ़ाई में भी कर रही है मदद

महिलाओ की मदद के साथ-साथ श्रीप्रिया गरीब परिवार के बच्चों की पढ़ाई को लेकर भी काम कर रहे हैं। उन्होंने अबतक कई बच्चों को शिक्षा से जोड़ा है। कई महिलाएं मिल कर पैड्स तैयार करती है, जिससे उनकी अच्छी कमाई भी हो जाती है। वर्तमान में श्रीप्रिया की टीम में 70 लोग काम कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों में भारत में इस तरह के कई ऑर्गेनिक और इकोफ्रेंडली सैनिटरी पैड्स के स्टार्टअप शुरू हुए हैं। जो लोग अवेयर हैं वह ऐसे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल भी कर रहे हैं, परंतु अबतक रूरल एरिया और गरीब वर्ग की महिलाओं तक इसकी पहुंच नहीं है।

इस सेक्टर में तेजी से हो रहा है ग्रोथ

एक रिपोर्ट की माने तो इन प्रोडक्ट का मार्केट भारत में अभी करीब 32 अरब का है, जो 2025 तक 70 अरब तक पहुंचने का अनुमान है मतलब इस सेक्टर में तेजी से ग्रोथ हो रहा है। इसके लिए सबसे पहले मार्केट रिसर्च करना जरूरी है, ताकि आपको यह जानकारी मिल सके कि आप क्या नया लॉन्च करने वाले हैं और उस समय में मार्केट में किस तरह के प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं और उनकी लागत और कीमत क्या है? इसके जरिए आपको बजट का अंदाजा हो जाएगा।

नॉर्मल स्टार्टअप हेतु 4 से 5 लाख रुपए की है जरूरत

शुरूआत करने से पहले हेल्थ एक्सपर्ट से टिप्स ले लें और उसकी देखरेख में ही काम शुरू करें। नॉर्मल स्टार्टअप के लिए कम से कम 4 से 5 लाख रुपए की जरूरत होगी। इसके लिए आप खुद इन्वेस्ट भी कर सकते हैं या फिर लोन लेकर भी काम शुरू कर सकते हैं। हमारे देश में कुछ ऐसे मैन्युफैक्चरिंग कम्पनियां हैं, जो इस तरह के प्रोडक्ट्स बनाती हैं। आप उनसे टाइअप करके भी अपने हिसाब से प्रोडक्ट तैयार करवा सकते हैं।

मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया है जरूरी

अगर आपके पास बजट है तो आप खुद भी मशीन लगा कर यूनिट शुरू कर सकते हैं। हालांकि, ज्यादातर नए स्टार्टअप दूसरी कंपनियों से ही प्रोडक्ट तैयार करवाते हैं। मार्केटिंग के लिए सबसे बेहतर और कारगर तरीका है सोशल मीडिया। इसके अलावा आप बड़े सेलिब्रिटी और चर्चित महिलाओं को इस तरह के प्रोडक्ट्स गिफ्ट कर सकते हैं। इससे आपके ब्रांड का प्रमोशन भी हो जाएगा। साथ ही आप प्रमोशन के लिए स्कूल, कॉलेजों में अवेयरनेस प्रोग्राम भी चला सकते हैं। – Sripriya started a new campaign to help poor women.

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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