हमारा देश एक ऐसा देश है जहां के लोग अपनी परंपरा और संस्कृति के लिए जाने जाते हैं। देश के साथ विदेश में रहने वाले भारतीयों में भी उनका पर्व, संस्कृति बसता है और वे वहां भी उसे मनाते हैं। उनका अपने संस्कृति से लगाव देखते बनता है। यूं तो कई लोग विदेश में रहते हैं लेकिन उनका दिल स्वदेश के लिए धङकता है। कुछ लोग विदेश को त्यागकर पुनः देश को अपना लेते हैं और अपने देश में हीं कुछ कार्य करने लगते हैं। उसी क्रम में आज की यह कहानी एक सॉफ्टवेयर की इंजीनियर की है जिन्होंने अमेरिका में जाकर अपना जीवन व्यतीत किया है। लेकिन आज वे भारत आकर दिवाली के लिए मिट्टी के दिये बना रहे हैं।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर दिनेश कुम्हार लुनिया
हमारे यहां पूर्वजों ने मिट्टी के दिये को शुभ और सुख-समृद्धि की पहचान दी है। उनका मानना है कि अगर मिट्टी के दिये जलाए जाएंगे तो वह हमारे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। हालांकि यह बात अलग है कि जिस तरह तकनीक बढ़ गया है उस तरह अधिकतर लोग बिजली के बल्ब, एलईडी बल्ब का उपयोग कर रहे हैं। जिस कारण मिट्टी के दीये का उपयोग लोग बहुत कम हो रहा है। अभी दिवाई आने वाली है इसीलिए कुम्हार लोग मिट्टी के दिये बनाने में व्यस्त हैं। ऐसे ही एक कुम्हार हैं दिनेश कुमार लूनिया जो कि अमेरिका में लाखों के पैकेज की नौकरी लेकर सॉफ्ट इंजीनियर का कार्य कर रहे थे। लेकिन अब यह अपने देश आकर अपनी पुश्तैनी कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं।

दिनेश ने यह जानकारी दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में यह बताया कि दीया कुम्हार के घर भी जलना जरूरी है। फिर हमारी जाति में अधिकतर लोग मिट्टी के दीये बनाने लगे और जो कार्य हमारा बंद हो गया था उसमें इस कारण अधिक बढ़ोतरी हुई। उन्होंने यह भी बताया कि पहले हम चाक पर दीये बनाया करते थे लेकिन अब इस आधुनिकीकरण युग में इलेक्ट्रॉनिक की मदद से भी यह बन रहा है। जिससे समय भी कम लगता है और दीये भी जल्दी बन जाते हैं।
दिनेश ने यह भी बताया कि पहले के दीये और अभी के दीये में बहुत फर्क है। पहले के दिये साधारण हुआ करते थे लेकिन अभी के दिये पर कढ़ाई कर उसे देखने में आकर्षक बनाया जा रहा है। यह रंगीन भी बन रहे हैं। यह सिर्फ दिये ही नहीं बनाते बल्कि मिट्टी के खिलौने, पूजा की थाली और पक्षियों के आकार के गुलक भी बनाते हैं जो देखकर बेहद ही दर्शनीय लगता है।
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मिल रहा है प्रोत्साहन
यहां के शिक्षक तरुणराज सिंह राजावत रावत ने कोरोना वायरस के इस माहौल में वहां के कुम्हारों को मिठाई एवं मास्क दिया और उनसे यह अपील किया कि वह मिट्टी के दीये बनाएं। जो दिये थे उन्होंने खरीदा और सोशल साइट के जरिए उन्होंने अन्य लोगों को भी मिट्टी के दीये जलाने के लिए कहा। इस कारण अधिकतर लोगों का डिमांड मिट्टी के दीये का आया और इन कुम्हारों का बंद हुआ व्यापार फिर से शुरू हुआ।
विदेश में रहने के बाद भी अपने देश आकर अपनी संस्कृति को अपनाने के लिए The Logically दिनेश दुनिया जी की प्रशंसा करता है।
