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भारत का एक रहस्यमयी घाटी जहां पक्षी आकर सुसा’इड करते हैं: जानिए इसके पीछे का सच

आर्थिक, पारिवारिक व मानसिक परेशानियों के चलते आपने मनुष्य द्वारा आत्महत्या की घटनाओं के बारे में तो अक्सर ही सुना होगा। लेकिन क्या आपने पक्षियों द्वारा आत्महत्या (birds suicide) कर लेने की घटनाओं या किसी ऐसी रहस्यमयी जगह के बारे में सुना है जहां पहुंचते ही पक्षी अपनी जान दे देते हों।

इस लेख के ज़रिये हम आपको भारत की एक ऐसे ही रहस्यमयी घाटी के बारे में बताने वाले है जहां हर साल सितंबर महीने के शुरुआती दिनों से लेकर आगामी दो महीनों तक पक्षी सुसाइड करना शुरु कर देते हैं।

mysterious Jatinga Valley

दक्षिणी असम में स्थित है जतिंगा बर्ड्स सुसाइड प्वाइंट

दक्षिणी असम(South Assam) के दिमा हासो जिले(Disrict- Dimahaso) की पहाड़ी घाटी में स्थित जतिंगा गांव(Jatinga Village) की प्राकृतिक अवस्था ऐसी है कि ये गांव साल में पूरे 9 महीने बाहर की दुनिया से एकदम अलग-थलग रहता है। लेकिन सितंबर माह आते ही यहां पक्षियों संबंधी घटित होने वाली घटनाएं सबको चौंका व डरा देती हैं। उसका कारण ये है कि इस माह यहां आने वाले अप्रवासी व स्थानीय पक्षी आत्महत्या करनी शुरु कर देते है। इसी वजह से जतिंगा गांव पूरे भारत में Birds Suicide Point के नाम से प्रसिद्ध है।

अक्तूबर से नवंबर की कृष्ण-पक्ष रातें मानी जाती हैं यहां पक्षियों के लिये मनहूस

सितंबर महीना आते ही जतिंगा गांव की इस घाटी में शाम 7 बजे के बाद नाइट-कर्फ्यू जैसा नज़ारा दिखने लगता है। इतना ही नही आने वाले अक्तूबर से नवबंर तक की कृष्ण-पक्ष रातों में यहां ‘पक्षी-हराकरी’ की रहस्यमयी व अजीबोगरीब घटनायें देखने को मिलती हैं। ऐसे में शाम 7 से रात 11 बजे के बीच आसमान में धुंध छा जाने और तेज हवाओं के बीच यदि कोई व्यक्ति अपने घर या रास्ते पर मधम्म् रोशनी भी कर दे तो पक्षियों में बैचेनी होने लगती है। ऐसे में बदहवास होकर तमाम पक्षी कीट-पतंगों की भांति रोशनी के उस स्रोत पर गिरकर अपनी जान देने लगते हैं। वहीं, यहां के स्थानीय निवासियों की मानें तो पक्षियों की मौत का कारण यहां विधमान रहस्यमयी व भूत-प्रेत जैसी ताकतें हैं।

स्थानीय व प्रवासी पक्षियों की 44 प्रजातियां करती हैं सुसाइड

इस घाटी के बारे में ऐसी कहावत है कि यदि कोई अप्रवासी पक्षी यहां आ जाये तो उसकी वापस लौटने की सभी उम्मीदें ख़त्म हो जाती हैं। इतना ही नही सालों से इस जतिंगा वैली में रात में जाने पर प्रतिबंध भी लगा हुआ है। यहां आत्महत्या करने वाले पक्षियों में स्थानीय व प्रवासी पक्षियों की लगभग 44 प्रजातियां भी शामिल हैं। जिनमें टाइगर बिटर्न, ब्लैक बिटर्न, लिटिल इहरेट, पॉन्ड हेरॉन, इंडियन पिट्टा और किंगफिशर जैसी प्रजाति के पक्षी शामिल हैं।

बर्ड्स सुसाइड पर शोधकर्ताओं के तर्क क्या हैं

दक्षिणी असम स्थित इस रहस्यमयी जतिंगा घाटी में आकर बर्ड्स सुसाइड के बारे में शोधकर्ताओं का तर्क है कि- “दरअसल जतिंगा गांव असम के बोरैल हिल्स (Borail Hills) में स्थित है, काफी ऊंचाई पर स्थित व पहाड़ों से घिरे होने के कारण यहां बादल व धुंध छाना बेहद आम बात है, यहां बारिश की दर भी काफी अधिक है, ऐसे में तेज बारिशों के कारण पक्षी पूरी तरह से गीले हो जाते हैं, धूप न दिखने के कारण उनके पंख सूख भी नही पाते जिसकी वजह से उन्हे उड़ने में दिक्कत होती है और प्राकृतिक तौर पर ही वे अपनी उड़ने की क्षमता खो बैठते हैं और यही कारण उनकी मृत्यू ले आता है। एक अन्य कारण ये भी है कि यहां बांस के घने व कंटीले जंगल भी हैं, क्योंकि शाम के वक्त पक्षी झुंड में अपने आशियानों पर लौट रहे होते हैं। ऐसे में गहरी धुंध और अंधेरी रातों के दौरान ढ़ेरों पक्षी इनसे टकराकर दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं”

पक्षियों की मानसिकता को समझना है बेहद मुश्किलः बारबरा किंग

अमेरिकी एक्सपर्ट व शोधकर्ता बारबरा किंग का बर्ड्स सुसाइड के बारे में कहना है कि – “जानवरों अथवा पक्षियों की मानसिकता को समझना बेहद मुश्किल है। ऐसे में ये कारण बता पाना कि वो क्यों अपनी जान दे देते हैं संभव बात नही है” जबकि भारत के प्रसिद्ध पक्षी विशेषज्ञ डॉक्टर सेन गुप्ता काफी रिसर्च के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे की इस घटना के लिए यहां का मौसम व मैग्नेटिक पॉवर्स ज़िम्मेदार हैं।

अर्चना झा दिल्ली की रहने वाली हैं, पत्रकारिता में रुचि होने के कारण अर्चना जामिया यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और अब पत्रकारिता में अपनी हुनर आज़मा रही हैं। पत्रकारिता के अलावा अर्चना को ब्लॉगिंग और डॉक्यूमेंट्री में भी खास रुचि है, जिसके लिए वह अलग अलग प्रोजेक्ट पर काम करती रहती हैं।

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