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महज 24 साल के इस शख्स ने खोली लाइब्रेरी, 36 गावों के बच्चों को मुफ्त में करा रहे हैं परीक्षाओं की तैयारी

किताबें मनुष्य की सबसे अच्छी दोस्त होती है जो उसके व्यक्तित्व को निखारती है और दूसरों से अलग बनाती है। यह ज्ञान अर्जित करने का वह भण्डार है, जिसका कोई अन्त नहीं है। लेकिन आज भी ऐसी कई जगहें हैं जहां बच्चों को किताबों की सुविधा नहीं मिल पाती है, जिसकी वजह से वे उचित ज्ञान अर्जित नहीं कर पाते हैं। ऐसे में उनके भविष्य को बेहतर दिशा देने के लिए जतिन ने एक लाइब्रेरी की शुरुआत की है जिससे 36 गांवों के बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो रहा है।

उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के लखनऊ से 70 किलोमीटर दूर गांव के रहनेवाले जतिन ललित सिंह (Jatin Lalit Singh) नें अपने गांव में “बांसा कम्युनिटी लाइब्रेरी एंड रिसोर्स सेंटर” (Bansa Community Library and Resource Center) संचालन करते हैं, जिसमें हिंदी इंग्लिश लिटरेचर, कॉमिक्स, कंप्यूटर और सरकारी एग्जाम्स और वकालत की 3000 से अधिक किताबें मौजूद हैं। इतना ही नहीं यहां 100 से ज्यादा एजुकेशनल टॉयज भी रखा गया है, ताकि छोटे बच्चे खेल-खेल में भी पढ़ाई कर सकें। यहां 40 वॉलिन्टीयर्स भी मौजूद हैं, जो बच्चों को ऑफ़लाइन और ऑनलाईन अध्ययन करने में मार्गदर्शन देते हैं।

गांवों में शिक्षा का माहौल नहीं होने की वजह से वहां के बच्चे नुक्क्ड़ों पर अपने समय का दुरुपयोग करते हैं, जिससे उनका आनेवाला भविष्य अंधकारमय होता चला जाता है। लेकिन जतिन द्वारा शुरु किए इस नेक पहल के वजह से गांवों के बच्चे अब अपने समय का सदुपयोग करते हैं और अब वे महत्वपुर्ण और अहम मुद्दों पर बातें करते हैं। बता दें कि, 36 गांवों के बच्चे उनकी लाइब्रेरी में परीक्षा की तैयारी करते हैं। वहीं उन्हें कम्प्यूटर सिखाने के साथ-साथ अंग्रेजी की भी शिक्षा दी जाती है।

24 वर्षीय जतिन ने दिल्ली के गलगोटिया यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई की है और अब यूपीएससी की तैयारी में लगे हैं। लाइब्रेरी का क्या महत्व होता है इसके बारे में उन्हें तब पता चला जब उन्होंने कॉलेज की लाइब्रेरी में पढ़ाई करनी शुरू की। उसी समय पुस्तकालय के महत्व को समझते हुए उन्होंने लाइब्रेरी बनाने का सुझाव आया।

चूंकि, जतिन (Jatin Singh) एक गांव की मिट्टी में पले-बढ़ें है और संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जिसकी वजह से उन्हें पढ़ाई-लिखाई की सभी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो गई। लेकिन इसके बावजूद भी जतिन को यह आभास हुआ कि जिस प्रकार शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर बच्चे के पर्सनालीटी को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं, वैसी सुविधा गांवो के बच्चों को नहीं मिल पाता है। वह कहते हैं कि जब वे लखनऊ के सिटी मॉण्टेशरी स्कूल गए, तो वहां उन्होंने गांव और शहर के बीच के अंतर को भली-भांति समझा।

Story of jatin lalit singh Bansa Community Library and Resource Center

कैसे आया लाइब्रेरी खोलने का ख्याल

बारहवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वे दिल्ली गए तो वकालत की शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ द कम्युनिटी लाइब्रेरी में भी काम करने लगे, जहां सुविधा के नाम पर सभी चीजें उप्लब्ध थीं। वहां एक अत्यधिक गरीब परिवार जो स्लम में अपना जीवन यापन करता था, का दक्ष नाम का बच्चा प्रतिदिन वहां पढ़ने के लिए आता था। धीरे-धीरे वह उस माहौल में ढलने लगा और नई चीजें सीखने के साथ लोगों से इंग्लिश में डिस्कशन भी करने लगा।

लाइब्रेरी में पढ़ने के बाद उस बच्चे में हो रहे बदलाव के वजह से जतिन काफी आकर्षित हुए और उसी दौरान उन्होंने अपने गांव में पुस्तकालय बनवाने का निश्चय किया। वर्ष 2020 में उनके कॉलेज का आखिरी वर्ष चल रहा था, उसी दौरान उन्होंने अपने गांव में एक कम्युनिटी पुस्तकालय की स्थापना की।

जैसा कि आप जानते हैं, यूपी-बिहार के अनेकों छात्र सिविल सर्विस और अन्य दूसरे सरकारी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए शहर की ओर रुख करते हैं। महंगाई भी इतनी अधिक की शहर के रहने-सहने का खर्च उठाना परिवार वालों के लिए काफी मुश्किल हो जाता है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए जतिन सरकारी परीक्षा और UPSC की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए लाइब्रेरी (Bansa Community Library and Resource center) की सुविधा उप्लब्ध की।

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केवल एकेडमिक्स किताबों से नहीं होता है पर्सनालिटी का विकास

जतिन के अनुसार, किताबें सिर्फ परीक्षा पास करने का साधन नहीं है बल्कि यह जीवन का आधार है। उनका मानना है कि, केवल एकेडमीक्स किताबें पढ़कर व्यक्तित्व को बेहतर नहीं बनाया जा सकता है। दिल्ली में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान उन्होंने देखा कि, गांव के बच्चे पढ़ाई में तेज होने के बावजूद भी शहरी छात्रों की अपेक्षा अपने आप को कम समझते थे या यूं कहें कि उनके अन्दर आत्मविश्वास की कमी थी। ऐसे में उन्होंने बच्चों को अलग-अलग किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। इसी के साथ उन्होंने बच्चों के भविष्य को और अधिक बेहतर बनाने के लिए लाइब्रेरी की शुरुआत की, क्योंकि जब बच्चों को अच्छा एक्सपोजर मिलेगा तभी वे अपने जीवन में कुछ बेहतर कर पाएंगे।

लाइब्रेरी बनवाने के लिए लीज पर लिया मंदिर की भूमि

हालांकि, जतिन के लिए यह राह सरल नहीं थी लेकिन दृढ़निश्चय होने के कारण इस काम में उनके परिवारजन और दोस्तों ने काफी सहायता की। चूंकि, लाइब्रेरी खोलने के लिए भूमि की आवश्यकता थी, इसके लिए उन्होंने 100 वर्षों के लिए गांव के मंदिर की भूमि को लीज पर ले लिया। मंदिर के उस जमीन पर लाइब्रेरी तैयार हुई जिसमें दो कमरे थे। इसके अलावा राजकोट लाइब्रेरी, द कम्युनिटी लाइब्रेरी और प्रथम बुक्स जैसे अन्य संस्थान ने इस पुस्तकालय में किताबें मुहैया कराने में मदद की।

जतिन द्वारा संचालित की जा रही इस लाइब्रेरी (Bansa Community Library and Resource Center) की वजह से उनके गांव के बच्चों को अब गर्वमेंट जॉब की तैयारी करने में काफी सहुलियत हो रही है। पहले गांव के बच्चे सरकारी एग्जाम्स की तैयारी के लिए दूसरों शहरों में जाते थे, जिससे परिवार के ऊपर खर्च का बोझ बढ़ जाता था। लेकिन अब वे इस लाइब्रेरी की किताबें पढ़कर यहीं उन परीक्षाओं की तैयारी करते हैं।

लाइब्रेरी में पढ़ने के लिए नहीं लगता है फीस

पुस्तकालय में मौजूद सुविधाओं के बारें में जतिन बताते हैं कि, यहां UPSC, PCS और अन्य दूसरें सरकारी नौकरी की तैयारी करने के लिए जरुरी किताबें और मैग्जिन्स की सुविधा दी जाती है। इसके अलावा यहां उर्दू, अवधी, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में 3 हजार से अधिक किताबे मौजूद हैं। इतना ही नहीं बच्चों को मुफ्त में इंटरनेट की सेवा देने के साथ ही उन्हें कम्प्यूटर और अंग्रेजी का ज्ञान भी दिया जाता है, जो फ्री में वहां के 40 वॉलिंटियर्स पढ़ाते हैं।

1700 से अधिक छात्र जुड़े हैं इससे

सस्टेनेबल लाइब्रेरी (Sustainable Library) होने की वजह से इसे संचालित करने में बहुत कम खर्च आता है, जिसे पूरा करने के लिए वहां के वॉलिंटियर्स 100-200 रुपये इकट्ठा करते हैं। जतिन द्वारा स्थापित बांसा कम्युनिटी एंड रिसर्च सेंटर लाइब्रेरी (Bansa Community Library and Resource Center) में 1700 छात्रों के लिए लाइब्रेरी यार्ड बनाया गया है, जिसमें रोजाना 70-100 बच्चें पढ़ने के लिए आते हैं। वहीं इस लाइब्रेरी से जुड़े छात्रों में तकरीबन 300 स्टूडेंट्स कॉम्पिटीटिव परीक्षा की तैयारी करते हैं। इसके अलावा उनके पुस्तकालय में परीक्षा की तैयारी करने के लिए उनका मार्गदर्शन भी किया जाता है। साथ ही यहां पढ़ने वाले छात्र एक सप्ताह के लिए किताबें घर लेकर जा सकते हैं।

जतिन चाहते हैं कि, किसी परीक्षा की तैयारी नहीं करने वाले छात्र भी वहां आकर पढ़े, ताकि उनका पर्सनालिटी विकसित हो सके। बता दें कि जतिन का यह पुस्तकालय सबके लिए मुफ्त है।

चूंकि, पढ़नेवाले लोगों के लिए किताबों की जरुरत होती है खासकर UPSC की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए तो और अधिक पुस्तकें चाहिए होता है। इसलिए वे नई-नई किताबें खरीदते हैं, जिससे वहां किताबों की सन्ख्या में बढोतरी हो रही है। उनकी ख्वाहिश है कि उनके साथ अधिक-से अधिक लोग जुडें, ताकि गरीब और जरुरतमदों की सहायता हो सकें।

यदि आप भी जतिन (Jatin Singh) के इस नेक काम में उनकी मदद करना चाहते हैं तो उनसे इस लिंक के द्वारा जुड़ा जा सकता है। साथ ही किताबें मुहैया कराकर उनकी मदद कर सकते हैं।

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