आज हमारा साइंस काफी डेवलप कर चुका है, अब हर क्षेत्र में कई तरह की फैसिलिटी उपलब्ध है। इन सबके बावजूद हमारे देश में अनगिनत लोग आज भी हर रोज भूखे पेट रात बिताने पर मजबूर हैं। हालांकि इनके इस दर्द और परेशानियों को समझते हुए कुछ लोग उनके लिए सामने आते हैं। जिन्हें आम जनता रियल जिंदगी का हीरो मान लेती हैं। आज बात कुछ ऐसे हीं युवाओं की…
उत्तरप्रदेश (Uttarpradesh) के कुछ ऐसे ही हीरो हम सबके सामने आए हैं, जो गरीबों के लिए हरदोई जिले में रोटी बैंक चला रहे हैं। रोटी बैंक चलाने के पीछे उनका उदेश्य यह है कि कोई भी भूखा न सोए। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए युवा दिन-रात एक कर मेहनत कर रहे हैं। – Glas Antony of Kerala is running a campaign named Roti Bank to provide food to the poor people.
- इस तरह हुई रोटी बैंक की शुरुआत
रोटी बैंक (Roti Bank) में एक अहम हिस्सा निभाने वाली केरल की ग्लेस ऐंटनी (Glas Antony) अब दूसरों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। बता दें कि रोटी बैंक की स्थापना साल 2017 में समाजसेवी अरुणेश पाठक द्वारा की गई थी। उन्होंने जब ग्लेस से इसके बारे में पूछा तो वह बिना कुछ सोंचे हां कर दी। उनके लिए इसमें न करने का कोई सवाल ही नहीं था। उसके बाद ही शुरू हुईं रोटी बैंक की कहानी, जो आज भी गरीबों के लिए एक सहारा हैं।
- रोज तैयार होता खाने का 150 पैकेट
इस बैंक के तहत शहर के एक कंप्यूटर सेंटर पर हर हफ्ते शनिवार की शाम लोगों के घरों से रोटियां इकट्ठा की जाती हैं। इस दौरान अगर रोटियां कम पड़ जाती हैं, तो फिर से बनवाई जाती हैं। उसके बाद उन रोटियों से 150 पैकेट तैयार किए जाते हैं, जिसमें 4 रोटी, सब्जी, मिर्च, गुड़ वगैरह होता है। बैंक से बड़ी संख्या में जुड़े युवा पहले हरदोई और आसपास के गांवों में ऐसे इलाके ढूंढते हैं, जहां मदद की जरूरत हो। उसके बाद यह युवा घर-घर जाकर रोटी बांटते हैं। ग्लेस के अनुसार इस बैंक में कार्य कार रहे युवा उन घरों तक मदद पहुचाते हैं जिनके घरों पर छत तक नहीं होती।
- खाने के साथ रजाई और कंबल भी बांटते हैं
रोटी बैंक किसी एक जगह कैंप का आयोजन करने से पहले वहां कार्ड और पर्चे बांटती हैं, जिससे वहां के लोगों को पता चल सके कि कब और कहां जाना है। रोटी बैंक के जरिए दिवाली जैसे त्योहारों पर रोटी के साथ ही खाना, मिठाई आदि भी बाटा जाता हैं साथ ही सर्दियों में रजाई और कंबल भी दिए जाते हैं। हाल ही में शहर में बैंक ने 150 रजाई और 50 कंबल बांटे। ग्लेस बताते हैं कि यह एक बड़ा योगदान तो नहीं, लेकिन कुछ गरीबों के लिए मदद जरुर हैं। अब इस रोटी बैंक से 500 से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं, जो इन सब कामों के लिए फंड इकट्ठा करते हैं। इसकी खास बात यह हैं कि यह रोटी बैंक बिना किसी सरकारी मदद के केवल लोगों के योगदान से चल रहा है।
- समय के साथ बढ़ा लोगों का विश्वास
ग्लेस अपनी ओर से हर रोज 50 रोटियों का खर्च देती हैं। ग्लेस बताती हैं कि शुरूआत में लोगों को इस काम पर विश्वास नहीं था। शुरुआत में उन्हें भी शक था कि पता नहीं यह कैसे चलेगा या यह कितने लंबे समय तक चलेगा, ऐसे कई सवाल थे। हालांकि एक बार शुरू होने के बाद विश्वास बढ़ता गया और दायरा भी। रोटियां आम लोग भी डोनेट करते हैं और जरुरत के अनुसार बनवाई भी जाती हैं, जबकि सब्जी किसी से ली नही जाती वह एक ही जगह ताजी बनती है और फिर गरीबों को घर-घर जाकर, अस्पतालों में बांटी जाती है। इस कठिन चुनौती का सामना कर आज रोटी बैंक शहर में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है। – Glas Antony of Kerala is running a campaign named Roti Bank to provide food to the poor people.
- मां के सीख ने दी प्रेरणा
समय के साथ अब रोटी बैंक से कई लोग जुड़ चुके हैं और अपनी क्षमता अनुसार योगदान भी दे रहे हैं। जानकारों के अनुसार ग्लेस के पैरंट्स भी हमेशा चैरिटी के काम से जुड़े रहे हैं। उनका परिवार दो अनाथालयों को सपॉर्ट किया करता था। जर्मनी में सेटल होने के बावजूद भी उनके पिता अनाथालयों को सपॉर्ट करते हैं। ग्लेस बताती हैं कि उनकी मां को कैंसर था। उनके अंतिम दिनों में ग्लेस और उनके भाई ने मजाक में मां से कहा कि उनके लिए वह अखबार में बड़ा सा कॉलम छपवाएंगे तो मां ने उन्हें सीख दी कि ऐसा करने की जगह वह किसी गरीब को खाना खिलाएं। मां की वह सीख आज भी ग्लेस को याद है और उसी का नतीजा हैं कि वह हर तरह से लोगों की मदद करना चाहती हैं।
ग्लेस पहले हरदोई के एक पब्लिक स्कूल में टीचर के तौर पर कार्य करती थीं। शादी के बाद पति के साथ वह हरदोई आ गईं। उनकी नौकरी नई दिल्ली के एम्स में भी लगी लेकिन दो छोटे बच्चों की परवरिश के लिए उन्होंने हरदोई को अपना बना लिया। ग्लेस कहती हैं कि कभी-कभी लगता है कि पता नहीं यह सफर कैसे और कब तय हो गया, लेकिन अब बहुत खुशी होती है। ग्लेस सिर्फ हरदोई नहीं बल्कि केरल के कुन्नूर में स्थित अपने घर भी जाती हैं तो वहां भी इसी काम को बढ़ावा देती हैं।
- ओल्ड एज होम और अनाथालयों में करती हैं मदद
ग्लेस केरल में भी एक टीम चलाती हैं, जिसके जरिए वह ओल्ड एज होम और अनाथालयों में जाती हैं। ग्लेस के कार्य को देखते हुए उनके दोनों बेटे और बच्चें भी प्रेरित हो रहे हैं। ग्लेस बताती हैं कि अब उसके कार्य को देखकर दूसरे लोग भी मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। लोगों को मदद करता देख ग्लेस को बहुत खुशी मिलती है। आने वाले दिनों में उन्हें उम्मीद है कि और भी लोग उनसे प्रेरित होकर लोगों की मदद के लिए सामने आएंगे। – Glas Antony of Kerala is running a campaign named Roti Bank to provide food to the poor people.