Sunday, December 10, 2023

दक्षिण का कैलाश कहा जाने वाला यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का प्रमुख धाम है ! पढ़िए कहानी…

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग ईश्वरीय आस्था का प्रतीक है ! यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर श्री शैल पर्वत पर स्थित है।

एक बार जब गणेश जी का विवाह कार्तिकेय जी की अनुपस्थिति में करा दिया गया तो वह नाखुश हो गए ! जब गौरी और शंकर उन्हें मनाने के लिए उनके पास पहुँचे ते वे 36 किलोमीटर दूर चले गए थे ! तभी शिव जी कार्तिकेय के पास ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए तभी से इसे मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कहा जाता है !

मल्लिकार्जुन दो शब्दों के मेल से बना है। मल्लिका का अर्थ माता पार्वती और अर्जुन का अर्थ भगवान शिव होता है। अर्थात यहां माता पार्वती और भगवान शिव दोनों ही विराजमान हैं। ऐसा माना जाता है कि श्री शैल पर्वत पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है और सारे दुःख नष्ट हो जाते हैं और सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं !

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इसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है। यहां भगवान शिव की आराधना की जाती है। मल्लिकार्जुन मंदिर का गर्भगृह काफी छोटा है। इस मंदिर में एक साथ बहुत सारे लोग नहीं जा पाते। इसलिए यहां श्रद्धालुओं को भगवान शिव के दर्शन पाने के लिए काफी प्रतीक्षा करनी पड़ती है।

ऐसी मान्यता है कि मल्लिकार्जुन मंदिर में श्री शैल पर्वत पर आ कर भगवान शिव की पूजा- अर्चना करने से मनुष्य के सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है और यश, धन और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ हीं ग्रंथों के अनुसार इस पर्वत पर आकर शिव जी की आराधना करने पर अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल मिलता है ! यहां महाशिवरात्रि के दिन एक विशेष आयोजन होता है। जिसमे श्रद्धालु लाखों की भीड़ में भगवान शिव की आराधना करने आते हैं। यहां श्रावण मास में भी काफी भीड़ होती है। देश- विदेश से श्रद्धालु लोग भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं।

मल्लिकार्जुन मंदिर के पीछे मां पार्वती का मंदिर है। श्रद्धालु लोग कृष्णा नदी में स्नान कर के और उसी कृष्णा नदी के जल को लेकर भगवान शिव पर चढ़ाते हैं। इस नदी में दो नाले मिलते हैं। जिसे त्रिवेणी कहा जाता है। यहां एक गुफा भी है। जिसमे भैरवादि और शिवलिंग विराजमान हैं।

भगवान शिव की भक्ति को समर्पित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भक्तों के लिए बेहद खास धामों में से एक है ! यहाँ वर्ष भर श्रद्धालुओं का आना जाना जारी रहता है ! भक्ति-भाव में सराबोर यह तीर्थ स्थल पर्यटन के लिए भी अहम है !