Wednesday, December 13, 2023

मुफ्त में कर चुके हैं 37 हजार बच्चों की सर्जरी, मासूम चेहरे पर मुस्कान बिखेरने वाले इस महान शख्स की कहानी

कहते हैं कि दुनिया में भगवान का दूसरा रूप डॉक्टर को माना जाता है क्योंकि भगवान के अलावा एक डॉक्टर हीं है जो व्यक्ति को नया जीवन देता है। आज हम आपको एक ऐसे हीं डॉक्टर की कहानी बताएंगे जिन्होंने इस बात को सही साबित कर दिखाया है।

आईए जानते हैं कि आखिर इन्होंने ऐसा क्या किया, जिससे लोग इन्हें डॉक्टर हीं नही बल्कि एक मसीहा का रुप मानते हैं –

वाराणसी के रहने वाले डॉ. सुबोध कुमार सिंह (Dr. Subodh Kumar) को लोग एक मसीहा मानते हैं। इन्होंने कई बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लौटा कर इन्हें एक नया जीवन दिया है। इनकी ख़ास बात यह है कि ये अब तक करीब 37,000 सर्जरी कर चुके हैं, जिसके लिए इन्होंने कोई चार्ज नहीं लिया है।

Subodh Kumar did free surgeries to 37000 poor children

होठों और मुंह के किए हैं सर्जरी

आपको बता दें कि डॉक्टर सुबोध कुमार सिंह ने वैसे बच्चों का सर्जरी किया है, जिन बच्चों के होंठ और मुंह के अंदर कुछ विकृति हो जाती है। इसे क्लेफ्ट लिप्स (cleft lips) कहते हैं। इस कंडीशन से पीड़ित बच्चों को बचपन में दूध पीने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यहां तक कि उन्हें पानी पीने में भी दिक्कत होती है। वही जब बच्चे ऐसे ही बड़े हो जाते है तो यह देखने में अजीब लगता हैं और इसकी वजह से लोग उनका मजाक भी उड़ाते हैं।

Subodh Kumar did free surgeries to 37000 poor children

गरीब बच्चों का करते हैं मुफ्त में सर्जरी

इस सर्जरी को करवाने के लिए बहुत पैसों की जरूरत होती है। इसका खर्च उठाना एक गरीब व्यक्ति के लिए मुश्किल हो जाता है। ऐसे में इन बच्चों के लिए डॉक्टर सुबोध एक मसीहा बन कर सामने आए। उन्होंने इन बच्चों का मुफ्त में सर्जरी करने का निर्णय लिया। डॉ. सुबोध ने जनरल सर्जरी में स्पेशलाइजेशन हासिल किया है। वे खास तौर पर कैंप लगाकर कटे-फटे होठों की सर्जरी करते हैं।

Subodh Kumar did free surgeries to 37000 poor children

यह भी पढ़ें :- विद्यार्थियों के लिए फिजिक्स आसान बनाने के वाले एच सी वर्मा को मिला पद्मश्री: प्रेरक व्यक्तित्व

बच्चों की मौत का कारण भी बन जाती है, ये विकृति

डॉक्टर सुबोध का कहना है कि इस तरह के बच्चों का कुपोषण के कारण मौत भी हो जाती है, क्योंकि वे सही तरीके से दूध और अन्य भोजन नहीं ले पाते है। बच्चों को बोलने के लिए जीभ का इस्तेमाल करना होता है, जिसमें उन्हें कठिनाई होती है और इस विकृति के कारण उनके कान में भी इंफेक्शन हो जाते हैं।

ऐसे बच्चे स्कूल भी पूरा नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण इन्हें नौकरियां मिलना भी मुश्किल हो जाता है। इनके माता-पिता को भी इनकी वजह से काफी कुछ सहना पड़ता है, खासतौर पर एक मां को क्योंकि लोग इस बीमारी के लिए इन्हें जिम्मेदार ठहराते हैं, पर डॉ. सुबोध का कहना है कि एक सर्जरी मात्र से इन सभी समस्याओं से निजात पाया जा सकता है।

यही कारण है कि वर्ष 2004 से ही उन्होंने अपना मेडिकल कैरियर ऐसे बच्चों के लिए समर्पित कर दिया। उसके बाद उन्होंने करीब 37,000 से अधिक बच्चों की सर्जरी कर चुके हैं और करीब 25,000 परिवारों के चेहरे पर वापस से मुस्कान लौटा पाए हैं। उनकी इस प्रयास ने उन बच्चों को एक नया जीवन दिया है।

Subodh Kumar did free surgeries to 37000 poor children

संघर्षों भरा रहा जीवन

डॉक्टर सुबोध का जीवन बेहद हीं संघर्ष भरा रहा है उनके परिवार में आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। आपको बता दें कि जब डॉक्टर सुबोध मात्र 13 साल के थे तभी उनके पिता का हार्ड अटैक से निधन हो गया था। उनके चार भाई थे जिसमें वे सबसे छोटे थे। उनके भाईयों को परिवार चलाना था जिसके कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी। उसके बाद इन्होंने भी अपने भाईयों के साथ पैसे कमाने के लिए सड़कों पर मोमबत्तियां और साबुन आदि बेचने शुरू कर दिए।

इनके पिता एक सरकारी क्लर्क थे, जिसकी वजह से इनके बड़े भाई को मृतक आश्रित में नौकरी मिल गई। उनके बड़े भाई ने ही इन्हें पढ़ाया। इन्होंने भी अपने परिवार की मदद से पूरे मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई किया और डॉक्टर बनने के सपने को साकार किया। उन्होंने इंटरव्यू ऑफ मेडिकल साइंसेज से अपनी पढ़ाई पूरी की। अपने लगन और मेहनत के साथ इन्होंने मुकाम को हासिल किया, पर कभी वे इसका इस्तेमाल पैसा कमाने के लिए नहीं बल्कि समाज में गरीब बच्चों की भलाई के लिए किए।

Subodh Kumar did free surgeries to 37000 poor children

भगवान ने मुझे समाज सेवा के लिए बनाया है व्यापार के लिए नहीं

डॉ. सुबोध का कहना है कि समय पर इलाज न होने के कारण ही उनके पिता की मृत्यु हो गई। वह कहते हैं कि जब भी वह किसी बच्चे का इलाज करते हैं तो उन्हे बहुत सुकून मिलता है क्योंकि वे जब 13 साल के थे तब वे अपने पिता के लिए कुछ भी नहीं कर सकते थे, पर अब उन्हे लगता है कि भगवान ने उन्हें गरीब बच्चों के मदद करने के लिए ही बनाया है।

डॉ. सुबोध की तरह अगर दुनिया के सभी डॉक्टर किसी गरीब व्यक्ति के ईलाज में अपना थोड़ा भी योगदान दे तो हर गरीब को जीवनदान मिल सकता हैं। डॉ. सुबोध के द्वारा किए गए यह प्रयास बेहद सराहनीय और प्रेरणादायक है।