लड़कियों के लिए शिक्षा हासिल करना कोई आसान बात नहीं है क्योंकि उन्हें कदम दर कदम परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
खासकर ग्रामीण इलाकों में लड़कियों के लिए शिक्षा हासिल करने में बहुत से कठिनाइयां आती है क्योंकि लोगों की सोच परिपक्व नहीं होती है।
हालांकि ऐसे अनेक गांव हैं, जहां लड़कियों को खुला आसमान नहीं दिया जाता है और उनके सपनों को कुचल दिया जाता है।
सामाजिक धारणा के कारण अधिकांश माता-पिता को लड़कियों का होना एक बोझ महसूस होता है और वे जल्द से जल्द उसकी शादी करके उन्हें उनके घर भेज देने में ही भलाई समझते हैं, जिस कारण लड़कियों को अपने हिस्से की खुशी कभी नहीं मिल पाती है।
ऐसे समाज में अधिकांश युवा अपने घुटने टेक देते हैं लेकिन इसी समाज में रहने वाली एक ऐसी लड़की भी है, जिसने समाज की इस विचारधारा को तोड़कर देश के सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता हासिल कर सभी के लिए प्रेरणा की बेहद खूबसूरत मिसाल कायम की है।
मध्यप्रदेश के एक छोटे-से जिले नरसिंहपुर के जोवा गांव में जन्मी तपस्या परिहार (Tapasya Parihar) की। जिन्होंने वर्ष 2017 में ही दूसरे प्रयास में 23वीं रैंक से UPSC की परीक्षा में सफलता प्राप्त की थी।
परिवार की सोच गांववालों से भिन्न थी
लड़कियों का जीवन शादी तक ही सीमित है। ऐसी विचारधारा रखने वाले समाज में तपस्या किस्मत की धनी थीं। ऐसे गांव में रहने के बावजूद भी उनके परिवार की सोच इससे बिल्कुल अलग थी।
बचपन से ही पढ़ने में होनहार थीं
तपस्या परिहार (Tapasya Parihar) के पिता विश्वास परिहार एक किसान हैं और माता ज्योति परिहार सरपंच हैं। उनका बचपन बहुत ही लाड़-प्यार में गुजरा। तपस्या की शुरुआती शिक्षा सेंट्रल स्कूल से हुई। उन्होंने 10वीं और 12वीं दोनों परीक्षाओं में अपने स्कूल में टॉप किया था। उस वक्त उनके परिवार को भी यह महसूस होने लगा था कि यह UPSC की परीक्षा के बारे में सोच सकती हैं। तपस्या के अंदर भी यह विश्वास उभरा कि वह इस परीक्षा में पास करने की कोशिश कर सकती हैं। नेशनल लॉ सोसाइटीज लॉ कॉलेज पुणे से स्नातक करने के बाद UPSC की तैयारी करने के लिए वे दिल्ली (Delhi) शिफ्ट हो गईं।
दादी के सपोर्ट से मिला हौसला
लड़कियों को अधिक ना पढ़ाओ, जल्दी शादी कर दो, बाहर न भेजो, तपस्या को इन जैसी आम समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा। तपस्या की दादी ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया। दादी के प्यार और सपोर्ट से तपस्या का हौसला बढ़ जाता था और वे अधिक मेहनत करने के लिए तत्पर रहती थीं।
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दूसरे प्रयास में पाई सफलता
तपस्या ने दिल्ली में ढ़ाई वर्ष रहकर यूपीएससी की परिक्षा की तैयारी की, जिसमें उन्होंने दो अटेमप्ट दिए। पहले प्रयास में तपस्या को निराशा हाथ लगी, लेकिन तपस्या ने हार न मानकर फ़िर से तैयारी में जुट गई। परिणामस्वरूप दूसरे प्रयास में वह सफल रही और IAS के लिए चयनित हुईं।
कोचिंग नहीं है जरुरी
तपस्या का कहना है कि UPSC की परीक्षा पास करने के लिए कोचिंग की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इस परीक्षा में सेल्फ स्टडी का बहुत महत्व होता है। इस परीक्षा में पास करने के लिए कैंडिडेट्स को खुद पर फोकस करना पड़ेगा।
दूसरे कैंडिडेट्स के लिए तपस्या की सलाह
तपस्या परिहार (Tapasya Parihar) दूसरे कैंडिडेट्स को सलाह देते हुए कहती हैं कि मैं प्रतिदिन स्ट्रेटजी बनाती थी। यूपीएससी परीक्षा का पहला चरण प्री के पहले मैं 8 से 10 घंटे पढ़ाई की, जो मेन्स के वक्त 12 घंटे तक पहुंच गया था। तपस्या के अनुसार प्रतिदिन पढ़ना, अपनी गलतियों से सीखना और रिसोर्सेस लिमिटेड रखकर अधिक-से-अधिक रिवीजन करना बेहद आवश्यक है। इसके अलावा वे कहती हैं कि इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए पूरी इमानदारी के साथ कड़ी मेहनत और लग्न जरुरी है।
The Logically तपस्या परिहार को उनकी सफल्ता के लिए ढ़ेर सारी बधाईयां देता है।