Wednesday, December 13, 2023

बिहार की बेटी मैथिली ठाकुर के संगीत का सफर कई उतार चढ़ाव से गुजरा, मगर अपनी हिम्मत से मैथिली ने बनाई पहचान

यूं तो संगीत और गायकी की दुनिया में कई लोगों ने बहुत ही व्यापकता और प्रभावी रूप से अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। संगीत के क्षेत्र में ऐसा ही नाम मैथिली ठाकुर का भी है जिन्होंने संघर्ष से सफलता तक का मार्ग बेहद ही अल्प आयु में तय कर लिया है। अपनी गायकी से भारत समेत विश्व के कई देशों में अपना नाम रोशन करने वाली मैथिली ठाकुर आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। आइए जानते हैं एक छोटी सी जगह से निकलकर संगीत की दुनिया में सफलता का परचम लहराने वाली मैथिली ठाकुर के बारे में…

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मैथिली ठाकुर का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले में स्थित बेनीपट्टी में हुआ था। उनके दादाजी संगीत की अच्छी समझ रखते थे। उनके पिताजी रमेश ठाकुर दिल्ली में एक संगीत शिक्षक हैं। उनकी माता भारती ठाकुर एक गृहिणी हैं। मैथिली के परिवार में इन लोगों के अलावा दो भाई ऋषभ ठाकुर और अयाची ठाकुर भी हैं।

Singer Maithili Thakur

संगीत की शुरुआती शिक्षा के बारे में बात करते हुए मैथिली कहती हैं कि संगीत की शिक्षा के लिए हमें कहीं जाने की आवश्यकता नहीं पड़ी। शुरुआती तालीम हमें हमारे दादा जी से ही मिल गई। उन्हें संगीत की गहरी समझ थी और वे भगवान राम और माता सीता के बहुत बड़े भक्त थे। शुरुआत में दादाजी ने ही मुझे सिखाना शुरू किया जिसके अंतर्गत उन्होंने मैथिली भाषा में ही राम और सीता पर आधारित कई भजनों को गाना सिखाया। पढ़ाई की कोई खास व्यवस्था ना होने के कारण मेरा सारा ध्यान संगीत की शिक्षा पर ही रहता था। जब मैं 6 साल की हुई तो मेरे पापा मुझे लेकर दिल्ली आ गए जिसके बाद उन्होंने उन्हें क्लासिकल संगीत सिखाना शुरू किया। संगीत के प्रति सीखने की ललक से मैथिली ठाकुर ने जल्द ही क्लासिकल गाना प्रारंभ कर दिया।

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संघर्षों से भरा रहा संगीत का सफर

शुरुआत में मैथिली ठाकुर ने छोटे-मोटे कार्यक्रमों व विभिन्न अवसरों पर गाना शुरू किया। 11 वर्ष की उम्र में उन्होंने पहला स्टेज शो किया जिसमें उन्होंने “ब्राह्मण बाबू यो” गीत मैथिली भाषा में गाया। उनका गाया यह गीत बहुत प्रसिद्ध हुआ। लोगों ने सोशल मीडिया पर इसे खूब सराहा। उसी साल 2011 में मैथिली को पहली बार एक बड़ा मंच मिला। वह मंच था ‘लिटिल चैंप्स’ ऑडिशन का। मैथिली ने इस शो के तीनों ऑडिशन को बहुत ही सफलतापूर्वक पास कर लिया लेकिन वह इस शो में ज्यादा आगे तक नहीं जा पाईं और बाहर हो गईं। उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार अपनी गायकी को पैनी करती रहीं और वर्ष 2015 में उन्होंने फिर एक बार ‘इंडियन आईडल जूनियर’ में अपना ऑडिशन दिया लेकिन इस बार भी पिछले शो के जैसा ही उन्हें असफलता हाथ लगी। मैथिली ने इसके बाद भी हार नहीं मानी और अगले शो 2016 में ‘सा रे गा मा पा’ में ऑडिशन दिया जिसमें जजों ने उन्हें पहले राउंड में ही बाहर का रास्ता दिखा दिया।

Singer Maithili Thakur

तीन असफलता मिलने के बावजूद मैथिली ठाकुर नहीं टूटीं और अपना हौसला बरकरार रखा। लगातार वह अपनी गायकी को बेहतरीन करती रही। इन तीन असफलताओं के बाद मैथिली ने एक रणनीति बनाई कि मैं आगे बॉलीवुड ना गाकर क्लासिकल गाऊंगी जो सबसे अलग होगा शायद यह रणनीति काम आ जाए। अगले वर्ष 2017 में एक और शो ‘राइजिंग स्टार’ आया। इस शो में मैथिली ठाकुर को बहुत प्रसिद्धि मिली। उनके गाए गाने लोगों को बेहद पसंद आए और इस शो में वह रनरअप रहीं। इस सफलता के बाद मैथिली ठाकुर का नाम भारत के साथ अन्य देशों में भी प्रसिद्ध होने लगा। धीरे-धीरे मैथिली ठाकुर गायकी के क्षेत्र में अपना नाम बहुत ही तीव्रता से स्थापित करती चली गईं।

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500 से अधिक शो कर चुकी मैथिली ठाकुर सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय और लोकप्रिय हैं। उनके द्वारा गाए गाने लोगों को बेहद पसंद आते हैं। मैथिली ठाकुर के बारे में सबसे बड़ी बात यह है कि छोटी उम्र ही उन्होंने कई भाषाओं में गाना प्रारंभ कर दिया है जिसमें मैथिली, अंगिका, बज्रिका, राजस्थानी, मराठी, व पंजाबी भाषाएं हैं। मैथिली ठाकुर की एक उपलब्धि यह भी है कि आकाशवाणी ने उनका एक इंटरव्यू किया जिसमें उन्होंने कम उम्र के बच्चों को असफलताओं से बिना हारे आगे कैसे बढ़ाया जाए इसके लिए प्रेरित किया। इस रिकॉर्डिंग को आकाशवाणी ने आर्काइव में चयनित किया। आर्काइव में चयनित करने का अर्थ यह हुआ कि उनके द्वारा दिया गया इंटरव्यू अगले 100-200 वर्षों तक सुनाया जा सकेगा।

Singer Maithili Thakur

एक छोटी सी जगह से निकलकर सफलता का पर्याय बनने वाली मैथिली ठाकुर सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं। टीम दि लॉजिकली मैथिली को इन सफलताओं के लिए बधाई देता है साथ ही उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना भी करता है।

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