बचपन में साइकिल चलाने का एक अलग ही जोश रहता है। हमें चाहकर भी बहुत मुश्किल से कोई साइकिल हाथ लगती थी। अगर आज की बात करें तो साइकिल आम बात हो चुकी है। पहले बचपन में उसे पाने के लिए कभी बर्थडे का इंतजार करना पड़ता था, तो कभी क्लास में अच्छे नंबर लाने पड़ते थे। साइकिल प्राप्त होना उन दिनों बहुत बड़ी बात थी- The famous cycle company Hero started like this.
इस तरह हुई हीरो साइकिल की शुरूआत
बचपन में तो केवल साइकिल मिलने की खुशी ही होती थी, परंतु कभी यह नहीं सोंचे कि हमारे सपने को पूरा करने वाला हीरो साइकिल कंपनी की शुरूआत कैसे हुई तथा यह कंपनी कहां से आई है। आपको बता दें कि हीरो साइकिल (Hero Cycles) की शुरूआत 60 साल पहले पाकिस्तान से भारत आए चार भाइयों ने की थी। रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तान के कमालिया में सत्यानंद मुंजाल, ओमप्रकाश मुंजाल, ब्रजमोहनलाल मुंजाल और दयानंद मुंजाल का जन्म हुआ था।
देश विभाजन के बाद पाकिस्तान छोड़ लौटे भारत
उन चारों भाई के पिता बहादुर चंद मुंजाल अनाज की एक दुकान चलाते थे और मां ठाकुर देवी हाउस वाइफ थीं। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन विभाजन से मजबूर होकर पाकिस्तान छोड़ने का फैसला कर लिए। बंटवारे के बाद मुंजाल ब्रदर्स पंजाब के लुधियाना आ गए। इस दौरान उनके पास कोई रोजगार नहीं था इसलिए वह साइकिल के पार्ट्स फुटपाथ पर बेचा करते थे। कमाई तो अच्छी होने लगी लेकिन इतना उनके लिए काफी नहीं था।
साइकिल बनाने का किए फैसला
बहादुर चंद मुंजाल अच्छी कमाई के लिए साइकिल पार्ट्स खरीदकर बेचने के बजाय खुद बनाकर बेचने का फैसला किया, लेकिन उनके पास उतना पैसा नहीं था। साल 1956 में उन्होंने बैंक से 50 हजार रुपए का लोन लिया और लुधियाना में अपनी पहली यूनिट खोली, लेकिन वह केवल साइकिल पार्ट्स नहीं बल्कि पूरी साइकिल बनाने का फैसला कर चुके थे। उस दौरान यह काम करना बड़ा मुश्किल था। – The famous cycle company Hero started like this.
10 सालों में प्रति साल एक लाख साइकिल तैयार करने लगी
Hero Cycles के सफर के बारे में तो बहुत कम लोग जानते होंगे। आपको बता दें कि उनके ब्रांड का यह नाम खुद मुंजाल ब्रदर्स ने नहीं बल्क़ि, एक मुस्लिम सप्लायर से उन्हें बताया था। विभाजन के दौरान यहां से पाकिस्तान जाने वाले में से एक करीम दीन अपनी कंपनी का Hero नाम मुंजाल ब्रदर्स को सौंप गए थे। बहुत ही जल्द हीरो साइकिल्स एक दिन में 25 साइकिलें बनाने लगीं, समय के साथ उनकी साइकिल बनाने की स्पीड भी बढ़ने लगी। 10 सालों में यह कंपनी प्रति साल एक लाख साइकिल तैयार करने लगी।
हीरो साइकिल बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनी
साल 1986 तक Hero Cycles ने हर साल 22 लाख से अधिक साइकिलों को तैयार कर एक नया इतिहास रच दिया। हीरो अब साइकिल बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी थी इसलिए इसे 1986 में Hero Cycles का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है। उसकी क्षमता के अनुसार वह भारत मध्य पूर्व, अफ्रीका, एशिया और यूरोप के 89 देशों में साइकिल निर्यात करने लगे। साल 2004 में इसे ब्रिटेन ने सुपर ब्रांड का दर्जा दिया था। – The famous cycle company Hero started like this.
1984 में हीरो और होंडा कंपनी जुड़ कर हुए एक
हीरो साइकिल के आज दुनियाभर में 7500 से अधिक आउटलेट्स हैं, जहां 30 हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं। आपको बता दें कि 1984 में हीरो ने जापान की कंपनी Honda के साथ हाथ मिलाया। उसके बाद इन दोनों ने मिलकर Hero Honda Motors Ltd की स्थापना की। इस कंपनी ने साथ मिलकर 1985 में पहली बाइक CD 100 को लॉन्च किया। 27 सालों तक एक साथ काम करने के बाद साल 2010 में यह दोनों कंपनियां अलग हो गई।
हड़ताल के दौरान मालिक खुद मशीन चला कर साइकिल बनाए
मुंजाल ब्रदर्स के अनुसार उनकी सफलता का रहस्य उनका काम और कर्मचारी दोनों से लगाव रखते थे। रिपोर्ट के अनुसार एक बार हीरो साइकिल कंपनी में हड़ताल हो गई थी। उस दौरान कंपनी के मालिक खुद मशीन चलाकर साइकिल बनाने का काम करने लगे। उनका ऐसा मानना था कि हड़ताल के कारण डीलर तो समझ जाएंगे, लेकिन वह बच्चे कैसे समझाएंगे जिसके माता-पिता ने उसके जन्मदिन पर उसे साइकिल उपहार में दिलाने का वादा किया था।
मुंजाल ब्रदर्स ने ट्रक ड्राइवर और डीलर के लिए देखाई फिक्र
साल 1980 में हीरो साइकिल का एक लोडेड ट्रक एक्सिडेंट के बाद जल गया, उस समय में मुंजाल ब्रदर्स अपने नुकसान की परवाह करने के बजाय ट्रक ड्राइवर और डीलर का फिक्र किए। आपको बता दें कि उन्होंने पहला सवाल यही पूछा था कि ट्रक ड्राइवर सुरक्षित है या नहीं। इसके अलावा उन्होंने डीलर के पास दोबारा फ्रेश कंसाइनमेंट भेजा। हालांकि हीरो की शुरुआत करने वाले मुंजाल ब्रदर्स की मौत हो चुकी है। अब इस कंपनी को ओमप्रकाश मुंजाल के बेटे पंकज मुंजाल संभाल रहे हैं। – The famous cycle company Hero started like this.