Wednesday, December 13, 2023

तंगी के कारण कभी पान बेचे तो कभी दुकान पर काम किया, फिर किस्मत बदली और मेहनत कर IAS अधिकारी बन गए

“मंजिल कितनी भी दूर हो कभी हिम्मत नहीं हारना चाहिए क्योंकि पहाड़ों से निकलने वाली नदी कभी किसी से सागर का रास्ता नहीं पुछती।”

IAS मोहम्मद अली शिहाब ने भी अपने लक्ष्य के रास्तें में आनेवाली सभी बाधाओं का डटकर सामना किया और अंततः अपनी मंजिल तक पहुंच ही गए।

बहुत कम उम्र ही छुटा पिता का साथ

मोहम्मद अली शिहाब (Muhammad Ali Shihab) केरल (Kerala) के मालाप्पुरम जिले के एक गांव से ताल्लुक रखते हैं। बहुत कम उम्र में ही शिहाब के पिता अपने पांच बच्चे और पत्नी को छोड़ इस दुनिया से चल बसे। घर-परिवार की आर्थिक स्थिती दयनीय होने के कारण शिहाब को अनाथालय भेजना पड़ा। वहां उन्होंने अपनी जिंदगी के 10 वर्ष गुजारे। मोहम्मद शिहाब के लिए एक अनाथालय से IAS के सपने को पुरा करने तक का सफर सरल नहीं था। लेकिन उन्होनें हार नहीं मानी और निरंतर प्रयास करतें रहें।

 IAS Mohammad ALI Shihab

कभी पान बेचा तो कभी टोकरी

घर की स्थिति बेहद खराब होने की वजह से शिहाब को कुछ ही दिनों में अपनी पढ़ाई-लिखाई बंद करनी पड़ी। सिहाब ने घर को आर्थिक सहायता पहुंचाने में लिए वे कभी पान बेचे तो कभी टोकरी बेची।

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कई नौकरियों में हुआ चयन

शिहाब (Shihab) ने अपने करियर की शुरुआत एक प्राइमरी टीचर के तौर पर की। उन्होनें कै नौकरियों में भी अपनी किस्मत आजमाई और सफल भी रहें। उदाहरण के लिए, जेल वॉर्डन, चपरासी, क्लर्क, रेलवे टिकट कलेक्टर के साथ अन्य कई पदों पर उनका चयन हुआ। वे केरल वॉटर अथॉरिटी में चपरासी के पद पर और ग्राम पंचायत में क्लर्क पद के लिए चयनित हुए।

 IAS Mohammad ALI Shihab

पढ़ाई और अस्पताल के बीच बनाया तालमेल

शिहाब ने इतिहास विषय से बीए करने के बाद IAS बनने का निर्णय लिए। उस वक्त तक उनकी शादी हो चुकी थी। लेकिन कहते हैं न कि जिंदगी हर कदम पर इम्तिहान लेती है। शिहाब की जिंदगी भी एक बार फ़िर से इम्तिहान लिया। उनकी बेटी का जब जन्म हुआ था तब उसके एक हाथ में पैरेलाइसिस था। यूपीएससी की तैयारी और परीक्षा के दौरान वे अपनी पढाई और अस्पताल के बीच बेहतर ढंग से सामंजस्य बैठाए थे। लेकिन मजबूरीवश उन्हें अपनी कोचिंग बंद करनी पड़ी। उसके बाद वे घर से ही UPSC की तैयारी करने लगे।

आखिरकार मंजिल तक पहुंच ही गए

आखिरकार वर्ष 2011 में शिहाब ने UPSC की परीक्षा में 226वीं रैंक से सफलता हासिल की। मोहम्मद शिहाब ने जिस तरह से आनेवाली सभी चुनौतियों का सामना करते हुए कठिन मेहनत और निरंतर प्रयासों से सफलता हासिल की वह बेहद प्रेरणादायक है। अनाथालय से मंजिल तक पहुंचने का सफर काफी बेहद सराहनीय है।