हम सभी स्ट्रॉबेरी के बारे में भली-भांति परिचित हैं। आज के समय में स्ट्रॉबेरी की मांग मार्केट में खूब जोरो-सोरो पर है। इसके अधिक मांग होने के कारण आजकल अधिकतर किसान इसकी खेती करने को सोच रहे हैं और इससे खूब मुनाफा भी कमा रहे हैं। ऐसे ही एक किसान जो भोपाल के रहने वाले है, उन्होंने करीब दो सालों से पारंपरिक खेती छोड़कर स्ट्रॉबेरी की खेती करना शुरु किया है। इन्होंने करीब तीन एकड़ में लगभग 70 हजार से अधिक स्ट्रॉबेरी के पौधें लगाए हैं। उन्होंने पिछले वर्ष करीब 9 लाख रुपए का मुनाफा कमाए थे। इस बार उन्हें उम्मीद है कि वे इससे दोगुना मुनाफा कमाने की उम्मीद जताई है।
पहले करते थे, पारंपरिक खेती
सुदान सिंह (sudan singh) की उम्र 40 साल हैं और वे एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वे अपनी 10वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद खेती की ओर अग्रसर हुए। पहले वे पारंपरिक तरीके से खेती करते थे, पर उन्हें इससे कम बचत होती थी। कभी-कभी तो मौसम खराब होने की वजह से फसल को काफी ज्यादा नुकसान हो जाता था, जिसके कारण पूरे परिवार का खर्च उठा पाना मुश्किल हो जाता था।
सुदान सिंह (Sudan Singh) ने दो साल पहले मार्केट में स्ट्रॉबेरी (strawberry) का फल देखा और वही इसकी कीमत और डिमांड को देखकर इनके मन में यह आईडिया आया कि क्यों ना वे एक बार इसकी खेती करके देखें। फिर क्या था उन्होंने स्ट्रॉबेरी फार्मिंग के बारे में जानकारी प्राप्त किया और कुछ किसानों से मिलकर इसे पूरी तरह से समझा।
स्ट्रॉबेरी (strawberry) की खेती, पुणे से प्लांट मंगाकर शुरू किया
सुदान ने स्ट्रॉबेरी (strawberry) के खेती के साथ ही साथ कई प्रकार के फूलों की भी खेती किए। इस तरह से उनकी कमाई भी अच्छी खासी हो जाती है। वर्ष 2020 में सुदान ने पुणे से स्ट्रॉबेरी के करीब 24 हजार पौधें मंगवाए, जिसकी खर्च लगभग 2.4 लाख रुपए थे। इसके बाद इन्होंने मल्चिंग और खेत की तैयारी में पैसे खर्च किए। इनकी पूरी खर्च करीब 4.5 लाख रुपए हुए। इन्होंने पहली बार एक एकड़ जमीन में स्ट्रॉबेरी की खेती करना आरंभ किए।
पहले वर्ष करीब 9 लाख रुपए की हुई आमदनी
पिछले वर्ष यानी जनवरी में इनकी प्रोडक्शन शुरु हो गया। इसके बाद इन्होंने भोपाल और उसके आसपास के क्षेत्रों में इसकी मार्केटिंग करना आरंभ कर दिए। इससे उनकी अच्छी खासी आमदनी हुई। आपको बता दें कि पहले वर्ष लगभग 9 लाख रूपए की आमदनी हुई हालांकि इसके बाद में कोविड-19 की वजह से सब कुछ बंद पड़ गया और कुछ नुकसान भी उठाना पड़ा।
सुदान अगले सीजन में खेती का दायरा बढ़ा दिए और 1 एकड़ की बजाय 3 एकड़ जमीन में स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए। अभी उनके पास 70 हजार से अधिक प्लांट हैं और हर 2 दिन के बाद लगभग 300 किलो का प्रोडक्शन हो रहा है, जिससे वह भोपाल और आसपास के कई क्षेत्रों में बेच रहे हैं। उनका कहना है कि इस बार पिछले साल के मुकाबले दोगुना मुनाफा कमाने की उम्मीद है।
यदि आप भी सुदान की तरह स्ट्रॉबरी की खेती करना चाहते हैं तो हम आपको इसकी पूरी जानकारी देने की कोशिश करेंगे। इसके लिए हमने दिलीप कुमार से बात की जो पुणे की एक बायो प्लांट कंपनी में काम करते हैं, उन्होंने देश भर के किसानों को स्ट्रौबरी फार्म फार्मिंग लगाने की ट्रेनिंग दी हुई है।
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तो आईए जानते हैं इसकी पूरी जानकारी –
कब करनी चाहिए, स्ट्रॉबेरी की खेती?
स्ट्रॉबेरी (strawberry) की प्लांटिंग मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh), राजस्थान (Rajasthan), छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) और महाराष्ट्र (Maharashtra) जैसे कई राज्यों में सितंबर से अक्टूबर तक की जाती हैं। वहीं उत्तराखंड, हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में अक्टूबर से दिसंबर तक की प्लानिंग की जाती है। बाकी भी अन्य राज्यों को देखा जाए तो इन्हीं महीने में स्ट्रॉबेरी के पौधें लगाए जाते हैं। हालांकि प्लांट की साइकिल लगभग 6 महीने की होती है, इस कारण प्लांटिंग करते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि टेंपरेचर 30 डिग्री से अधिक नहीं हो।
स्ट्रॉबेरी की खेती से पहले जमीन की तैयारी करना भी बहुत जरूरी होता है इसके लिए तीन से चार बार खेतों की जुताई किया जाता है। इसके बाद भरपूर मात्रा में गोबर देना पड़ता है। फिर इसके बाद 2 फीट का खाली जगह छोड़कर अलग-अलग बेड तैयार किया जाता है। प्रत्येक बेड की चौड़ाई करीब 60 सेमी और लंबाई खेत की लंबाई जितनी होती है। इतना करने के बाद प्लांटिंग किया जाता हैं। एक प्लांट के बीच में करीब 12 सेंटीमीटर की दूरी होती है। प्लांटिंग के बाद हर 2 से 3 दिन के बीच ड्रिप इरिगेशन तकनीक से सिंचाई करनी आवश्यक होती है।
हालांकि स्ट्रॉबेरी के पौधे की हाइट अधिक नहीं होते हैं। लिहाजा जमीन से लग जाते हैं और खराब भी हो जाते हैं। इस कारण प्लांटिंग करते समय मल्चिंग करना और भी जरूरी होता है। ताकि फल निकले तो वे जमीन के बजाय पन्नी पर ही रहे और खराब मौसम और खर-पतवार से भी राहत मिलती है।
किस तरह की मिट्टी की जरूरत होती है?
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए लाल मिट्टी सबसे अच्छा होता है परंतु काली मिट्टी पर भी कई लोग इसकी खेती कर रहे हैं और इसका प्रोडक्शन भी बेहतर हो रहा है। आपको इस बात की ध्यान होनी चाहिए कि खेत में पानी का जमाव न हो यानी कि जलजमाव की स्थिति नहीं बने साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना है कि मिट्टी मुलायम और भुरभुरी हो, ताकि पौधे का रूट अंदर तक जा सकें।
मौसम अनुरूप नहीं हो तब स्ट्रॉबेरी कैसे उगाएं?
स्ट्रॉबेरी विंटर क्रॉप है यानी गर्मी बढ़ने पर फसल को नुकसान होने की संभावना अधिक होता है। इसके लिए 30 डिग्री से कम ही टेंपरेचर होना अनिवार्य है। अगर इससे अधिक टेंपरेचर है तो स्ट्रौबरी की खेती नहीं हो सकती है। वैसे आपको बता दें कि पॉलीहाउस और कूलर लगाकर आप थोड़ा बहुत टेंपरेचर कंट्रोल कर सकते हैं परंतु इसमें प्रोडक्ट की क्वालिटी पर भी असर हो सकता है और अधिक खर्च भी हो सकता है।
स्ट्रॉबेरी के बीज कहां से लाए और कौन सी वैराइटी अच्छी होती है?
स्ट्रॉबेरी के प्लांट देश के कई अन्य शहरों में मिलते हैं वैसे अधिकतर किसान पुणे से इसके पौधे खरीदते हैं और कई किसानों ने अपनी यहां नर्सरी भी लगाई हुई है। बेहतर गाइडेंस और अधिक जानकारी के लिए नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से कॉन्टैक्ट किया जा सकता है। इतना ही नहीं कई लोग ऑनलाइन भी प्लांट सेल करते हैं, तो आप यहां से भी प्लांट ले सकते हैं।
अगर बात इसकी वैराइटी की करे तो ट्योगा, टोरे, एन आर राउंड हैड, रैड कोट, चांडलर कनफ्यूचरा, डागलस, गारौला, सैलवा और बेलरूबी की खेती भारत में होती है। अधिकतर लोग ट्योगा, टोरे और चांडलर की खेती ही करते हैं इसके फ्रूट्स का साइज भी अधिक होता है।
एक बार प्लाटिंग के बाद कितने वर्ष तक फल ले सकते हैं?
सामान्य तौर पर देखा जाए तो स्ट्रॉबेरी की साइकिल 6 महीने की होती है। इसके बाद अधिकतर पौधे गर्मी की वजह से मर जाते हैं। आपको बता दें कि कई लोग टेंपरेचर कंट्रोल करके इसे जिंदा रख पाते हैं परंतु इसमें लागत भी बहुत होती है। इस कारण नए सिरे से प्लांटिंग करना ही बेहतर होता है।
मार्केटिंग के लिए क्या करें
स्ट्रॉबेरी की मांग बड़े शहरों के साथ ही साथ छोटे शहरों में भी काफी है। हालांकि इनके कई हेल्थ बेनिफिट्स होते हैं, जिसके कारण कोविड के बाद इसकी डिमांड और भी अधिक बढ़ी है। आपको बता दें कि लोकल मार्केट के साथ ही बिग बास्केट और सुपर फूड स्टोर में इसकी कीमत अच्छी खासी मिल जाती है। इस कारण कई किसान इसे ऑनलाइन भी सेल कर रहे हैं।
इसके बाद भी अगर आपके पास फल बच जाता है तो परेशान होने की कोई बात नहीं है, आप चाहे तो इसे कोल्ड स्टोरेज में भी रख सकते हैं अथवा इसका पल्प तैयार करके प्रोसेसिंग भी कर सकते हैं। इतना ही नहीं इससे अचार, आइसक्रीम, चॉकलेट, स्वीट्स के साथ ही कई आइटम्स भी बनाए जाते हैं। इसके अलावा बड़ी कंपनियां इससे मेडिसिन और इम्यून बूस्टर प्रोडक्ट भी तैयार करती है। आप उन्हें भी अपना प्रोडक्ट्स सप्लाई कर सकते हैं।
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लागत और मुनाफे का गणित क्या है?
स्ट्रॉबेरी की खेती कमर्शियल लेवल पर कम से कम 1 एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है। जहां करीब 24,000 पौधे लगाए जा सकते हैं। वही एक पौधे की कीमत करीब ₹10 होती है अथवा 2.4 लाख प्लांट का खर्च। इसके अलावा मल्चिंग, ड्रिप इरिगेशन, खेत की तैयारी अथवा मेंटेनेंस का खर्च भी लगता है। अगर कुल मिलाकर देखा जाए तो इसमें खर्च करीब ₹4,00000 तक हो जाती है। इसके लिए सरकार की तरफ से 50 फीसदी तक सब्सिडी भी मिलती है।
बात अगर मुनाफे की कड़े तो एक प्लांट से करीब 500 ग्राम फल निकलता है अथवा 1 एकड़ से करीब 12 टन स्ट्रॉबेरी का प्रोडक्शन होता है। अगर इसे ₹100 किलो के हिसाब से भी बेचा जाए तो 12,00000 रुपए की सेल होगी। इसके हिसाब से एक सीजन में करीब ₹8,00000 का मुनाफा कमाया जा सकता है।
आपको बता दें कि अगर आप बड़े शहरों तक पहुंच सकते हैं तो और भी अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। क्योंकि वहां इसकी कीमत ₹200 किलो तक मिलती है। इतना ही नहीं कई किसान अधिक मुनाफा के लिए वक्त से पहले ही प्लांटिंग कर लेते हैं ताकि बाजार में स्ट्रॉबेरी कम उपलब्ध हो तो भी अच्छा खासा दाम पर बेच सकें। कई किसान स्ट्रॉबेरी के साथ ही दूसरी सब्जियों का भी खेती करते हैं।
तो अगर आप भी किसान है और खेती करके अधिक मुनाफा कमाना चाहते है तो एक बार स्ट्रॉबेरी के खेती को जरुर करे, आप कम खर्च में अधिक मुनाफा कमा सकते है।