Wednesday, December 13, 2023

1987 से सीताफल की खेती कर 100 कैरेट फल तोड़ते हैं, एक एकड़ से लगभग 70 हज़ार की कमाई होती है

हमारे देश में किसान को अन्नदाता कहा जाता है। हमारे अन्नदाता हर मुमकिन कोशिश करते हैं कि वह ऐसी खेती करें जिससे उन्हें लाभ भी हो और हमारा स्वास्थ्य भी ठीक रहे। आजकल जैविक खेती का प्रचलन अधिक हो गया है। सभी किसान जैविक खेती कर रहें हैं क्योंकि इसके बहुत लाभ हैं। इससे कम लागत में अधिक मुनाफा है और साथ-साथ शरीर के लिए भी बहुत लाभदायक है। इसके उर्वरक हमारे किसान खुद अपने घरों के कचरों या गाय के गोबर से बना रहें हैं। आज की कहानी भी एक ऐसे ही किसान की है जिसने जैविक खेती से अपनी तकदीर को बदल दिया है। आईए जानते हैं उनकी कहानी।

1987 से करते आ रहे हैं खेती

यह किसान हैं सुरेश मुकाती (Suresh Mukati) जो पिछले 8 वर्षों से जैविक खेती कर अधिक लाभ कमा रहे हैं। उनकी जैविक खेती का उद्देश्य शुद्धता को बढ़ाने के लिए है। उन्होंने अपने 40 एकड़ खेतों में सीताफल के पेड़ों को लगाकर सीताफल की बगानी बना रखी है। उन्होंने यह जानकारी दी कि 1987 से ही वह इस खेती को कर रहे हैं। लेकिन पहले वह रसायनिक खाद का प्रयोग कर अपने फलों को तैयार करते थे। उनको जब यह जानकारी हुई कि रासायनिक विधि से उगाए गए फल हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और उसमें अधिक खर्च भी है। तब उन्होंने जैविक खाद को अपनाकर फलों को उगाना शुरू किया। अब सुरेश मुकाती प्रत्येक दिन 100 कैरेट फलों को पेड़ों से तोड़ते हैं।

प्रति एकड़ से होती है 70 हजार की आमदनी

सुरेश मुकाती ने यह जानकारी दी कि वह प्रतिदिन 100 कैरेट सीताफल प्राप्त कर रहे हैं। उनके सीताफल खरगोन (Khargone) इंदौर (Indore) सूरत (Surat) अहमदाबाद (Ahmedabad) झाबुआ (Jhabua) जयपुर (Jaipur) बड़वानी सनावद और बड़वाह तक बिकने के लिए जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें प्रति एकड़ में 60-75 हजार रुपये की आमदनी इस सीताफल की खेती से होती है।

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कोरोना से हुई थोड़ी दिक्कत, खुद बनाते हैं उर्वरक

इस बार कोरोना के दौरान थोड़ी कठिनाई हुई है फिर भी इससे मुझे अच्छा लाभ हुआ है। उन्होंने यह बताया कि जैविक खेती से पर्यावरण का संरक्षण भी होता है। रसायनमुक्त उत्पादन के आहार से हमारा शरीर सुरक्षित रहता है। वह अपनी खेती के लिए उर्वरक खुद बनाते हैं। वह अपने घर के गोबर, दसपर्णी, नीम का तेल और जीवामृत से जैविक खाद तैयार करते हैं। हमारे देश मे किसान खुद हीं खेतों के सभी कार्य अपने आत्मबल और निर्भरता से करते हैं।

सुरेश मुकाती ने जिस तरह जैविक खेती कर सीताफल से अच्छी कमाई कर रहे हैं वह अन्य कृषकों के लिए प्रेरणास्रोत है। The Logically सुरेश मुकाती जी की खूब प्रशंसा करता है।