Wednesday, December 13, 2023

बिहार की ‘सुष्मिता’ MBA के बाद नौकरी छोड़ बनी स्कूल टीचर, स्कूल में पंखा नही था तो बना दी मटका कूलर

अगर हम किसी भी काम को सच्चे मन से करते हैं, तो हमें उसमें सफलता जरूर मिलती हैं।” यह सोच रखती हैं, गया (Bihar) की सुष्मिता सान्याल (Sushmita Sanyal) , जो पेशे से एक हाई स्कूल टीचर हैं। उनके इसी सोच के कारण महज आठ साल के टीचिंग करियर में ही उनको राज्य की श्रेष्ठ शिक्षिका का अवॉर्ड मिल चुका हैं तथा उनके द्वारा किया गया एक आसान आविष्कार ‘मटका कूलर’ को भी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है।

MBA कर बनीं सरकारी स्कूल टीचर

सुष्मिता सान्याल (Sushmita Sanyal) ने अपनी पढ़ाई कान्वेंट स्कूल से पूरा किया। उसके बाद उन्होंने MBA की डिग्री हासिल की और दिल्ली में रहकर कॉर्पोरेट जॉब करने लगी लेकिन उनका परिवार चाहता था कि वे घर वापस आ जाएं। जिस कारण वे अपने परिवार के पास बिहार चली गईं। उस समय राज्य सरकार की ओर से स्कूल टीचर की भर्ती निकली थी, जिसमे सुष्मिता ने अप्लाई किया और उनकी नौकरी लग भी गई।

वैसे उनका (Sushmita Sanyal) परिवार भी चाहता था कि वे पूरे परिवार के साथ हीं बिहार रहें इसलिए सुष्मिता ने उनके साथ हीं रुकना पसंद किया और वहां रहकर हाई स्कूल शिक्षिका की नौकरी करने लगीं।

उन्होंने (Sushmita Sanyal) बताया कि, पहले तो मैंने सोचा था कि कुछ दिन परिवार के साथ रहकर वापस दिल्ली लौट जाऊंगी लेकिन अब बच्चों को पढ़ाने में बहुत मजा आ रहा है।

मटका कूलर का किया आविष्कार

सुष्मिता (Sushmita Sanyal) ने बताया कि, “जब मैने इस स्कूल में ज्वाइनिंग की थी तो इसमें पंखे नहीं थे, जिस कारण बच्चों को गर्मी के दिनों में पढ़ने में बहुत परेशानी होती थी। यह देखकर मुझे उनके लिए कूलर बनाने का ख्याल आया।”

आखिर कैसे काम करता है यह मटका कूलर

सबसे पहले उन्होंने (Sushmita Sanyal) एक छोटे घड़े में पानी भरकर, घर पर पड़े पेंट के ड़िब्बे में रखा और ड़िब्बे के ढक्कन पर एक पंखा लगा दिया। एक छोटे मोटर की मदद से यह पंखा चलता है और घड़े के ठंडे पानी के कारण आपको ठंडी हवा मिलती रहती है।

अपने इस आविष्कार को उन्होंने (Sushmita Sanyal) नवंबर 2017 में, भोपाल में आयोजित जवाहरलाल नेहरू नेशनल साइंस एंड मैथमैटिक्स सेमिनार में, राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया, जिसमे उनके मटका कूलर को सबसे अच्छे तीन अविष्कारों में भी जगह मिली थी।

स्थानीय दुकानदारों, महिला किसानों को दिया मटका कूलर

सुष्मिता (Sushmita Sanyal) ने अपने स्कूल के बच्चों साथ मिलकर चार मटका कूलर बनाए और इस कूलर को स्थानीय दुकानदारों और महिला किसानों को इस्तेमाल करने को दिया।

बच्चों को कई एक्टिविटी सिखाया

सुष्मिता (Sushmita Sanyal) अपने स्कूल के बच्चों को गीले और सूखे कचरे की सही व्यवस्था के बारे में बताकर गीले कचरे से स्कूल में वर्मी कम्पोस्ट बनाना सिखाया करती थीं।

उनका (Sushmita Sanyal) कहना है कि, “बच्चे वर्मी कम्पोस्ट बनाकर आस-पास के लोगों को पौधे और कम्पोस्ट दिया करते थे। बच्चे घर पर भी इस तरह की एक्टिविटी करने लगे।”

इसके अलावें उन्होंने (Sushmita Sanyal) स्कूल के बच्चों को फलों की पैकिंग से निकले फोम नेट से फूल बनाना सिखाया। बच्चे फोम नेट से फूल बनाकर उन फूलों को वापस फलों की दुकान पर ही देकर आते थे।

बच्चियों को अपने अधिकार के लिए लड़ना सिखाया

सुष्मिता ने स्कूल की बच्चियों को सेनेटरी पैड का इस्तेमाल करना सिखाया और साथ हीं उनको बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाना तथा अपने अधिकारों के लिए लड़ना सिखाया।

लड़कियों को छेड़खानी के दौरान आत्मरक्षा के लिए सेफ्टी पेन बनाया

उन्होंने (Sushmita Sanyal) बच्चों में हमेशा सकारात्मक प्रभाव डालने की कोशिश की है। अपने स्कूल के बच्चों के साथ मिलकर उन्होंने एक सेफ्टी पेन डिजाइन किया, जो बच्चियों को छेड़खानी के दौरान आत्मरक्षा में मदद करेगा।

हर क्षेत्र में बच्चों को अव्वल बनाने की करती हैं कोशिश

हर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में वे (Sushmita Sanyal) अपने स्कूल के बच्चों को लेकर जाती हैं। वे नुक्क्ड़ नाटक से लेकर डांस हो या फिर वाद-विवाद सभी में बच्चों को भाग लेने के लिए प्रेरित करती हैं।

उन्होंने (Sushmita Sanyal) बताया कि, पहले उनकी स्कूल की लड़कियां कभी डांस में भाग नहीं लेती थी लेकिन आज उन्होंने अपने छात्रों को इसप्रकार प्रेरित किया है कि उनके स्कूल के बच्चे पिछले पांच वर्षों से गया जिला से चयनित होने के बाद राज्य स्तर पर भी प्रथम पुरस्कार लेकर आ रहे हैं।