Wednesday, December 13, 2023

40 वर्षीय सफाईकर्मी ने पास की राजस्थान सिविल सेवा परीक्षा, पति का साथ छूटने पर पिता ने थामा हाथ: प्रेरणा

लक्ष्य पाने की कोई उम्र नहीं होती। अगर कड़ी मेहनत से प्रयास किए जाएं तो किसी भी उम्र में इंसान सफल हो सकता है। पिछले ही हफ्ते 40 वर्षीय आशा कंदारा (Asha Kandara) राजस्थान प्रशासनिक सेवा में शामिल हुई हैं। इससे पहले आशा दो बच्चों की जिम्मेदारी संभालने के लिए जोधपुर नगर निगम में सफाई कर्मचारी के रूप में कार्यरत थीं। अब आशा को राज्य प्रशासनिक सेवा में वरिष्ठ अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है। – sweeper Asha Kandara from Rajasthan passes RPSC exam

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माता-पिता के मदद से पढ़ाई रखी जारी

आठ साल पहले आशा को उनके पति ने दोनों बच्चों के साथ छोड़ दिया था। उसके बाद आशा अपने माता-पिता के सहयोग से अपनी पढ़ाई जारी रखा। साल 2018 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुई। दो चरणों में परीक्षा देने के बाद कोरोना महामारी के वजह से आशा कंदारा (Asha Kandara) को परिणाम के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा।- sweeper Asha Kandara from Rajasthan passes RPSC exam

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बच्चों के जिम्मेदारी के लिए उठाई झाड़ू

पति के छोड़े जाने के बाद बच्चों की पूरी जिम्मेदारी आशा के कंधों पर आ गई इसलिए वे बिना कुछ सोचे झाड़ू लेकर जोधपुर शहर की सड़कों पर निकल पड़ी। आशा का मानना है कि कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता। साल 2019 में वे पहली बार परीक्षा में बैठी और सफल भी हुई। – sweeper Asha Kandara from Rajasthan passes RPSC exam

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पिता को प्रेरणा मानकर बढ़ी आगे

आशा के परिणाम के अनुसार उन्हें नगर निगम में नौकरी मिल गई। आशा कहती हैं कि मेरा मानना है कि अगर लोग आप पर पत्थर फेंकते हैं, तो आपको उन्हें इकट्ठा करना चाहिए और एक पुल बनाना चाहिए। उन्हें लगता है कि अगर मैं कर सकती हूं, तो कोई भी कर सकता है। आशा कंदारा (Asha Kandara) सदैव अपने पिता को प्रेरणा मानकर आगे बढ़ी हैं। उनका कहना है कि मेरे पिता शिक्षित हैं। वे शिक्षा के मूल्य को समझते हैं इसलिए उन्होंने हमेशा पढ़ना और आगे बढ़ना ही सिखाया है। – sweeper Asha Kandara from Rajasthan passes RPSC exam

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लोगों की मदद करना चाहती हैं

आशा प्रशासनिक सेवाओं से जुड़ कर अपने जैसे अन्य कम विशेषाधिकार प्राप्त लोगों की मदद करना चाहती हैं। उनका मानना है कि शिक्षा उत्तर है और शिक्षा अवसर का द्वार खोलती है। आशा के पिता राजेंद्र कंदरा (Rajendra Kandra) ने अपनी वंचित पृष्ठभूमि होने के बावजूद अपनी पढ़ाई पूरी की। वे भारतीय खाद्य निगम में लेखाकार पद पर तैनात होकर किसानों की मदद कर रहे हैं। राजेंद्र बताते हैं कि उन्होंने लैंम्प की रोशनी से पढ़ाई पूरी की है। उनका मानना है कि जीवन एक संघर्ष है और संघर्ष ही जीवन है। आज उन्हें अपनी बेटी की सफलता पर बहुत गर्व है। – sweeper Asha Kandara from Rajasthan passes RPSC exam

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