हमारे समाज में किन्नरों की एक अलग ही दुनिया होती है। ऐसा माना जाता है कि उनकी दुआ पूरी हो जाती है इसलिए अक्सर उन्हें खुशी के मौके पर बुलाया जाता है। हमें लगता है कि ऐसे अवसरों पर बधाई मांगना ही उनका काम है, परंतु ऐसा नहीं है। अगर उन्हें भी अवसर मिले तो वह बहुत कुछ कर सकते हैं। अम्बिकापुर में रहने वाली एक किन्नर ने अपने अकलमंदी से छतीसगढ़ (Chhattisgarh) पुलिस में चयनित हुई हैं।
एक किन्नर की हुई पुलिस में भर्ती
अम्बिकापुर के बौरीपारा में स्थित महादेव गली की रहने वाली उस किन्नर का नाम अक्षरा (Akshara) है। कुछ दिन पहले ही अक्षरा ने पुलिस भर्ती परीक्षा में शारीरिक दक्षता परीक्षा दी थी और उनका चयन हो गया। यह किन्नर समाज के लिए बहुत ही गर्व की बात है। बचपन से अक्षरा पुलिस में जाना चाहती थीं। अक्षरा मानती हैं कि यह गुरुओं के आशीर्वाद से यह मुमकिन हो पाया है।
अक्षरा का बचपन का सपना था पुलिस बनना
अक्षरा कहती हैं कि पहले मैं बधाई देने जाया करती थी परंतु एक बार वहां जाने के बाद उसे बीच में छोड़ वापस नहीं आ पाती थी। अक्षरा अक्सर गुरुदेव से यह कहा करती थी कि मुझे पुलिस भर्ती की तैयारी करनी है। उसकी बात मानते हुए गुरुजन उसे छुट्टी दे देते थे। जिससे अक्षरा पुलिस भर्ती की तैयारी अच्छे से कर पाती थी। वह हर रोज़ 8 घंटे इसके लिए अभ्यास किया करती थी। अक्षरा बताती हैं कि उनके साथियों का शौक सोलह श्रृंगार करके रहना होता था परंतु सबसे अलग उन्हें बचपन से पुलिस बनने का शौक था।
अक्षरा बन चुकी हैं अन्य किन्नरों के लिए प्रेरणा
अक्षरा बताती हैं कि किन्नर लोग ट्रेनों में जाकर भीख मांगकर अपना गुजारा करते हैं परंतु मुझे यह सब करना अच्छा नहीं लगता था। बचपन में वह जब भी किसी पुलिस वाले को देखती थी तो उन्हें बहुत गर्व महसूस होता था। अक्षरा कहती हैं कि अब मैं देश की सेवा करूंगी। ज़िला आइकॉन किन्नर समाज की अध्यक्ष तमन्ना जयसवाल (Tamanna Jaiswal) का कहना है कि अक्षरा को मैं अपनी बेटी ही मानती हूं। वह कहती हैं कि मैं चाहती हूं कि एक दिन अक्षरा वर्दी में आये। इसके अलावा जितने भी मेरे समूह में पढ़े लिखे किन्नर हैं, उन सबकी जॉब लगे। अक्षरा सभी किन्नरों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।