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प्रेरणा :यह इंजीनियर कहीं और नौकरी करने की बजाय गांव में ही कंपनी खोल लड़कियों को जॉब दे रही हैं।

अपनी जीविकोपार्जन और आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नौकरी पाना हर किसी के लिए एक सपना होता है ! लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हमारे इर्द-गिर्द मौजूद होते हैं जो खुद नौकरी ना कर एक ऐसा सेटअप तैयार करते हैं जिसके माध्यम से कई लोगों को नौकरियाँ दी जा सके ! उसी क्रम में एक नाम आता है सलोनी मल्होत्रा का जिन्होंने इस कार्य हेतु उन गाँवों को चुना जहाँ लोगों के पास कार्यों की कमी होती है और रोजगार के लिए ना के बराबर मार्ग होता है ! आईए जानें उनके प्रयास के बारे में जिससे उनके कार्यक्षेत्र वाले गाँव के लोगों की स्थिति सुधर रही है….

सलोनी मल्होत्रा ने पुणे से इंजीनियरिंग की और बेबचटनी से अपने कैरियर की शुरूआत कीं ! उस समय वह क्या कर रही थीं उससे कहीं ज्यादा मायने उनके लिए बिजनेस के बारे में गुर सिखने का था ! वह इस कार्य के दौरान बीपीओ में कुछ परिवर्तन लाना चाहती थीं ! उन्होंने बिजनेस के बारे में यह महसूस किया कि अगर लोगों को कम लागत में गुणवत्तापूर्ण सामान दिया जाए तो अन्य खर्चे बचाए जा सकते हैं साथ हीं यह ग्रामीण लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी प्रशस्त करेगा !

देशीक्रू की शुरूआत

ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को गुणात्मक सामानों को उपलब्ध कराने और उनके लिए रोजगार मुहैया कराने की कोशिश को फलित करने के लिए उन्होंने “देशीक्रू” की शुरूआत की ! सलोनी ने देशीक्रू के माध्यम से डिजिटलीकरण के अंतर्गत सेवाओं डेटा एंट्री और डेटा कनवर्जन का काम शुरू किया ! आगे बढते हुए इसके माध्यम से सामग्री निर्माण जैसे कार्य जीआईएस आधारित मानचित्रण सेवाओं , प्रतिलेखन और स्थानीयकरण को जोड़ा ! देश में छाई आर्थिक मंदी के समय कई कम्पनियों ने देशीक्रू को कई बैक-एंड कार्यों के लिए चयनित किया जिसके कारण उन्हें अपनी कीमतों की बचत हो सके ! छोटे गाँवों में पढे-लिखे युवाओं को रोजगार देने के लिए देशीक्रू ने सफल प्रयास किया है ! इस फर्म के जरिए युवाओं के कुछ प्रशिक्षण भी उपलब्ध करवाया जाता है !

ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य की शुरूआत करना रहा चुनौतीपूर्ण

ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह डिजिटल कार्यों को करना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि यहां के लोग डिजिटल कार्यों से बिल्कुल अनभिज्ञ होते हैं ! पढे-लिखे युवाओं को भी कौशल के अभाव के इन कार्यों के बारे में पता नहीं होता है ! एक नई तकनीक व कौशल सिखाना मुश्किलों भरा होता है , परिश्रम अधिक लगता है ! सलोनी को ग्रामीण परिवेश को किसी भी कीमत पर बदलना था ! शहर के लोग यही सोंचते हैं कि गुणवत्ता भरा कार्य सिर्फ शहरों में हीं हो सकता है ! इस धारणा को परिवर्तित करना सलोनी का मकसद था ! इस बड़े बदलाव के लिए सलोनी को इन ग्रामीण बीपीओ में ब्राडबैंड कनेक्शन , निरन्तर बिजली आपूर्ति और अन्य कई तरह के उपकरण की व्यवस्था करवानी पड़ी !

देशीक्रू के जरिए शिक्षा का भी हो रहा संचार

देशीक्रू के माध्यम से सलोनी लड़कियों की शिक्षा में आवश्यक सुधार लाने का प्रयास कर रही हैं ! देशीक्रू के माध्यम से मुख्यतः महिलाओं को हीं रोजगार से जोड़ा जाता है जिसके कारण लड़कियों के माता-पिता उसे हाई स्कूल तक की पढाई करवाने के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं ! पढाई करने के बाद देशीक्रू में नौकरी पाना उनके लिए एक लक्ष्य हो गया है ! अपने घर के आस-पास अगर नौकरी मिल जाए उससे बेहतर और क्या हो सकता है ! इसी परिकल्पना को देशीक्रू हकीकत का रूप दे रहा है !

रोजगार के अवसर दे रहा देशीक्रू

देशीक्रू के माध्यम से आज रोजगार के अवसरों की तादाद बढ रही है ! जो लोग सिखना और मेहनत करना चाहते हैं उनके लिए यहाँ नौकरी पाना आसान है ! ग्राहकों की जरूरत पूरी करने के बिजनेस मॉडल के कारण रोजगार के अवसर बढ रहे हैं ! एक-दूसरे से प्रेरित होकर इस लायक बनना चाहते हैं जिससे कि उन्हें देशीक्रू में नौकरी मिल जाए !

सलोनी मल्होत्रा ने जिस तरीके से प्रचलन से हटकर गाँवों में जाकर असुविधाओं भरे परिवेश को पूरी तरह परिवर्तित कर एक बिजनेस मॉडल तैयार किया है और उस बिजनेस से कई लोगों को रोजगार मुहैया करवा रही हैं वह बेहद प्रेरणादायक है ! जिन गाँव में लड़कियों को उपेक्षित रखा जाता है वहाँ लड़कियों को रोजगार देने में प्रमुखता देकर सलोनी ने उन लड़कियों के लिए आशा की नई किरण की शुरूआत की है ! उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की ओर सलोनी का यह बेहतर कदम पथ प्रदर्शक है ! Logically सलोनी मल्होत्रा को और उनके कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा करता है !

अंजली पटना की रहने वाली हैं जो UPSC की तैयारी कर रही हैं, इसके साथ ही अंजली समाजिक कार्यो से सरोकार रखती हैं। बहुत सारे किताबों को पढ़ने के साथ ही इन्हें प्रेरणादायी लोगों के सफर के बारे में लिखने का शौक है, जिसे वह अपनी कहानी के जरिये जीवंत करती हैं ।

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