Tuesday, December 12, 2023

गुजरात के इस घर को मिला “आदर्श घर” का खिताब, जानिए इसकी खासियत के बारे में

हमारे देश में आज ऐसे बहुत कम लोग ही हैं जिन्हें बिजली की लत ना लगी हो। जिस कारण उन्हें कई सारी परेशानियों से जूझना पड़ता है। जैसे अगर लाइट चला गया तो पंखा या फोन चार्जिंग को लेकर समस्या आदि। ये सारी ऐश-ओ-आराम की चीज़ें हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। ऐसे में ये आवश्यक है कि हम सभी पर्यावरण के अनुकूल कार्य करें लेकिन कहना जितना आसान है करना उतना ही कठीन।

लेकिन आज के इस दौर में भी ऐसे लोग हैं जो पर्यावरण के अनुकूल कार्य करते हैं और अन्य लोगो को इसके लिए जागरूक भी करते हैं। इस लेख में हम आपको गुजरात के एक ऐसे घर के विषय में बताएंगे जो ईको फ्रेंडली है और इसे आदर्श घर का अवार्ड मिला है। चलिए इस दिलचस्प और ईको फ्रेंडली घर तथा यहां के निवासी के बारे में कुछ रोचक जानकारी ग्रहण करते हैं।

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आदर्श घर की कहानी

कनुभाई करकर तथा कैलाशबेन जिनके घर को आदर्श घर का खिताब मिला है। उनके घर के लिए गवर्मेंट द्वारा हर वर्ष 10 हज़ार रुपये मिलता है। ये घर ईको फ्रेंडली है और यहां रहने वाले लोग सुकून की ज़िंदगी जीते हैं। एक वक्त ऐसा था जब उनको पानी को लेकर काफी समस्याएं रहती थी परन्तु आज वही लोग बारिश के पानी को एकत्रित करते हैं जिस कारण उन्हें पानी की कमी कभी नहीं खलती। यहां का हर व्यक्ति प्रकृति के बेहद करीब रहकर जीवन बिता रहा है। इस घर में रहने वाले लोग स्वयं ऑर्गेनिक तकनीक को अपनाकर सब्जियों को उगाते हैं। उन्हें बिजली का कभी भी बिल नहीं भरना पड़ता क्योंकि वे सौर ऊर्जा द्वारा बिजली का का उत्पादन करते हैं।

ईको फ्रेंडली घर

ये आदर्श घर गुजरात के अमरेली में है। इस घर के निर्माण का कार्य वर्ष 2000 में प्रारंभ हुआ। इसके निर्माण में लगभग 2,80,000 रूपए की लागत आई। उनके घर में होरिजेंटल क्रॉस वेंटीलेशन की व्यवस्था है ताकि गर्मी में यहां ठंडक रहे और ठंड में गर्माहट। वह पर बारिश के पानी को एकत्रित कर इसका उपयोग बगीचों में पौधों की सिंचाई के लिए करते हैं।

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उनके यहां लगभग 20,000 लीटर पानी की टंकी है जहां पानी एकत्रित होता है। इसका उपयोग अपने आवश्यकता अनुसार किया जाता है। वह अपने घर का डिजाइन खुद करते हैं क्योंकि यह खाली वक्त में कुछ ना कुछ निर्माण करते ही रहते हैं। उनके गार्डन से लगभग 95 फ़ीसदी फल तथा सब्जियां मिल जाती है जिस कारण उन्हें मार्केट का दौरा नहीं करना पड़ता।

देते हैं ग्रिड को बिजली

पौधों की सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करते हैं उनके छत पर लगभग 3 किलो वाट का सोलर पैनल है जिसकी मदद से बिजली की आवश्यकता की पूर्ति होती है। इसके खर्च में लगभग 80000 की लागत आई थी। उनके पास बिजली बच जाती है तो ग्रिड में जमा कर देते हैं ताकि इससे यहां के लोगों को भी फायदा मिले।